अच्छी बखर: बढ़ रहा है भारतीय बच्चों का कद


अच्छी बखर: बढ़ रहा है भारतीय बच्चों का कद

Photo: Shutterstock

हालांकि देश में कुपोषण पैर पसार रहा है, लेकिन एक अच्छी खबर है कि भारत के नौजवानों के कद में विकास हो रहा है। इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिशियन्स ने 5 से 18 साल के बच्चों के आदर्श कद, वज़न और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का ग्रोथ चार्ट रिवाजइज़ किया। इन तीनों पैमानों पर उल्लेखनीय विकास दिखा। बताया गया है कि भारत में 18 वर्ष के लड़के के कद में 1989 और 2014 के बीच औसतन 2.8 सेमी की वृद्धि दर्ज हुई है। इसी तरह लड़कियों के मामले में 1 सेमी की वृद्धि। वज़न को लेकर, 18 साल के लड़कों में 7-10 किग्रा की औसत वृद्धि हुई है जबकि लड़कियों में 5 किग्रा की। दि हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये आंकड़े आईएपी द्वारा भारत के 14 शहरों में 33,991 बच्चों पर किये गये अध्ययन पर आधारित हैं। कहा गया है कि पेडियाट्रिशियनों ने इस ग्रोथ चार्ट को महत्वपूर्ण विकास कहा है। पेडियाट्रिशियन और आईएपी के पूर्व अध्यक्ष, जिनके कार्यकाल में 2007 में पहला चार्ट प्रकाशित हुआ था, नितिन शाह ने कहा कि ‘‘यह चार्ट महत्वपूर्ण समीक्षात्मक अध्ययनों और देश भर से जुटाये गये डेटा पर आधारित होने के कारण बहुत महत्वपूर्ण है।’’

पेडियाट्रिशियन समीर दलवाई का कहना है कि ‘‘पिछले डेटा और इस डेटा के बीच समय के अंतर को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि पर्यावरण, भोजन संबंधी आदतों और अन्य कारकों में काफी बदलाव आया है जिससे विकास प्रभावित हुआ है। चूंकि, भारत में समरूप या सजातीय जनसंख्या नहीं है इसलिए देश से जुड़े खास संदर्भों के कारण यह और भी महत्वपूर्ण है।’’

लेकिन बड़ा हमेशा बेहतर नहीं होता। पाश्चात्य शैली से आयातित मोटापे की समस्या से भारत जूझ रहा है जो देश में तेज़ी से बढ़ रही है।

रिवाइज़्ड ग्रोथ चार्ट की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए गाइडलाइन का कहना है कि ‘‘भारत में हुए ताज़ा अध्ययनों में पता चल चुका है कि सिर्फ ओवरवेट होने के मामले ही नहीं बल्कि पेट के आसपास फैट के बढ़ने के मामले भी बच्चों में तेज़ी से बढ़ रहे हैं। बच्चों में विकास का पैटर्न बदल चुका है इसलिए हमें भारतीय ग्रोथ चार्ट को अपडेट करने की ज़रूरत है।’’

पेट के आसपास इकट्ठा होने वाले फैट को विसरल फैट कहते हैं, जो टाइप 2 डायबिटीज़ का एक अहम कारण है, यह बीमारी भारत में हामारी की तरह से फैल रही है।

तो, अब ज़रूरत है कि हम उत्सवों को नियंत्रित करें और सुनिश्चित करें कि बच्चे हेल्दी भोजन के साथ ही व्यायाम के महत्व को समझें।

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