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फैमिलाइफ की प्रेरणा पुरी ने एक संगीत विद्यालय के निदेशक से बात की और जाना कि भारत में संगीत करियर को लेकर क्या विकल्प खुले हैं।
फैमिलाइफ की प्रेरणा पुरी ने एक संगीत विद्यालय के निदेशक से बात की और जाना कि भारत में संगीत करियर को लेकर क्या विकल्प खुले हैं।
मज़ाक के ज़रिये आपके बच्चे जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं।
फूड कंपनियां बच्चों को खासकर जंक फूड के लिए विज्ञापनों के माध्यम से निशाना बनाती हैं। इनके कारण बच्चों में मोटापे की शिकायतें और लंबे समय के लिए स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद तो की जा सकती है लेकिन इसका रास्ता आर्थिक संघर्षों से भरा होता है।
खुश्बूदार फूलों के अलावा मैग्नोलिया का पौधा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि खोज हुई है कि इस पौधे में ऐसे तत्व हैं जिनसे सिर व गले के कैंसर का इलाज हो सकता है।
कुछ थ्रिल और कुछ रोमांच से बच्चे ज़्यादा सक्रिय और आत्मविश्वासी बनते हैं।
प्रारंभिक स्कूली गणित परीक्षाओं में छात्राएं छात्रों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं लेकिन बावजूद इसके गणित संबंधी जॉब्स में पुरुषों का वर्चस्व है क्योंकि वे समझते हैं कि वे इसमें बेहतर हैं।
ज़्यादा स्क्रीन टाइम के कारण एक बच्चे का भाषायी विकास अवरुद्ध होता है। बड़े बच्चों में हानिकारक आदतें पड़ सकती हैं। स्क्रीन टाइम सीमित करने के कुछ उपाय यहां हैं।
अगर ठीक से न की जाये तो तारीफ बच्चों के लिए महत्व नहीं रखती। अपने बच्चों को जीवन के लिए तैयार करने के लिए तारीफ करना सीखने के लिए क्लिक करें।
मम्प्स को कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन यह रोग सात से दिनों में ठीक हो सकता है और मरीज़ कुछ हफ्तों में पूरी तरह इससे छुटकारा पा सकता है।
अगर आपका बच्चा पहले से घर के काम में हाथ नहीं बंटाता तो यहां शुरुआत करवाने के लिए कुछ सुझाव हैं। छोटे बच्चे भी छोटे कामों में हाथ बंटा सकते हैं।
एक प्रायोगिक शैक्षिक कार्यक्रम को सकारात्मक असर देखने का मिला जिससे टीनेज और नौजवानों का महिलाओं के प्रति नज़रिया बदला। हो सकता है इससे बलात्कार की रोकथाम भी संभव हो सके।
बात जब सीबीएसई (CBSE) नतीजों की हो तो, जो बच्चे 90 स्कोर करते हैं और जो 95, उनके बीच कोई अंतर नहीं है। यह अभिभावकों और छात्रों को समझना चाहिए।
नये अध्ययन में पाया गया है कि लेस्बियन, गे और उभयलिंगी (एलजीबी) बच्चों को कक्षा पांच से ही निशाना बनाया जाता है, जबकि उनकी लैंगिक पहचान पूरी तरह स्थापित भी नहीं हो पाती।
एक अध्ययन बताता है कि एडीएचडी ग्रस्त बच्चे चंचलता के कारण बेहतर सीखते हैं।
सेक्स शिक्षा का अर्थ केवल यह समझाना नहीं है कि यौन संबंध कैसे बनाये जाते हैं बल्कि इससे यौन शोषण, संक्रमण और अनचाहे गर्भ से सुरक्षा का रास्ता भी खुलता है।
जो बच्चे आत्म नियंत्रण रखते हैं वे उन बच्चों की तुलना में जो यह क्षमता नहीं रखते, वे बड़े होकर 40 फीसदी कम बेराज़गार रहते हैं।
यह उत्पीड़न का प्रचलित माध्यम बन गया है क्योंकि सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी उपकरणों जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप आदि के ज़रिये कई बार सूचनाओं पर नियंत्रण और नज़र रख पाना संभव नहीं होता।
एक नये लेख में यह सवाल उठाया गया है कि क्या स्कूलों में धूप मिलने से बच्चों को मायोपिया जैसे रोगों से निजात मिल सकती है।
देश भर में की गई एक ताज़ा रिसर्च के अनुसार प्रारंभिक स्कूलों में हर पांच में से एक शिक्षक पर्याप्त क्वालिफाइड नहीं है और छोटे राज्यों में स्थिति ज़्यादा खराब है।
भारत में 40 फीसदी बच्चे 14 से 18 वर्ष की उम्र के हैं इसलिए उनकी समस्याओं का निदान तुरंत होना चाहिए। जबकि ऐसे बच्चे खुद अपनी समस्याओं को लेकर मुखर हो चुके हैं तो नये कानून भी बनने चाहिए।