जबकि चारों तरफ से तकनीक का हमला जारी है, ऐसे में आपके लिए कठिन है कि आप टैबलेट, टीवी या मोबाइल फोन जैसे बेअक्ली के मनोरंजन से अपने बच्चों को बचा सकें और उन्हें अच्छी किताबें पढ़ने के लाभ समझा सकें। तो आप अपने बच्चों को बटन दबाने के बजाय पन्ने पलटना कैसे सिखाएंगे? सच मानिए उन्हें किताबों से जोड़ने के लिए आपमें लगन होना बहुत ज़रूरी है।
“हम यह बताना चाहते हैं कि अभिभावकों का बच्चों के लिए किताबें ज़ोर से पढ़ना न सिर्फ मज़ेदार है, बल्कि ज़रूरी भी है।” याहू पेरेंटिंग को स्कॉलैस्टिक पेरेंट्स चैनल के उपाध्यक्ष मैगी मैक्गायर बताते हैं कि “किताबों को ज़ोर से पढ़ने से बच्चों की कहानी समझने की क्षमता का विकास होता है और बच्चे इसका आनंद लेते हैं। साथ ही, इससे बच्चों का शब्दकोश विस्तृत होता है और उनकी किताबें पढ़ने की आदत में ये जीवन से मिली कहानियां मददगार होती हैं।”
स्कॉलैस्टिक बच्चों की किताबों के अग्रणी प्रकाशक हैं जो अनेक देशों के साथ ही भारत में भी दखल रखते हैं। इसलिए उनकी बात दरकिनार करना मुनासिब नहीं और वैसे भी, अन्य अनेक शिक्षाविद बच्चों को इस तरह पढ़ाने की वकालत करते हैं।
इस तरह से पढ़ाकर आप बच्चों में बहुत छोटी उम्र से ही पढ़ने की आदत डाल सकते हैं। और जब आपको लगे कि आपका बच्चा खुद पढ़ना सीख गया है तब भी यह सिलसिला बंद न करें। थोड़े बड़े बच्चे भी इस तरह से पढ़ाया जाना पसंद करते हैं और इससे उनकी पढ़ने की तरफ रुचि बनी रहती है। इसके साथ ही, एक ही किताब बार-बार पढ़ने से आप बच्चे को उसके बारे में चर्चा करना सिखा सकते हैं और और रुचि के विषय भी मालूम कर सकते हैं।
अपने बच्चों को किताबों से जोड़ने के लिए आपका किताबों से जुड़ना महत्वपूर्ण है। रुचिकर, सूचनादायक और मज़ेदार किताबों का चयन करने से बच्चों का रुझान बढ़ता है। आपके बच्चे को जो मज़ेदार लगे, उस तरह की किताबें चुनें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि अपने बच्चे को बुक स्टोर साथ लेकर जाएं और उसे किताबें चुनने को कहें और कुछ किताबें उससे खुद पढ़ने को भी कहें। जिन किताबों में चित्रों के ज़रिये कहानी हो, वे ज़्यादा दिलचस्प होती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि आप बच्चों को ऐसी किताबें न दें जो उनकी समझ से आगे की बातें बताती हैं। इससे उनके पढ़ने की रुचि पर नकारात्मक असर पड़ता है।
जैसे आप दूसरी आदतों में करते हैं, वैसे ही किताबें पढ़ने की आदत में भी आप उनके रोल मॉडल बनें। रेसिपी पढ़कर पकाना या बोर्ड गेम्स खेलने की परिवार की आदतें भी बच्चों को पढ़ाई के प्रति आकर्षित करती हैं।
जब आप अपने बच्चे को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो आपको उसके दूसरे तरह के मनोरंजन में बाधा नहीं डालनी चाहिए जैसे कंप्यूटर गेम्स, टीवी आदि एक सीमा तक ठीक हैं। बच्चे को यह न महसूस हो कि उसे पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है बल्कि पढ़ना हमेशा आनंददायक होना चाहिए।
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