कभी-कभी हम किसी शोध के बारे में सुनते हैं और सोचते हैं, ‘‘क्या यह शोध करना वाकई ज़रूरी था?’’ लेकिन, कभी-कभी ऐसा होता है कि जिन बातों पर हम सहज ही विश्वास करते हैं, उनके और उनसे जुड़े संदेहों के बारे में वैज्ञानिक अध्ययनों के कारण ही पता चल पाता है कि वास्तव में तथ्य क्या है। ऐसे ही, अगर आपको यह संदेह था कि शिशु को जन्म देने के बाद गर्भनाल का सेवन करने से महिला को कोई फायदा नहीं होता तो विज्ञान ने आपके संदेह की पुष्टि कर दी है। अगर आपने कभी इस बारे में नहीं सोचा था तो आप पृथ्वी पर मौजूद करीब 7 बिलियन लोगों में से एक हैं लेकिन फिर भी इस बारे में शोध तो ज़रूरी था।
कुछ महिलाएं हैं जो मानती हैं कि गर्भनाल के सेवन से प्रसवोतर तनाव घटता है, दुग्ध स्रवण बढ़ता है और दर्द में आराम मिलता है। उनका तर्क है कि गाय, ऊंट, गिलहरी जैसे स्तनधारी प्राणी गर्भनाल का सेवन करते हैं। कुछ सेलिब्रिटि भी यह दावा करते हैं कि उन्होंने अपनी गर्भनाल का सेवन किया और वे इस पद्धति को प्रचारित भी करते हैं। हालांकि, जो इस बात पर विश्वास करती हैं, उनमें से किसी महिला और न ही किसी सेलिब्रिटि ने इस बारे में कोई शोध किया है। दूसरी ओर, वैज्ञानिक इस पद्धति से सहमत नहीं दिखते। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि गर्भनाल को कच्चा या पकाकर खाना, स्मूदी या स्टू में खाना, वास्तव में हानिकारक हो सकता है।
यूएस के नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकार्तओं ने एक अध्ययन किया जिसमें पूर्व प्रकाशित 10 शोध अध्ययनों की समीक्षा की गई और पाया गया कि मानव और पशुओं पर की गई तमाम रिसर्च से इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि गर्भनाल के सेवन से उपरोक्त कोई भी लाभ होता है।
साथ ही, इसके सेवन से मां और शिशु के बीच रिश्ते पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, न ही त्वचा का लचीलापन बढ़ता है और न ही शरीर में आयरन की पुनःपूर्ति होती है।
इसके उलट, वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि गर्भनाल गर्भ को विषाक्तता से बचाने के लिए ढाल का काम करती है, इसलिए इसका सेवन न करने की हिदायत दी जाती है। अगर मांएं शिशु को स्तनपान कराती हैं तो शिशु को भी खतरा हो सकता है।
मनोचिकित्सा और व्यवहार संबंधी विज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक क्रिस्टल क्लार्क का कहना है कि ‘‘ऐसी कई रिपोर्ट हैं जो महिलाओं का इस पद्धति पर विश्वास दर्शाती हैं, लेकिन अब तक गर्भनाल के सेवन संबंधी लाभ या जोखिम को लेकर कोई व्यवस्थित शोध नहीं हुआ है। चूहों पर किये गये अध्ययन को पूरी तरह से मनुष्यों के अनुरूप नहीं माना जा सकता।’’ शोधकर्ताओं का मानना है कि सेहत को लेकर चिंतित महिलाएं अगर अपनी गर्भनाल का सेवन करती हैं तो उन्हें उसके सभी परिणामों के बारे में सचेत रहना चाहिए। सिर्फ इसलिए कि कोई चीज़ जन्म से जुड़ी हुई है, उसका सेवन करने से लाभ होगा, यह ज़रूरी नहीं है।
अध्ययन की प्रमुख लेखक और मनोविज्ञानी सिंथिया कोएल का कहना है कि ‘‘हमारी बुद्धि यह कहती है कि जो महिलाएं गर्भ के दौरान या नर्सिंग के समय गर्भनाल के सेवन का विकल्प चुनती हैं उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए कि वे ऐसी चीज़ का सेवन कर रही हैं जिसके लाभ के बारे में कोई प्रमाण मौजूद नहीं है और इससे भी अहम यह है कि उससे उन्हें या उनके शिशु को होने वाले खतरे के बारे में भी कोई प्रमाण नहीं है।’’ कोएल ने कहा कि ‘‘गर्भनाल को स्टोर या तैयार करने को कोई मानक तरीका नहीं है और इसके डोज़ के बारे में भी कोई निश्चितता नहीं है। महिलाओं को सच में नहीं पता कि वे किसका सेवन कर रही हैं।’’
क्या यह सूचना भारतीय महिलाओं से संबंधित है? क्या भारत में किसी महिला ने अपनी गर्भनाल का सेवन किया है? भारत में गर्भनाल के सेवन की पद्धति को लेकर कोई शोध उपलब्ध नहीं है। ऐसा कोई शोध नहीं है जो बता सके कि इसका सेवन किस तरह से किया गया है। फिर भी, यह सूचना हम आपको इसलिए दे रहे हैं ताकि आप यह तय कर सकें कि शिशु के जन्म के बाद आपको अस्पताल से जाते वक्त क्या ध्यान रखना है। सरल है, शिशु को ले जाएं और गर्भनाल को वहीं छोड़ दें।
नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन का यह अध्ययन आर्काइव्स ऑफ वीमन्स मेंटल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है।
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