लंबी दूरी की यात्रा के लिए आप बस, ट्रेन या जहाज़ में जाएं और आप देखेंगे कि आपके भारतीय सहयात्री फौरन सोने को तत्पर दिखते हैं भले ही कोई भी समय हो। एक अनुमान के मुताबिक 93 फीसदी भारतीय नींद से वंचित हैं, और भारतीय दुनिया में सर्वाधित नींद से वंचित लोगों की सूची में शीर्ष स्थानों पर हैं। कई तरह से यह समाचार बुरा है लेकिन एक ताज़ा अध्ययन में कहा गया है कि नींद की कमी से याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है।
नये अनुभवों को याद रखने के लिए, शोधकर्ता मानते हैं कि नींद ज़रूरी है। इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक रॉन डेविस के मुताबिक, स्मृति अध्ययन के लिए इस शोध में नये तरीके अपनाए गए। फ्लोरिडा में दि स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट के रॉन व उनके साथियों ने पिछले शोधों के उलट यह देखा कि लोगों की भूलने की प्रक्रिया क्या है। उन्होंने पाया कि नींद भूलने के तंत्र को कमज़ोर कर याद रखने में मदद करती है।
डेविस ने कहा ‘‘भूलने पर बहुत कम ध्यान दिया गया है, जो मस्तिष्क का मूल कार्य है और याददाश्त के विकास के लिए संभवतः ज़रूरी आयाम हो सकता है।’’
कुछ नतीजों पर पहुंचने के लिए डेविस की टीम में भूलने के मनोविज्ञान संबंधी न्यूरोसाइंस को शामिल किया गया। उन्होंने यह भी खयाल रखा कि पिछले मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में संकेत किया जा चुका है कि नींद से याददाश्त सुरक्षित रहती है क्योंकि इससे मानसिक और व्यावहारिक गतिविधियां शांत होती हैं। उन्होंने बताया कि न्यूरोसाइंस, इंगित करता है कि नींद से याददाश्त की स्थिरता में विकास हो सकता है।
पहले के मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में शोधकर्ताओं द्वारा पशुओं के कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया गया था, उनके जैविक कार्यों को समझने के लिए। इन पूर्ववर्ती अध्ययनों में पाया गया था कि याददाश्त बरकरार रखने में न्यूरोट्रांसमिटर डोपामाइन की भूमिका होती है। सीखने और याददाश्त बनाने की प्रतिक्रिया को परिवर्तित करने की मस्तिष्क की योग्यता को डोपामाइन नियोजित करता है, साथ ही भूलने की प्रक्रिया को भी।
उन्होंने पाया था कि लंबी नींद से डोपामाइन का प्रभाव कम होता है और स्मृति के संरक्षण में मदद मिलती है। उन्होंने यह भी गौर किया कि जब पशु मॉडल को अधिक सतर्क स्थिति में रखा गया, तब डोपामाइन की प्रतिक्रिया बढ़ी और वे भूल गये।
डेविस के अनुसार ‘‘नतीजे पर्याप्त सबूतों से निकाले गये हैं कि मस्तिष्क में भूलने के सिग्नल को नींद से कम किया जा सकता है और स्मृतियों को रखा जा सकता है। जैसे ही नींद गहरी होती है, डोपामाइन न्यूरॉन कम प्रतिक्रियात्मक होते हैं और इससे अधिक स्थिर स्मृति बनती है।’’
प्रथम लेखक जैकब ए बेरी बताते हैं ‘‘यह अहम है कि हम खुलासा कर सके हैं कि नींद के द्वारा नई यादों को सुरक्षित किया जा सकता है। लैब के पशुओं और मनुष्यों की नींद की ज़रूरत बराबर है, हमारे निष्कर्ष मनुष्यों में नींद और याद के बीच अंतर्संबंध को रेखांकित करने वालले मैकेनिज़्म पर प्रकाश डाल सकते हैं।’’
तो, जो लोग किसी घटना, काम या लोगों के नाम याद करने में मुश्किल महसूस करते हैं, हो सकता है कि इसका कारण नींद कम होना हो। पर्याप्त नींद लें और अपनी याददाश्त को तेज़ रखें।
यह अध्ययन सेल नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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