बच्चों के झगड़े में कैसे दें दखल


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बच्चों के झगड़े अभिभावकों का सिरदर्द हो सकते हैं। अगर आपके बच्चे आपस में उलझते हैं तो आप क्या कर सकते हैं? घर में शांति बनाये रखने और अपनी बुद्धिमत्ता साबित करने के लिए बच्चों की कहा-सुनी या झगड़े में आपका उचित ढंग से दखल देना महत्वपूर्ण होता है।

बच्चों का झगड़ा देखकर आपकी पहली प्रतिक्रिया यह हो सकती है कि आप एक कड़क फैसला सुना दें कि कौन सी है और कौन गलत। लेकिन हो सकता है कि यह सर्वोत्तम तरीका न हो। जब आप बच्चों के विवाद में दखल देते हैं तो बच्चे आपके निर्णय को अपने ढंग से समझते हैं और आपके निर्णय की निष्पक्षता को जांचते हैं। ऐसे में वे उलझाने वाले सवाल करते हैं जैसे ‘‘आप किसे ज़्यादा प्यार करते हैं?’’ या ‘‘आपको कौन ज़्यादा प्रिय है?’’ इन सवालों का जवाब बहुत सामान्य लगता है कि आपने जिसके पक्ष में निर्णय दिया है, उसी की तरफ आपका झुकाव है।

इस तरह की स्थिति को टालने के लिए, अपने बच्चों के विवाद में केवल उनकी मदद करने के लिए दखल दें और उन्हें खुद किसी नतीजे पर पहुंचने दें, अपना कोई निर्णय न दें। इस ढंग से उन्हें यह सबक मिलता है कि वे अपने विवाद कैसे सुलझाएं, घर के भीतर भी और बाहर भी।

घर में बच्चों के विवाद का मुख्य कारण अक्सर यह देखा जाता है कि अभिभावक किसे ज़्यादा चाहते हैं या किस पर ज़्यादा ध्यान देते हैं। आपके स्नेह और ध्यान देने के सिलसिले में एक बच्चा अक्सर खुद को दूसरे की तुलना में उपेक्षित महसूस कर सकता है। इस तरह की स्थितियों और भावनाओं को टालने के लिए आप बच्चों के साथ पर्याप्त क्वालिटि समय बिताएं। और सभी बच्चों से वन ऑन वन बात करें और अपने प्यार का एहसास कराएं। जब बच्चों को आपका पूरा ध्यान मिलता है तो उनमें इस तरह के विवाद होने की आशंकाएं कम हो जाती हैं।

बच्चे के साथ समय बिताने का एक तरीका यह है कि आप उसके साथ उसकी रुचि के खेल या काम में समय दें। इससे आप दोनों व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे से जुड़ते हैं। गले लगने जैसे शारीरिक और बच्चे का उत्साह बढ़ाने या तारीफ करने जैसे भाषिक तरीकों से आप स्नेह जता सकते हैं। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह आपके स्नेह के लिए खुद को सुरक्षित महसूस करता है इसलिए दूसरे बच्चों से आपके ध्यान देने के मुद्दे पर झगड़ा नहीं करता।

और आखिरकार, कभी-कभी अपने बच्चे में कोई अक्षमता दिखे तो हताश न हों। शोधों में पता चला है कि जो बच्चे आपस में बहस करते हैं, वे एक-दूसरे से ज़्यादा जुड़ाव भी महसूस करते हैं और बड़े होकर उनके बीच गहरा रिश्ता बनता है। तो अपने बच्चों में रिश्तों की इस हरारत को महसूस करें और और इसे बरकरार रखने में सहयोग करें। याद रखें कि थोड़ी कहा-सुनी, मज़ाक या कभी-कभी के विवाद उनके जीवन का हिस्सा हैं।

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