आपके शरीर में हड्डियों, मांसपूशियों, त्वचा, रक्त और कार्टिलेज के निर्माण में प्रोटीन बेहद ज़रूरी है। यह उतकों, एंज़ाइमें, हार्मोन और अन्य रसायनों के निर्माण व मरम्मत के लिए भी ज़रूरी है। लेकिन ताज़ा अध्ययन में संकेत मिला है कि भारतीय भोजन में सामान्य स्प से प्रोटीन तत्व की कमी होती है। यह बात मांसाहारियों के लिए भी लागू होती है और कुछ लोगों को हैरत होगी यह जानकर कि भारतीयों मांसाहारियों का बहुमत है। भारतीय अपनी रोज़मर्रा की डाइट में पर्याप्त प्रोटीन लेते हैं या नहीं, यह जानने के लिए मल्टी सिटि सर्वे किया गया। एक मार्केट रिसर्च कंपनी आईएमआरबी द्वारा 126. भारतीयों के साथ किये गये इस सर्वे के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि इसमें पाया गया कि रोज़मर्रा के आहार में 10 में से 9 भारतीय ज़रूरत से बहुत कम प्रोटीन का सेवन करते हैं। इनमें 91 फीसदी शाकाहरी और 85 फीसदी मांसाहारी लोग कम प्रोटीन खाते हैं। सर्वे के अनुसार, मुंबई में सबसे कम 68 फीसदी प्रोटीन गैप देखा गया जबकि दिल्ली में सबसे ज़्यादा 99 फीसदी।
सर्वे में कहा गया है ‘‘प्रतिभागियों पर किये गये परीक्षण में पता चला कि 88 फीसदी लोगों के आहार में प्रोटीन की मात्रा आदर्श से कम थी। इसका मतलब है कि प्रोटीन की ज़रूरत और सेवन में भारी अंतर है।’’ पर्याप्त प्रोटीन का सेवन न करने से आप स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को न्यौता देते हैं। प्रोटीन की कमी के प्रारंभिक लक्षाणें में थकान और कमज़ोरी हैं। अन्य लक्षणों में वज़न घटना, बाल झड़ना और त्वचा का रूखा होना। आंतरिक रूप से, प्रोटीन की कमी के कारण आपके अंगों को क्षति पहुंचती है और प्रतिरोधी तंत्र बिगड़ जाता है।
विशेषज्ञ चिकित्सक शशांक जोशी का कहना है कि ‘‘बीएमजे ओपन जर्नल में प्रकाशित हुए मेरे एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में लोग स्टार्च व फैट का ज़रूरत से ज़्यादा और प्रोटीन का ज़रूरत से कम सेवन करते हैं। प्रोटीन की कमी की वजह से ही भारतीयों में मांसपेशियों के रोग ज़्यादा
पाये जाते हैं।’’
वास्तव में, प्रोटीन को अधिकता में आहार में शामिल करने से आप कई लाइफस्टाइल रोगों जैसे डायबिटीज़ और हाई ट्राइग्लाइसराइड आदि से बच सकते हैं। लेकिन भारत में, बिना भोजन संबंधी शिक्षा के यह एक चुनौती है कि डाइट में पर्याप्त प्रोटीन शामिल हो सके।
न्यूट्रिशनिस्ट शिल्पा जोशी कहती हैं ‘‘ऐसा नहीं है कि शाकाहार में प्रोटीन नहीं होते लेकिन एक फल में प्रोटीन का तत्व एक अंडे में प्रोटीन के तत्व की तुलना में आसानी से पचने योग्य नहीं होता। अगली बार अपनी थाली में कुछ भी परोसने से पहले खुद से सवाल करें: क्या इसमें प्रोटीन है? अगर न हो तो उसे खाने से बचें।’’
मीट के अलावा, अंडे और दूध, दही व पनीर जैसे डेरी उत्पाद प्रोटीन के स्रोत हैं, साथ ही साबुत अनाज, बीन्स, नट्स, बीज, आलू, ब्रोकली और पालक आपकी डाइट में प्रोटीन के स्रोत हैं। बच्चों के स्नैक्स में प्रोटीन शामिल करने की गाइड के लिए यहां क्लिक करें।
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