बच्चों की परवरिश के बारे में फैसला करते वक्त अभिभावक को कई तरह की भावनाएं प्रभावित करती हैं। हालांकि सभी भलाई के भाव से उत्पन्न होती हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि सभी सही विकास में सहायक हों। इसके दो तरीके हैं: डर के आधार पर लिये गये फैसले और प्यार के आधार पर। पहला तरीका दर्शाता है कि आप बच्चे से अपेक्षा करते हैं कि वह आपके आपकी इच्छाओं पर खरा उतरे, सर्वश्रेष्ठ बने। इससे बच्चे के सामने बाधा आने पर वह तनावग्रस्त होता है। आपकी अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने के दबाव में आप और वह दोनों ही चिंतित और तनाव में रहते हैं।
इसके उलट, अपनी अपेक्षाओं और अपने पैमानों को छोड़ें और अपने बच्चे को उन्मुक्त होने दें। उसे किसी और जैसा नहीं बल्कि उसके जैसा ही बनने दें और उसे वैसे ही स्वीकार करें तो आप देखेंगे कि उसकी वैयक्तिकता आश्चर्यजनक परिणाम देगी और आप दोनों के बीच एक बेहतर रिश्ता भी कायम होगा।
ज़रूरत से ज़्यादा नियंत्रण का मतलब है कि आपका बच्चा आपसे दूर हो रहा है और वह धीरे-धीरे बागी हो रहा है। हो सकता है कि बात इससे भी आगे बढ़ जाए। लेकिन जब आप अपनी असुरक्षित भावनाओं और एक अच्छे अभिभावक न बन पाने के डर से छुटकारा पा लेते हैं तो आप बच्चे की ज़रूरतों और व्यक्तित्व को ठीक से समझ पाते हैं। अगर आप अपनी कमज़ोरियों और डर को अपना लेंगे तो अपनी चिंताओं को अपने बच्चे पर थोपने से बचना बहुत आसान हो जाएगा।
पालन-पोषण को लेकर चिंताओं से निपटने के लिए यहां कुछ सुझाव हैं:
– अपने बच्चे की सफलता को लेकर जल्दी-जल्दी चिंतित न हों। विश्वास रखें कि बच्चों की बेहतर ज़िंदगी के लिए अच्छा पालन-पोषण कर रहे हैं।
– असफलताओं से डरें नहीं। नाकामी सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है जो बच्चों को जीवन के बारे में अहम सबक सिखाती है।
– सिर्फ ग्रेड्स और मार्कशीट पर फोकस करने के बजाय बच्चे को विकसित होने का ऐसा माहौल दें जहां बच्चा आपसे मदद या मार्गदर्शन लेने में कतराये-घबराये नहीं।
– सहृदयता के माध्यम से बच्चे को समझाने के लिए तार्किक तरीके अपनाएं न कि हमेशा उसे आदेश दें। जैसे कि आपका बच्चा गलत बर्ताव कर रहा है तो फौरन उसे कोई भी सज़ा देने के बजाय आप उसे ठीक से समझा सकते हैं कि वह क्या और क्यों गलत कर रहा है।
– बच्चों को ऐसी गतिविधियों में ज़बरदस्ती न उलझाएं जिनका वह आनंद नहीं ले पाता बल्कि उसके लिए ऐसी गतिविधियां चुनें जिनमें उसे मज़ा आता है और जो उसके लिए लाभदायक हैं।
– याद रखें, बच्चे को सही परवरिश देने में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि उसके सामने आपकी छवि कैसी है। आप अपने आपको उसके सामने कैसे प्रस्तुत करते हैं।
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