अपने टीनेजर बच्चे के दिमाग को दें आकार


टीनेजर होना कभी आसान नहीं रहा-किशोर अवस्था और यौवन के बीच के इस अंतराल में शारीरिक परिवर्तन होते हैं जिनके कारण हॉर्मोन्स में भी बदलाव आता है इसलिए भ्रांतियां और बेचैनी सी बनी रहती है जो परेशान करती है। आजकल की नई नकनीकों, हर समय सोशल अपडैट्स, संदेश एप्स, मोबाइल फोन्स, लैपटॉप्स, स्ट्रीमिंग और गेमिंग आदि के कारण आयु विकास की प्रक्रिया और जटिल होती जा रही है।

आजकल टीनेजर्स को मीडिया से लगातार सूचनाएं झेलना पड़ती हैं कि कैसा दिखना है, क्या खरीदना है और कैसे बर्ताव करना है। इसी के साथ पारिवारिक माहौल भी ज़्यादा नहीं बदला है। आम तौर से अभिभावकों द्वारा तय की गईं मर्यादाएं और कायदे में टीनेजर्स को सलाह और मार्गदर्शन मिलने की गुंजाइशें नहीं होतीं। यह अभिभावकों के लिए भी कठिन समय हो सकता है क्योंकि उन्हें अपने बच्चे के विकास के दौरान सावधानी और समझदारी से बर्ताव करना होता है।

आप भी नहीं चाहते कि आप अपने बच्चे को उस वक्त अकेला छोड़ दें जब वह अपनी ज़िंदगी में बड़े बदलाव महसूस कर रहा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब आपका बच्चा आपके खिलाफ हो रहा है तब भी उसे आपके सहयोग और ध्यान की ज़रूरत है।

टीनेज के ये साल महत्वपूर्ण सबक देते हैं। यह सही समय है जब आप अपने बच्चों को किताबों और फिल्मों से जोड़ सकते हैं और उन्हें ठीक से शिक्षित कर सकते हैं। हालांकि आदतें जल्दी ग्रहण करने की प्रवृत्ति कई बार नकारात्मक असर डालती है फिर भी बच्चों को आप सिखाएं कि गलत फैसलों के अंजाम कैसे विपरीत हो सकते हैं और बुरी आदतों जैसे लत आदि जीवन भर नहीं छूटतीं।

माइंड.कॉ पर प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि नशे की लत टीनेजर्स को बहुत जल्दी लग सकती है। कई तरह के नशे एक परिपक्व दिमाग की अपेक्षा एक विकासशील दिमाग पर जल्दी और गहरा असर डालते हैं। चूंकि ऐसे नशे में शांति और संतुष्टि देने वाले तत्व होते हैं इसलिए इनका नकारात्मक असर सीखने पर भी पड़ता है।

इसलिए टीनेज के ये साल अच्छी आदतें डालने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हैं जो लंबे समय तक बनी रहती हैं। अपने बच्चों को इस उम्र में सहानुभूति के साथ पोसें और उन्हें तनावमुक्त और संतुलित वातावरण दें ताकि वे सही निर्णय ले सकें। अच्छे व्यवहार, आदतों और रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहन दें औश्र निश्चित करें कि वे पूरी नींद ले रहे हैं। अधूरी या उचटी हुई नींद मूड पर गहरा असर डाल सकती है जिसका प्रभाव निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ सकता है।

अपने टीनेजर बच्चों को कभी-कभी तकनीकी गैजेट्स से दूर होने और व्यायाम करने की सलाह दें। बच्चों के जीवन में आ रहे इस उत्तेजक औश्र जटिल समय में आप ठीक सोच और समझ से उनके साथ रह सकते हैं और उनके मददगार हो सकते हैं।

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