कितने सफाईपसंद रहें हम?


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जहां कुछ लोग अपने बच्चों के लिए बेहद सफाई का खयाल रखते हैं वहीं कुछ लोग इस पर ज़्यादा ज़ोर नहीं देते। वास्तव में, अगर बच्चों को थोड़ा बहुत जीवाणुओं के संपर्क में आने दिया जाए तो उनका प्रतिरोधी तंत्र बेहतर बनने में मदद होती है और वे जीवाणुओं से लड़ने में अधिक सक्षम होने के कारण अस्थमा और एलर्जी आदि से बचे रह सकते हैं।

हाइजीन काउंसिल के सर्वे के हवाले से, वेबएमडी द्वारा प्रकाशित लेख के अनुसार 5 साल से कम उम्र के बच्चों की 77 फीसदी माताएं मानती हंर कि उनके बच्चे थोड़े-बहुत जीवाणुओं के संपर्क में रहें ताकि उनका प्रतिरोधी तंत्र मज़बूत हो सके। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का समूह हाइजीन काउंसिल स्वास्थ् पर फोकस करता है और इसे रेकिट बेंकिसर, जो वेबएमडी का प्रायोजक है, से शैक्षिक ग्रांट मिलती है।

हममें से कई लोग बेहद स्वास्थ्यवर्धक जीवन जीते हैं जैसे शुद्ध और फिल्टर पानी पीते हैं, जर्म-फ्री भोजन करते हैं, उनके लिए बैक्टीरिया के संपर्क में रहना सामान्य नहीं है। और यह उन बच्चों के लिए भी आदर्श नहीं है जिनका इम्यून सिस्टम विकसित हो रहा है। इसलिए स्वास्थ्य के नज़रिये से कुछ स्तरों पर तो सावधानी रखनी चाहिए लेकिन रूटीन जीवाणुओं से बचाव की ज़रूरत से ज़्यादा कोशिश भी नहीं होना चाहिए।

उदाहरण के लिए, वेबएमडी पर कैथलीन बार्नेस, पीएचडी, कहती हैं कि जो बच्चे पालतू जानवरों के संपर्क में विकसित होते हैं, उनमें अस्थमा की आशंका कम होती है। वे बच्चे जो ठंडे और अन्य वातावरणीय जर्म्स के संपर्क में रहते हैं, उनमें एलर्जी, अस्थमा और अन्य संक्रमणों की आशंका कम होती है।

यही तर्क एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल पर भी लागू होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कई सामान्य बीमारियां विषाणुओं के कारण होती हैं, जीवाणुओं के कारण नहीं। चूंकि एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल जीवाणुओं से निपटने के लिए होता है इसलिए ज़रूरत पड़ने पर ही बच्चों को दी जाना चाहिए। एंटीबायोटिक्स कई बार उपयोगी जीवाणुओं को भी नष्ट कर देती हैं जिनके कारण घातक जीवाणुओं से लड़ने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है। और तो और, इसके अधिक इस्तेमाल के कारण बच्चों में इसी के विरुद्ध एक प्रतिरोध पैदा हो जाता है।

एंटीबैक्टीरियल उत्पादों पर इसलिए भी सवाल खड़े होते हैं क्योंकि स्वास्थ्य की दृष्टि से अब तक कोई प्रमाण नहीं है कि एंटीबैक्टीरियल साबुन सामान्य साबुन से ज़्यादा असरदार है। कुल मिलाकर बात यह है कि हम रोज़मर्रा में अनगिनत बैक्टीरिया, जर्म्स और विषाणुओं के संपर्क में आते हैं लेकिन इनमें से बहुत थोड़े ही आपको गंभीर रूप से बीमार करने के कारण बनते हैं। इसलिए हाथ धोने जैसे बचाव और सुरक्षाएं तो ज़रूरी हैं लेकिन इनके संपर्क से बच पाना तो असंभव है, बल्कि यह कई बार उपयोगी भी होता है।

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