बच्चों के पेट, अमाशय अथवा उदर के आस पास दर्द होना बेहद आम बात है, इसे अजीर्णता आ भी कहा जाता है । हालंकि, अमाशय में पेट के अतिरिक्त शरीर के अन्य कई अंग होते हैं । अमाशय में लगभग बच्चे की छाती के निचले हिस्से से नितम्ब अस्थि (पेड़ू) अथवा पेड़ू और जांघ के जोड़ तक का हिस्सा शामिल होता है । अमाशय में होने वाली दर्द को सामान्य शब्दों में ऐंठन अथवा मरोड़ कहा जाता हैं ।1““`
बच्चों के पेट में होने वाले दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं जो कि बेहद मामूली से लेकर अत्यंत खतररनाक अथवा जानलेवा हो सकते हैं, परन्तु इन सब में बच्चों को केवल पेट में दर्द होने की ही शिकायत होती है । माता पिता को पेट में होने वाली इस दर्द का अनुमान स्वयं लगाना होता है, क्योंकि अक्सर फिजिशियनों को भी इसका अनुमान लगा पाने में कठिनाई होती है । पेट में होने वाली दर्द या तो काफी अधिक (थोड़ी देर तक रहने वाली) या फिर स्थायी (निरंतर काफी समय तक बनी रहने वाली) हो सकती है । सौभाग्यवश,पेट में होने वाली दर्द की अधिकांश शिकायतें काफी कम होती हैं तथा इनसे किसी प्रकार की कोई गम्भीर हानि नहीं होती है परन्तु कभी कभी ये गम्भीर रूप भी धारण कर लेती हैं ।
शिशुओं (छोटे बच्चों) को होने वाला पेट दर्द
एक वर्ष से कम आयु के छोटे बच्चों को शिशु कहा जाता है, चूंकि वे न तो बोल पाते हैं और न ही यह समझा पाते हैं कि उन्हें दर्द कहां हो रहा है अत: इन छोटे बच्चों में इसका पता लगा पाना काफी कठिन हो जाता है । छोटे बच्चों को जब दर्द होता है तो वे अपनी कुछ भाव मुद्राओं से दर्द होने का एह्सास दिलाते हैं कि उन्हें कैसा दर्द महसूस हो रहा है । जिसके अनुसार हो सकता है कि बच्चा अचानक व्याकुल होने लगे, अधिक हरकत करने लगे, ऊंची आवाज में रोने लगे, आंखों को भिंचना अथवा मिचमिचाना, अपने घुटने अपनी छाती तक ले जाना, छूने पर तकलीफ बढ़ना, थरथराना (हल्की सी कपकपी) तथा सामान्य नींद से कम देर तक सोना आदि जैसे कुछ लक्षण बच्चे अपनी भाव मुद्राओं से बताते हैं । इसके अलावा हो सकता है कि स्तनपान के ठीक थोड़ी देर बाद अथवा पेट में दर्द के कारण शिशु कुछ व्याकुल होने लगे 1 ऐसी स्थिति में शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है और ढंग से अपना आहार नहीं ले पाता ।
यदि कुछ घंटों के बाद भी शिशु की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता, तो पेट में होने वाली दर्द गम्भीर रूप धारण कर सकती है । स्थिति की गम्भीरता का आंशिक आंकलन पेट दर्द के साथ बुखार, उल्टी अथवा डायरिया जैसे अनेक लक्षणों से किया जा सकता है तथा ऐसी स्थिति में डाक्टर से अवश्य सलाह प्राप्त ली जानी चाहिए । यदि लक्षणों में वृद्धि हो रही है अथवा यह बार बार हो रहे हैं तो सही चिकित्सा परामर्श अवश्य लेना चाहिए ।
बच्चों अथवा नन्हें विद्यार्थियों में पेट दर्द की शिकायतें
एक से चार वर्ष की आयु वाले छोटे बच्चों अथवा प्री-स्कूल जाने वाले बच्चे इस प्रकार की समस्या को सही ढंग से ब्यान नहीं कर पाते तथा अपने पेट में होने वाली दर्द की शिकायत वे कुछ अस्पष्ट संकेतों के माध्यम से प्रकट करते हैं । पेट में दर्द होने की शिकायत के संकेत बच्चे द्वारा अपनी कलाई, टांग, अथवा शरीर में अकड़न लाते हुए अथवा ऊंची आवाज में रोने, व्याकुल होने, पेट को छूने न देना, पास जाने पर हाथ-पैर मारना, शौच एवं मूत्र पर नियंत्रण खो बैठना, खेल कूद में रूचि न दिखाना, तथा पेट पर दबाब बनाना, पेट को मसलना अथवा मालिश करना आदि अपनी भाव-भगिमाओं से दिखाते हैं ।
बड़े बच्चों में होने पेट दर्द की शिकायतें
इस आयु वर्ग में (10 वर्ष से कम आयु वर्ग के) बच्चे शामिल हैं जो माता पिता द्वारा पूछे जाने पर अपने पेट दर्द के संबंध में ब्यान कर सकते हैं और यह समझा सकते हैं कि उन्हें पेट में कहां और कैसी दर्द है ।
बच्चों को पेट में दर्द होने की शिकायतों के कारण
बच्चों को होने वाली पेट दर्द की शिकायतें या तो जानलेवा हो सकती हैं या फिर नहीं हो सकती हैं । अधिक खाने, कब्ज होने, अपच, वात पीड़ा, भोजन से एलर्जी, रिफल्क्स (वात प्रवाह), संक्रमण, उदरशूल, उदर फ्लू, डायरिया इत्यादि बच्चों के पेट में होने वाली दर्द के सामान्य कारण हो सकते हैं । तथापि, पेट में होने वाली अत्याधिक दर्द अपेन्डिसाइटिज़ , आंत में ब्लाकेज, अल्सर, हर्निया एवं ट्यूमर इत्यादि जैसे कारणों से भी हो सकती है । कभी कभार पेट में होने वाली दर्द का कारण अज्ञात भी सकता है । मानसिक परेशानी अथवा चिंता भी पेट दर्द अथवा मरोड़ का कारण हो सकती है ।
पेट दर्द के विभिन्न स्वरूप
भोजन के पश्चात पेट भरा भरा सा अथवा असुविधा महसूस होना अजीर्णता अथवा अपच कहलाता है जबकि छाती में महसूस होने वाली जलन को हृदयशूल कहा जा सकता है । तथापि, ये काफी परिपक्व संकेत हैं और बच्चे काफी कठिनाई से ही ऐसी स्थितियां समझा पाते हैं । अजीर्णता अथवा अपच एवं हृदयशूल दो भिन्न स्थितियां होती है तथा कभी कभार ये स्थितियां एक साथ भी प्रकट होती हैं । पेट में होने वाली ऐंठन पेट दर्द का एक ऐसा सामान्य कारण हैं जो थोड़ी देर तक ही रहता है तथा इस ऐंठन का कारण थोड़ी सी परेशानी अथवा अस्तव्यस्तता हो सकती है । ऐसी स्थिति में बच्चों द्वारा कुछ अस्पष्ट प्रकार के संकेत दिए जाते हैं तथा पेट में होने वाली दर्द के कारण मलद्वार से होने वाले प्राकृतिक रिफ्लेक्स जैसे संकेत अक्सर ऐंठन मान लिए जाते हैं । व्यक्ति विशेष के व्यवहार के आधार पर प्रत्येक बच्चा अपनी समस्या का बखान अलग प्रकार से करता है ।
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