थियामिन एक अत्यावश्यक एवं महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो हमारे शरीर के विकास और उचित रूप से क्रियाशीलता के लिए आवश्यक है । इसे विटामिन बी1 अथवा “एन्टी स्ट्रेस” के नाम से भी जाना जाता है तथा यह हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और हमारे द्वारा सेवन किए गए भोजन को उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए अनिवार्य है ।
थियामिन युक्त खाद्य पदार्थ
थियामिन प्राकृतिक रूप से अनेक खाद्य पदार्थों में पाया जाता है जिनमें अन्न, दालें, माँस तथा मछली, एवं सोयाबीन, नट्स एवं बीजों जैसे फलीदार खाद्य पदार्थ आदि शामिल हैं । अन्य प्रकार के गोश्त की तुलना में सुअर के गोश्त में सर्वाधिक थियामिन पाया जाता है । इसके अतिरिक्त ब्रेड, चावल, दाले व अनाज (cereals) तथा पास्ता जैसे भोज्य पदार्थ भी थियामिन से युक्त होते हैं ।
बहुत कम लोगों में थियोमिन की न्यूनता की कुछ कमी होती है परन्तु यह ऐसे व्यक्तियों में ही कम हो सकती है जो अल्कोहल का सेवन अधिक करते हैं, डायबिटिज तथा एचआईवी अथवा एड्स से पीडि़त हैं । इससे अधिक आयु के वे व्यक्ति भी प्रभावित हो सकते हैं जिन्होंने कभी बॉरीऐट्रिक सर्जरी करवा ली हो ।
थियामिन से लाभ
- हमारे आहार कार्बोहाईड्रेट्स तथा वसा से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बी 1 की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । अन्य बी विटामिनों के साथ इसकी क्रियाशीलता से हमारे शरीर के कार्बोहाइड्रेट्स, वसा से रस प्रक्रिया (metabolize ) तथा प्रोटीन प्राप्त करता है और जो हमारे शरीर में इसका उपयोग कर उसे ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है । मस्तिष्क तथा हमारे नर्वस सिस्टम और साथ ही हमारी त्वचा, बाल, आंखों एवं लिवर की सही क्रियाशीलता के लिए भी यह अति आवश्यक है ।
- थियामिन का प्रयोग भूख कम लगने, अल्सर कोलिटिस (ulcerative colitis) तथा डायरिया जैसी पाचन से संबंधित समस्याओं के लिए भी किया जाता है । यह हमारे शरीर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के उत्पादन की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है जिससे हमारी पाचन प्रणाली का रखरखाव सही प्रकार से हो पाता है ।
- विटामिन बी1 एंटीऑक्सीडेंट का कार्य भी करता है तथा यह हमारे शरीर का फ्री रेडिक्लस से होने वाले खतरों से भी बचाव करता है ।
- प्रारम्भिक अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि थियामिन का प्रयोग पूरक रूप में करके मोतिया बिंद बढ़ने के जोखिम को कम किया जा सकता है ।
- थियामिन एक एकीकृत विटामिन है जो संकेन्द्रण एवं ऊर्जा को बढ़ाने, अत्याधिक तनाव को कम करने, तथा अलज्हीमर (Alzheimer) की बीमारी जैसे संभावित याददाश्त खो बैठने की समस्याओं से हमारा बचाव करता है । थियामिन के प्रयोग से सकारात्मक मानसिक व्यवहार भी कायम रखा जा सकता है तथा इससे हमारी अध्ययन क्षमता भी विकसित होती है । यही कारण है कि बी विटामिनों को अक्सर “तनाव से राहत दिलवाने वाले” विटामिनों के नाम से भी जाना जाता है ।
थियामिन की न्यूनता से होने वाले प्रभाव
वे व्यक्ति जिन्हें अपने भोजन में थियामिन की पर्याप्त मात्रा प्राप्त नहीं होती है अथवा जो इसका सेवन नहीं कर पाते हैं, वे याददाश्त खो बैठने, भ्रमित होने, भूख कम लगने, मासपेशियां कमजोर होने, वजन कम होने तथा हृदय की समस्याओं से पीडि़त हो सकते हैं । थियामिन की मात्रा अत्याधिक कम होने के परिणामस्वरूप हाथों तथा पैरों में संवेदन शून्यता एवं सिहरण उत्पन्न होने लगती है और मनुष्य की याददाश्त एवं दृष्टि कमजोर हो जाती है ।
थियामिन की न्यूनता से होने वाली अन्य स्थितियों में डायबिटिज, हृदय रोग एवं अलज्हीमर (Alzheimer) बीमारियां हो सकती हैं । डायबिटिज से पीडि़त रोगियों के रक्त में थियामिन की मात्रा का स्तर कम पाया गया है । हृदय की समस्या से पीडि़त रोगियों में भी थियामिन की कमी पाई गई है तथा थियामिन की न्यूनता का संबंध अलज्हीमर (Alzheimer) से भी है । यद्यपि इन स्थितियों के कारण अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो पाए हैं परन्तु इस संबंध में खोज अभी जारी है ।
क्या इससे उपचार प्रभावित होता है ?
थियामिन से अनेकों प्रकार के उपचार प्रभावित नहीं होते है तथा सामान्यत: आपको इस ओर ध्यान तभी देना चाहिए जब आप इसे केवल एक पूरक आहार के रूप में ग्रहण कर रहे हों । अपने स्वास्थ्य परामर्शदाता से परामर्श कर यह ज्ञात करें कि क्या आपको किसी प्रकार की दवा का प्रयोग करना चाहिए अथवा नही । फिर भी उक्त रक्तचाप एवं सूजन के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवा फुरोसमाइड (furosemide) व किमोथरेपी उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाली दवा फलुरोरासिल (fluorouracil) शरीर में थियामिन की मात्रा को कम कर सकती है ।
उचित विकास के लिए आपको थियामिन की आवश्यकता है । इससे आप अपने भोजन में से ऊर्जा की प्राप्ति कर सकते हैं । थियामिन से होने वाले सभी प्रकार के फायदों की जानकारी प्राप्त करने के लिए यहां क्लिक करें ।
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