भारत में रोजगार विकास के क्षेत्र


जो अभी स्कूल में पढ़ रहे हैं या कोई नया हुनर सीखने की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए यह जानना फायदेमंद है कि भारत सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में 24 स्किल्ड क्षेत्रों में प्रगति का लक्ष्य है। सरकार का यह भी अनुमान है कि 2022 में 2013 की अपेक्षा 11 करोड़ अधिक करीब 58 करोड़ स्किल्ड जॉब होंगे। इसके साथ ही, सरकार स्किल आकलन के लिए नये मानक बनाने पर विचार कर रही है और इस बदले हुए ढांचे के अनुसार ही ट्रेनिंग कार्यक्रमों और सरकारी नियुक्तियों की फंडिंग से जुड़े नियमों में भी संशोधन होगा।

जिन क्षेत्रों में अधिकतम विकास की संभावना है, उनमें आश्चर्यजनक रूप से, प्रौद्योगिकी, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार आदि क्षेत्र रोजगारमूल दस शीर्ष क्षेत्रों में नहीं होंगे। हेल्थकेयर भी प्रमुख क्षेत्रों में नहीं है। भारी उद्योग उत्पादन भी टॉप 5 में शामिल न होने का अनुमान है। जिन क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा रोज़गार पैदा होने का अनुमान है उनमें कृषि, कंस्ट्रक्शन और रिटेल शामिल हैं। अनुमान है कि 2022 में कृषि क्षेत्र में 21 करोड़ से ज़्यादा रोज़गार के अवसर मिलेंगे। जारी किये गये चार्ट में कृषि के अलावा अन्य सभी क्षेत्र बहुत पीछे दिखते हैं क्योंकि यह बहुत बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है।

स्किल्ड नौकरियों में अनुमानित वृद्धि

विवरण के लिए चार्ट पर माउस घुमाएं या टच करें। उस डेटा द्वारा आइटम

छांटने के लिए क्लिक या टच करें और वापस डिफॉल्ट ऑर्डर पर जाने के लिए

फिर से क्लिक करें।

दक्षता विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव सुनील अरोड़ा का कहना है कि सरकार स्किल विकास की दिशा में अपनी सोच बदल रही है और इसे मांग पर आधारित अधिक बना रही है। रोज़गार के बढ़ते आंकड़ों के साथ ही, इस रिपोर्ट में हर क्षेत्र में जॉब रोल और स्किल गैप पर भी चर्चा है। एक सलाहकार फर्म केपीएमजी द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट में 1000 उद्योग विशेषज्ञों, 1500 प्रशिक्षुओं, स्किल परिषदों और 100 से अधिक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूटों की राय शामिल है।

इस रिपोर्ट को जारी करते समय, मंत्रालय ने बार-बार जिस बात पर ज़ोर दिया है, वह है नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) को लागू करना। यह प्रतिस्पर्धा आधारित फ्रेमवर्क होगा जो ज्ञान, हुनर और एप्टिट्यूड के विभिन्न स्तरों पर क्वालिफिकेशन सुनिश्चित करेगा। इस फ्रेमवर्क का बड़ा असर होने का अनुमान है क्योंकि दिसंबर 2016 के बाद से सरकार एनएसक्यूएफ के दायरे में न आने वाले हर तरह के शैक्षणिक कार्यक्रम को फंड देना बंद कर देगी। दिसंबर 2018 के बाद यह अनिवार्य हो जाएगा कि हर शैक्षणिक कार्यक्रम इसके अनुसार ही संचालित हो। और तो और, केंद्र सरकार और उसके पीएसयू में नियुक्तियों के लिए योग्यता का पैमाना भी एनएसक्यूएफ के हिसाब से बदलेगा। राज्य सरकारों से भी इस फ्रेमवर्क को अपनाने के लिए कहा जाएगा।

इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य यह होगा कि सरकार द्वारा फंडेउ सभी शैक्षणिक संस्थानों में क्वालिटि के स्तर पर एक समानता हो। प्रवेश भी इसी आधार पर दिये जाने की बात कही गई है। चूंकि प्राइवेट संस्थानों से भी इस फ्रेमवर्क को अपनाने के लिए कहा जाएगा इसलिए रोजगार के अनुमानित विकास को हासिल करने में यह एक राष्ट्रीय नीति का रूप ले लेगा।

यदि आप इस लेख में दी गई सूचना की सराहना करते हैं तो कृप्या फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक और शेयर करें, क्योंकि इससे औरों को भी सूचित करने में मदद मिलेगी ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *