नवजातों की दृष्टि के बारे में चौंकाती खबर


Surprising news about what newborns see

Photo: Shutterstock

पहले के शोध में इंगित हुआ था कि नवजात शिशु करीब 30 सेमी की दूरी पर होने पर चेहरे देख सकते हैं। लेकिन क्या वे चेहरे के हाव-भाव के फर्क को देख या समझ पाते हैं? यह सवाल नॉर्वे में अब रिटायर्ड प्रोफेसर स्वीन मैग्नसेन ने 15 साल पहले पूछा था। लेकिन अब उन्हें लगता है कि उन्हें इसका जवाब मिल गया है। वह कहते हैं कि हां, एक नवजात एक्सप्रेशन देख सकता है अगर आप उससे 30 सेमी की दूरी के दायरे में हैं तो।

ओस्लो यूनिवर्सिटि के इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोलॉजी के शाधकर्ताओं ने स्वीडन की अप्सला यूनिवर्सिटि और स्टॉकहोम स्थित एक्लिप्स ऑप्टिक्स के साथियों के साथ मिलकर यह अध्ययन किया।

गणित, तकनीक और नवजात के देखने संबंधी पिछले शोधों की बारीकियों के साथ शोधकर्ता यह प्रदर्शित कर सके कि नवजात विज़ुअल परसेप्शन रखते हैं। इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोलॉजी के प्रोफेसर स्वीन ने कहा ‘‘पहले, जब शोधकर्ताओं ने यह जानना चाहा कि नवजात कैसे देखते हैं, तो उन्होंने स्टिल फोटो का इस्तेामल किया। लेकिन वास्तविक दुनिया अलग है। हमारा विचार गतिशील छवियों को लेकर था।’’

15 साल पहले, स्वीन जांचना चाहते थे कि कुछ दिन का शिशु क्या चेहरे के हाव-भाव को समझ सकता है। उन्होंने और उनके साथियों ने सोचा कि क्या नवजात चेहरे के हाव-भाव को देख और नकल कर सकते हैं क्योंकि चेहरे गतिशील अवस्था में होते हैं।

वह कहते हैं ‘‘तब इस विचार के परीक्षण के लिए हमारे पास उपकरण और तकनीक नहीं थी। एक साल पहले ही हमने इसे फिर करने का बीड़ा उठाया। तो, हमारे नतीजे एक पुराने विचार पर आधारित हैं लेकिन इस अवधि में किसी ने इस विषय में परीक्षण नहीं किया।’’

शिशुओं में दृष्टि को समझने के लिए पुराने डेटा और आधुनिक तकनीक के साथ शोधकर्ताओं ने नया अध्ययन किया। 1980 के आसपास किये गये व्यवहार संबंधी अध्ययनों से कॉंट्रास्ट संवेदनशीलता जैसी सूचनाएं उपलब्ध थीं। डेटा में इस तरह के नतीजे भी शामिल थे कि अगर एक नवजात को ग्रे बैकग्राउंड में एक आकृति दिखायी जाये तो वह आकृति को देखता है।

स्वीन ने कहा ‘‘काली व सफेद धारियों से बनी आकृतियों का इस्तेमाल किया गया। एक तयशुदा चौड़ाई व आवृत्ति की धारियां चुनी गईं जिससे फील्उ ग्रे दिखे, और शिशु ने इसकी तरफ नहीं देखा। चौड़ाई और आवृत्ति में बदलाव कर कुद आकृतियां बनाई गईं जिसमें कॉंट्रास्ट और स्पेटियल रिज़ॉल्यूशन के उपयुक्त स्तर का समेकित किया गया जिससे नवजात आकृति की तरफ देखे।’’

हालांकि ये सूचनाएं उनके पास थीं लेकिन अब शोधकर्ताओं को यह देखना था कि नवजात क्या वयस्कों के चेहरे के हाव-भाव का पहचान सकता है।

वैज्ञानिकों ने वयस्क प्रतिभागियों को चेहरे के बदलते भावों को दर्शाने वाले वीडियो दिखाये। ऐसा इसलिए किया गया कि अगर वयस्क हाव-भाव को पहचानने में असफल रहे तो मान लिया जाएगा कि नवजात भी इसमें असफल होगा। जब 30 सेमी की दूरी पर दिखाया गया तब वयस्कों ने चार में से तीन मामलों में हाव-भाव समझ लिये। और जब यह दूरी 120 सेमी कर दी गई तब भी पहचानने की दर उसी तरह रही। यह निष्कर्ष निकाला गया कि चेहरे के हाव-भाव को समझने की एक नवजात की योग्यता करीब 30 सेमी की दूरी पर आकृति होने की स्थिति में संभव है।

स्वीन इंगित करते हैं कि ‘‘यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हमने सिर्फ यह परीक्षण किया है कि नवजात वास्तव में क्या देख सकते हैं, यह नहीं कि वे जो देखते हैं उसका मतलब समझ लेते हैं।’’

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