क्या आपको पता था कि भारत सरकार कॉंडोम बिज़नेस में है? परिवार नियोजन के लिए करीब 50 साल पहले से भारत सरकार द्वारा निरोध कॉंडोम सस्ते दामों पर सप्लाई किये जो रहे हैं। अब निरोध स्वास्थ्य मंत्रालय के एसटीडी सुरक्षा कार्यक्रम का भी हिस्सा है। एक समय में निरोध कॉंडोम बहुत आसानी से सुलभ थे और 1985 में 800 मिलियन कॉंडोम का उत्पादन हुआ था। बाज़ार में देशी और विदेशी प्रतिद्वंद्वियों के कारण इस ब्रांड की लोकप्रियता घट गयी क्योंकि अन्य उत्पादों को आनंद के गुणों से युक्त बताकर बेचा जाता है।
हिंदुस्तान टाइम्स के लेख के अनुसार, भारत सरकार द्वारा हर साल 650 मिलियन कॉंडोम जारी किये जाते हैं लेकिन बिना किसी चित्र की अनाकर्षक पैकिंग के कारण यह लोगों को लुभा नहीं पाता।
ऐसी पैकिंग के कारण कई उपभोक्ताओं को लगता है कि इसकी क्वालिटि ठीक नहीं है इसलिए वे दूसरे ब्रांड्स की तरफ आकर्षित होते हैं।
फिर भी, सरकार का पूर्ण विश्वास है कि इन कॉंडोम की क्वालिटि अन्य की तुलना में कम नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार इन कॉंडोम को सिर्फ नये लुक की ज़रूरत है ताकि इन्हें फिर से पुरानी लोकप्रियता हासिल हो सके।
ब्रांड की छवि सुधारने के लिए भारत सरकार अब इसकी पैकिंग को रंगीन और चित्रात्मक करने पर विचार कर रही है और उम्मीद कर रही है कि रेकिट बेकिंसर समूह द्वारा निर्मित ड्यूरेक्स और ऑस्ट्रेलिया की एंसेल लिमिटेड निर्मित कामसूत्र कॉंडोम से यह देशी और कम कीमत का ब्रांड टक्कर ले सकेगा।
ड्यूरेक्स की बात करें तो, इसके विभिन्न उत्पादों पर आकर्षक रंग होते हैं जबकि कामसूत्र ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उत्तेजक चित्र का इस्तेमाल करता है। दूसरी ओर, सरकार इस बात का भी ध्यान रख रही कि अब भी कई लोगों के लिए इस तरह के निरोधी उत्पाद खरीदना हिचकिचाहट का विषय है इसलिए पैकिंग को सिर्फ आकर्षक ही किया जाये न कि उत्तेजक। कॉंडोम की पैकिंग को और लुभावना बनाने के लिए सरकार अपने कोष में से और ध्रन निकालने की तैयारी कर रही है। फिलहाल इसका उत्पादन मूल्य 1.80 रुपये प्रति कॉंडोम है।
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