अच्छी सेहते के लिए ज़रूरी है फ्लॉसिंग


अच्छी सेहते के लिए ज़रूरी है फ्लॉसिंगकई लोग रोज़ाना दो बार दांतों पर हल्के से ब्रश करने की आदत डाल चुके हैं। आप इनमें शामिल हैं, तो अच्छा है। लेकिन, कई लोग फ्लॉसिंग को लेकर गंभीर नहीं हैं। भारत में, यह आदत सामान्य नहीं है, डेंटिस्ट भी नहीं करते। एक सर्वे में , 15 फीसदी दंत चिकित्सकों ने कहा कि उन्होंने कभी फ्लॉस नहीं किया और 5 में से केवल 1 दंत चिकित्सक ने कहा कि वह रोज़ फ्लॉस करते हैं जबकि 86 फीसदी ने माना कि दांतों की सेहत के लिए फ्लासिंग ज़रूरी है , पता चला कि सिर्फ 64 फीसदी डेंटिस्ट अपने मरीज़ों को फ्लॉसिंग की सलाह देते हैं। फ्लॉसिंग के कई फायदे हैं इसलिए अपने दांतों की सुरक्षा के लिए इस आदत को अपनाएं।

दांतों को ठीक से ब्रश करने के बावजूद भोजन के कुछ अवशेष दांतों के बीच रह जाते हैं और इनसे जीवाणु पनपते हैं। फ्लॉसिंग से आप दांतों के प्लाक से निजात पा सकते हैं। प्लाक असल में अतिसूक्ष्म जीवाणुओं का घर है जो आपके द्वारा खाये हुए कार्बोहाइड्रेट को अम्ल में बदल देता है। यह अम्ल दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचाता है और यहीं से दांतों का क्षय शुरू होता है।

मसूड़ों की सुरक्षा के लिए

मसूड़ों के आसपास होने वाले प्लाक के कारण गिंगिवाइटिस की समस्या होती है, यह मसूड़ों की जलन है। फ्लॉसिंग से प्लाक हटाने में मदद होती है। कैरोलिनास सेंटर इन शार्ले, एन.सी. के प्रोफेसर पीटर लॉकहर्ट कहते हैं ‘‘अगर आप कहीं भी 100 लोगों पर नज़र डालें जिनकी डाइट और बाकी जीवनचर्या समान हो लेकिन उनमें से कुछ फ्लॉस करते हों और कुछ नहीं, तो जो फ्लॉस नहीं करते उनमें आप जलन और मसूड़ों की तकलीफ और शायद बोन लॉस की समस्या भी पाएंगे। अगर आप इनकी सुरक्षा चाहते हैं तो इन्हें साफ रखना होगा।’’

दिल के रोगों के खतरे को घटाने के लिए

दांतों और उनके आसपास के हिस्सों में होने वाले रोगों के साथ कार्डियोवैस्कुलर रोगों का सबंध होने के उल्लेखनीय प्रमाण मिल चुके हैं। एक सिद्धांत तो यह है कि प्लाक खून में शामिल हो जाता है और धमनियों में आता है जिससे दिल के रोग (LINK) होते हैं। तो नियमित रूप से फ्लॉस करना इस खतरे से बचने में मददगार हो सकता है। वेबएमडी ने लिखा है कि अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेरिओडोंटोलॉजी के अनुसार, ‘‘जो लोग पेरिओडोंटल रोगों से ग्रस्त होते हैं उनके दिल के रोगों से ग्रस्त होने की आशंका दोगुनी होती है। और एक अध्ययन में पाया गया है कि मुंह की आम समस्याओं जैसे मसूड़ों की समस्या, कैविटि और दांतों का क्षय आदि को मद्देनज़र रखते हुए दिल के रोगों जैसे कॉलेस्ट्रॉल स्तर आदि का अनुमान लगाया जा सकता है।’’

ठीक से फ्लॉस सीखना

फ्लासिंग महत्वनूर्ण है लेकिन ठीक से न करने से नुकसान हो सकता है। चूंकि दांत आपस में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं इसलिए इनके बीच में फ्लॉस को गलत ढंग से घुसाने से मसूड़ों को नुकसान हो सकता है। लॉकहर्ट के अनुसार, ‘‘आपको फ्लॉस को संपर्क बिंदु से प्रविष्ट करना चाहिए – न कि कहीं से भी क्योंकि इसके दूसरी तरफ मसूड़े के उतक हैं जिन्हें नुकसान हो सकता है।’’

फ्लॉसिंग के लिए कुछ बेसिक टिप्स:

फ्लॉस की लंबाई इतनी लें कि उंगलियों पर बार-बार उसे रैप किया जा सका। कम से कम 30 सेमी ज़रूरी है, वैसे 45 सेमी आदर्श है। फ्लॉस को दोनों हाथें की बीच की उंगलियों में कई बार लपेटें, फिर इसे दोनों हाथों के अंगूठों और पहली उंगलियों से पकड़ें। आपको 10-15 सेमी अपने हाथों में रखना चाहिए।

एक हाथ के अंगूठे और पहली उंगली को अपने मुंह के अंदर दांत के पीछे रखें। सामने के उपरी दांत से शुरू करें क्योंकि यहां फ्लॉस करना सबसे आसान है। फ्लॉस को आगे-पीछे हिलाते हुए मसूड़े की तरफ हिलाएं। जैसे ही यह मसूड़े के बेस तक पहुंचे, फ्लॉस को दांत की तरफ मोड़ें, C के आकार में, और आगे-पीछे हिलाना जारी रखें। फ्लॉस मसूड़े और दांत के बीच होना चाहिए।

फ्लॉस को दूसरी ओर मोड़ें और दूसरी तरफ को भी साफ करें। धीमे-धीमे शुरू करें और फिर बाकी दांतों को भी ऐसे ही साफ करें। पहली बार फ्लॉसिंग करने पर मसूड़ों में एक गुदगुदी सी महसूस होगी जो सामान्य है। अगर इससे दर्द या खून निकलता है तो दंत चिकित्सक की सलाह लें।

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