
दूसरे क्षेत्रों की तुलना में भारतीय महिलाओं का वज़न कम है और गरीबी कम होने से कुपोषण कम होने का कोई संबंध नहीं दिख रहा है।
दूसरे क्षेत्रों की तुलना में भारतीय महिलाओं का वज़न कम है और गरीबी कम होने से कुपोषण कम होने का कोई संबंध नहीं दिख रहा है।
मानव के विकास के क्रम में एक समय आया जब मांओं के बड़े बच्चों ने छोटे बच्चों के पालन में मांओं का यहयोग किया जो आज भी देखा जाता है।
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिशियन्स के बच्चों के आदर्श कद, वज़न और बॉडी मास इंडेक्स के रिवाइज़्ड ग्रोथ चार्ट में तीनों पैमानों पर उल्लेखनीय
दुनिया भर में, पिछले कुछ सौ सालों के आंकड़ों से पता चलता है कि लिंग अनुपात में जन्म दर पुरुषों के पक्ष में रही है।
भारत में शिशु लिंग अनुपात और ज़्यादा असंतुलित हो रहा है, प्रति हज़ार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या सबसे बदतर स्थिति में है।
भारत में 40 फीसदी बच्चे 14 से 18 वर्ष की उम्र के हैं इसलिए उनकी समस्याओं का निदान तुरंत होना चाहिए। जबकि ऐसे बच्चे खुद अपनी समस्याओं को लेकर मुखर हो चुके हैं तो नये कानून भी बनने चाहिए।
"जैविक" टैगलाइन नाम के बहुत से ब्रांड्स बाजार में उपलब्ध हैं, परंतु प्रमाणित उत्पाद ही उपभोगताओं में विश्वास पैदा करते हैं । और अधिक जानकारी के लिए जैविक आहार पर हमारा लेख पढने के लिए यहां कल्कि करें
भारत में चालीस वर्ष से कम आयु का प्रत्येक बीस में से एक पुरूष जीवनसाथी की खोज में सफल नहीं हो पाएगा क्योंकि पर्याप्त संख्या में महिलाएं नहीं होंगी। इसका समाज पर गहरा प्रभाव हो सकता है। पता लगाए की कौन सा राज्य अधिक प्रभावित है और हमारे अन्योन्य क्रियापरक चार्ट के प्रत्येक आयुवर्गों के साथ इसकी तुलना कीजिये।