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जो बच्चे मृत्यु, तलाक या त्रासदी के कारण मनोवैज्ञानिक तनाव झेलते हैं, उनमें बचपन में डायबिटीज़ होने की आशंका तीन गुना ज़्यादा होती है।

त्रासदी के कारण संभव है बचपन में डायबिटीज़






भारत में ग्रीष्‍म काल अपनी दस्‍तक चूंकि अब देने ही वाला है अत: आपके लिए न्‍यूजपाई द्वारा बच्‍चों के लिए उचित वस्‍त्रों के संबंध में यहां संक्षिप्‍त जानकारी प्रस्‍तुत की गई है ।

मौसम के अनुसार वस्‍त्रों के संबंध में माता पिता हेतु ...




घर में शांति बनाये रखने और बुद्धिमत्ता साबित करने के लिए बच्चों की कहा-सुनी या झगड़े में आपका उचित ढंग से दखल देना महत्वपूर्ण होता है।

बच्चों के झगड़े में कैसे दें दखल


भारत में खाद्य सुरक्षा न होने की समस्या का गंभीर उदाहरण है 2013 में हुई 22 स्कूली बच्चों की मौत जैसे अफसोसनाक मामले।

भारत में विकराल हो रही खाद्य सुरक्षा समस्या





यह उत्पीड़न का प्रचलित माध्यम बन गया है क्योंकि सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी उपकरणों जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप आदि के ज़रिये कई बार सूचनाओं पर नियंत्रण और नज़र रख पाना संभव नहीं होता।

उत्पीड़न से कैसे निपटें


एक नये लेख में यह सवाल उठाया गया है कि क्या स्कूलों में धूप मिलने से बच्चों को मायोपिया जैसे रोगों से निजात मिल सकती है।

स्कूल में धूप क्या मायोपिया से बचाव है?




पॅट की देखभाल करने से बच्चों में ज़िम्मेदारी और समझ विकसित होती है। बच्चे सीखते हैं कि जीव की देखभाल करने के लिए योजनाएं बनायी जाती हैं, ध्यान रखा जाता है और कभी-कभी त्याग किये जाते हैं।

जी हां, बच्चों को दें एक पॅट का साथ


धन का प्रबंधन ज़िंदगी का अहम सबक है जो बचत करना, बजट बनाना आदि सिखाकर एक बेहतर जीवन जीना सिखाने में मदद करता है। आप बच्चों को बढ़ती उम्र से ही यह सिखाना शुरू कर सकते हैं।

बढ़ते बच्चों को सिखाइए पैसे से जुड़े सबक



अपने बच्चों को किताबों से जोड़ने के लिए आपका किताबों से जुड़ना महत्वपूर्ण है। रुचिकर, सूचनादायक और मज़ेदार किताबों का चयन करने से बच्चों का रुझान बढ़ता है। अभिभावकों का बच्चों के लिए किताबें ज़ोर से पढ़ना बहुत छोटी उम्र से पढ़ने की आदत डाल सकता है।

बच्चों को किताबों से जोड़ने के नुस्खे


13 प्रकार के फैक्टरों पर नज़र रखी गयी लेकिन अपवर्तन संबंधी एरर से ही मायोपिया का अनुमान बखूबी हुआ। इस सीधे परीक्षण में शोधकर्ताओं ने पाया कि शुरुआत में जिन बच्चों की नज़र सामान्य थी, 6 से 7 वर्ष की उम्र में उनमें दूरदृष्टि दोष के मामूली लक्षण दिखे।

6 की उम्र में नेत्र परीक्षण बताएगा, मायोपिया होगा कि ...


सरकार द्वारा हर साल 650 मिलियन कॉंडोम जारी किये जाते हैं लेकिन बिना किसी चित्र की अनाकर्षक पैकिंग के कारण यह लोगों को लुभा नहीं पाता। पैकिंग के कारण कई उपभोक्ताओं को लगता है कि इसकी क्वालिटि ठीक नहीं है इसलिए वे दूसरे ब्रांड्स की तरफ आकर्षित होते हैं।

नये रूप में आने वाला है निरोध कॉंडोम



स्वास्थ्य और प्रदूषण के संबंध को जानने के लिए अनेक शोध हो रहे हैं जो प्रदूषण के प्रभाव के कारण ऑटिज़्म, सीज़ोफ्रेनिया जैसे रोग होना बता रहे हैं। पशुओं पर किये जा रहे अध्ययनों में भी यही नतीजे मिल रहे हैं कि वायु प्रदूषण मस्तिष्क विकास को बाधित करता है।

प्रदूषण का सीधा असर अजन्मे शिशु के मस्तिष्क पर


देश भर में की गई एक ताज़ा रिसर्च के अनुसार प्रारंभिक स्कूलों में हर पांच में से एक शिक्षक पर्याप्त क्वालिफाइड नहीं है और छोटे राज्यों में स्थिति ज़्यादा खराब है।

5 में से 1 प्राथमिक शिक्षक क्वालिफाइड नहीं