आम तौर से इस्तेमाल किये जाने वाले प्लास्टिक उत्पादों में कुछ ऐसे रसायन होते होते हैं जो बच्चों और किशोरों की सेहत से संबंधित हैं एक ताज़ा शोध में संकेत है कि रोज़मर्रा में उपयोग में लाये जाने वाले उत्पादों जैसे प्लास्टिक रैप आदि में दो रसायन पाये जाते हैं जो उच्च रक्तचाप व बच्चों में अन्य समस्याएं पैदा करने के कारण हो सकते हैं।
फॉक्स न्यूज़ के एक लेख के मुताबिक, ये रसायन डिसोनोनाइल फैथलैट (डीआईएनपी) और डिसोडेसिल फैथलैट (डीआईडीपी) हैं। ये साबुन, प्लास्टिक रैप, भोजन के कंटेनरों और कॉस्मेटिक्स में इस्तेमाल होते हैं। विडंबना यह है कि इनका इस्तेमाल उन रसायनों के स्थान पर किया जा रहा है जिन्हें सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है।
एनवाययू लैंगोन मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक डॉ. लिओनार्डो ट्रैसेंड ने कहा कि ‘‘हमारे शोध में उन रसायनों को लेकर चिंता पैदा करने वाले नतीजे मिले हैं जिनसे इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध, रक्तचाप में उछाल और अन्य मेटाबॉलिक अनियमितताओं की आशंका संभव है।’’
हाइपरटेंशन नामक जर्नल में प्राकशित इस अध्ययन के लिए, 8 से 19 साल के 1329 बच्चों का विश्लेषण किया गया। उनके ब्लड प्रेशर और उनके मूत्र में डीआईएनपी और डीआईडीपी के स्तरों को मापा गया। नतीजे ये मिले कि, औसतन, इन दो रसायनों के स्तर में प्रति 10 फोल्ड वृद्धि होने से इन बच्चों में ब्लड प्रेशर लगभग एक प्वाइंट ज़्यादा हुआ। शोधकर्ताओं के अनुसार, हालांकि यह वृद्धि मामूली है लेकिन लोगों की संख्या के हिसाब से इसे महत्वपूर्ण समझा जा सकता है।
क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज़्म नामक जर्नल में इस साल मई में प्रकाशित इन्हीं शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में इन रसायनों के बच्चों में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध पैदा होने से संबंध का विश्लेषण किया गया था। इसमें, 12 से 19 साल के 356 किशोरों का विश्लेषण किया गया और देखा गया कि टाइप 2 डायबिटीज़ का कारण बनने वाले इंसुलिन प्रतिरोध के लिए ये रसायन क्या भूमिका निभाते हैं।
जिन बच्चों के मूत्र नमूनों में इन रसायनों का स्तर ज़्यादा था वे इंसुलिन प्रतिरोध के खतरे में पाये गये। डीआईएनपी के ज़्यादा स्तर वाले तीन में से एक किशोर में इंसुलिन प्रतिरोध देखा गया। ट्रैसेंड का कहना है कि लिपिड और कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्त्रम के लिए अहम जीन्स के कार्य में ये रसायन परिवर्तन कर देते हैं जिसका असर ब्लड प्रेशर और इंसुलिन प्रतिरोध पर पड़ता है।
इन रसायनों से जुड़े खतरों को कम करने के लिए, ट्रैसेंड सलाह देते हैं कि लोगों को प्लास्टिक के बर्तनों में भोजन को माइक्रोवेव नहीं करना चाहिए और न ही प्लास्टिक रैप करना चाहिए। प्लास्टिक फूड कंटेनर को हाथ से धोना डिशवॉशर की तुलना में बेहतर है क्योंकि डिशवॉशर से धोने से बाद में भोजन में प्लास्टिसाइज़रों के शामिल होने का खतरा बढ़ जाता है।
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