हीट स्ट्रोक, हीट एक्ज़ॉस्शन से बचाव के नुस्खे


Photo: Belnieman | Dreamstime.com

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अब जब भारत में गर्मी का प्रकोप शुरू हो गया है, अभिभावकों के लिए ज़रूरी है कि वे अपने बच्चों को गर्मी संबंधी रेागों से बचाने के लिए सही कदम उठाएं। गर्मी में तीन तरह की समस्याएं होती हैं हीट क्रैंप, हीट एक्ज़ॉस्शन औश्र हीट स्ट्रोक।

हमारे शरीर के भीतर का तापमान 98.6 डिग्री फैरेनहाइट या 37 डिग्री सेल्सियस होता है और जब बाहर का तापमान इससे ज़्यादा हो जाता है तब भीतरी तापमान बढ़ सकता है। शरीर पसीने के माध्यम से ठंडक बनाये रखने की कोशिश करता है। अगर गर्मी ज़्यादा है, आर्द्रता अधिक है या कोई व्यक्ति बहुत ज़्यादा सक्रिय है तो शरीर ठंडक बनाने में नाकाम हो जाता है और इससे गर्मी की समस्याएं होती हैं।

हीट क्रेंप: गर्मी में होने वाली यह सामान्य शिकायत है। गतिविधि के दौरान इस्तेमाल की जा रही मांसपेशियों में यह शिकायत होती है जैसे पैर, भुजा, पेट या पीठ आदि की मांसपेशी। क्रैंप होने पर अपनी गतिविधि धीमी करें या रोकें, शरीर को सामान्य होने दें, इलेक्ट्रोलाइट्स युक्त पेय पिएं। नींबू पानी, लाइम सोडा या केला सोडियम, क्लोराइड औश्र पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं। नारियल पानी भी।

हीट एक्ज़ॉस्शन: अगर गर्मी का प्रभ व बढ़ता है तो यह शिकायत होती है। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

– त्वचा में ठंडक, आर्द्रता होने के साथ ही रोंगटे खड़े होना।

– बेहद पसीना बहना।

– बहुत थकान या कमज़ोरी।

– इनमें से कोई या सभी – सिरदर्द, बेहोशी, चक्कर-मितली

– बढ़ी हुई धड़कन लेकिन धीमी नब्ज़।

– मांसपेशीय खिंचाव – बच्चे यह ठीक से बता नहीं पाते लेकिन वह पैर दर्द जैसी शिकायतें करते हैं।

अगर किसी को हीट एक्ज़ॉस्शन हो तो उसे पूरी देखभाल और इलाज की ज़रूरत है। ऐस व्यक्ति को शरीर सामान्य होने पर पेय पदार्थ लेने चाहिए।

कूल डाउन होने के लिए कुछ सुझाव: किसी ठंडे स्थान पर जाएं, जहां एसी या कूलर हो, किसी पंखे के पास जा सकते हैं और त्वचा को किसी नम कपड़े से पोंछें। आराम के दौरान अपने पैरों को अपने हृदय से अधिक उंचाई पर रखें। ठंडे पानी से नहाएं या बाथ टब में ठंडे पानी में बैठें। अपने कपड़े उतारें औश्र ध्यान रखें कि जो भी कपड़ें पहनें वे ढीले औश्र हल्के हों।

पसीने और एक्ज़र्शन के कारण हुई पानी की कमी की भरपाई भी ज़री है। पीड़ित व्यक्ति को स्पष्ट रंगों के पेय जैसे पानी, फलों का रस, नारियल पानी या बिना कैफीन की चाय पीना चाहिए। कॉफी, नियमित चाय, कोला और दूध से बचाव की सलाह दी जाती है। भूख लगने पर फलों या सब्ज़ियों आदि का सेवन करें ताकि इनके ज़रिये पानी आपके शरीर में पहुंच सके जैसे तरबूज़, आम या खीरा आदि। केला भी पोटैशियम का अच्छा स्रोत है जो शरीर की क्रियाओं के लिए ज़रूरी तत्व है।

हीट स्ट्रोक – जब शरीर कूल डाउन या सामान्य होने की कोशिश में नाकाम हो औश्र तापमान 104 डिग्री फैरेनहाइट या 40 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो जाये तो तुरंत चिकित्सकीय देखरेख लें। यह खतरनाक स्थिति है। इसके लक्षण हीट एक्ज़ॉस्शन के समान ही हैं लेकिन तीव्रता और गंभीरता में अधिक:

– 104 डिग्री फैरेनहाइट या 40 डिग्री सेंटीग्रेड या इससे ज़्यादा तापमान।

– ठीक से बोल या सोच पाने की स्थिति में न होना, बहुत चिड़चिड़ापन।

– बहुत तेज़ धड़कन

– तेज़ और गहरी सांसें

– सिरदर्द, बेहोशी, चक्कर-मिती आदि

मेडिकल केयर के इंतज़ार के दौरान व्यक्ति को सामान्य करें। जैसे भी संभव हो, नहलाकर, ठंडी हवा से, सिर, गर्दन, कांख आदि अंगों पर पानी की पट्टियां या बर्फ रखकर।

अगर आपका बच्चा इस मौसम में बाहर जाता है तो उसे गर्मी संबंधी तकलीफों से बचाने के लिए कुछ मूलभूत नियमों का पालन करें।

– बच्चे को पर्याप्त से अधिक पानी पिलाएं।

– सही तरह के यानी आरामदेह कपड़े पहनाएं

– दिन के सबसे गर्म समय से परहेज़ करें और सीधे धूप में जाने से भी।

– अगर सीधी धूप में जा ही रहा हो तो सनस्क्रीन उसे सनबर्न से बचा सकती है।

शिश्ुाओं औश्र 4 साल से कम उम्र के बच्चों की त्वचा पसीने के द्वारा ठंडक बरकरार रखने की अभ्यस्त नहीं होती है इसलिए अभिभावकों को उन्हें ज़्यादा गर्मी से बचाना चाहिए। 65 वर्ष की उम्र के बाद अगर किसी को कोई बीमारी पहले ही है, या खास किस्म का इलाज चल रहा है तो उन्हें भी गर्मी संबंधी समस्या का खतरा ज्त्रयादा होता है। इस बारे में डॉक्टर का परामर्श लें।

अंततः बच्चों को कार में अकेला न छोड़ें, भले ही शीशे खुले हों। गर्मी में पार्क की गई एक कार में सिर्फ 10 मिनट के अंदर 20 डिग्री फैरेनहाइट या 11 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बढ़ सकता है। इतने कम वक्त में ही कार के अंदर तापमान 130 डिग्री फैरेनहाइट या 54 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकता है। कार अगर सीधे धूप में न भी खड़ी हो तो भी उसके अंदर तापमान बढ़ जाता है।

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