
बात जब सीबीएसई (CBSE) नतीजों की हो तो, जो बच्चे 90 स्कोर करते हैं और जो 95, उनके बीच कोई अंतर नहीं है। यह अभिभावकों और छात्रों को समझना चाहिए।
बात जब सीबीएसई (CBSE) नतीजों की हो तो, जो बच्चे 90 स्कोर करते हैं और जो 95, उनके बीच कोई अंतर नहीं है। यह अभिभावकों और छात्रों को समझना चाहिए।
फरवरी 2015 में ऐसा लगा कि दुनिया ड्रेस के रंग को लेकर लड़ने मरने पर आमादा हो गई! वह नीले और काले रंग की थी या किसी और रंग की? विज्ञान के पास जवाब है!
बेडटाइम रूटीन और सोने से पहले कुछ खुशनुमा और शांत गतिविधियों द्वारा आप अपने बच्चे को सुखद और भरपूर नींद दे सकते हैं।
भारत में लोगेां की आय बढ़ी है लेकिन भारतीय इस पैसे को इस तरह से खर्च करने लगे हैं जो उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं घर के कामों का दायित्व ज़्यादा उठाती हैं जबकि पुरुष और महिलाएं दोनों ही मानते हैं कि वे इस दायित्व का बराबर निर्वहन कर रहे हैं।
भरपूर प्रशिक्षण के बावजूद, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंसेज़ एक्ट के निर्देशों का पुलिस पालन नहीं कर रही है।
नये अध्ययन में पाया गया है कि लेस्बियन, गे और उभयलिंगी (एलजीबी) बच्चों को कक्षा पांच से ही निशाना बनाया जाता है, जबकि उनकी लैंगिक पहचान पूरी तरह स्थापित भी नहीं हो पाती।
अगर जीवन की शुरुआत में ही दांतों से संबंधित अच्छी आदतें डाल दी जाएं तो बच्चे जीवन भर उनका पालन करते हैं।
भूख लगने पर हम ज़्यादातर जंक फूड जैसे खाद्य पदार्थों की शॉपिंग कर जाते हैं। लेकिन इसके उलट एक तथ्य पता चला है।
बच्चों द्वारा हेल्दी भोजन चुे जाने के उपाय खोजने के लिए हुए अध्ययन में देखा गया कि एक स्माइली चेहरा अगर हेल्दी भोजन के पैकेट पर चस्पा किया जाये तो नाटकीय बदलाव आ सकता है।
स्वास्थ्य के लिए सही विकल्प चुनने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि खाद्य पदार्थ खरीदें तो उस डिब्बे के लेबल पर पोषण के ब्यौरे को समझें।
भारत में शिशु लिंग अनुपात और ज़्यादा असंतुलित हो रहा है, प्रति हज़ार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या सबसे बदतर स्थिति में है।
गोद लेने की प्रक्रिया में सालों का समय लगने के कारण भारत में बच्चे गोद लेने रुझान कम हो रहा है।
एक अध्ययन बताता है कि एडीएचडी ग्रस्त बच्चे चंचलता के कारण बेहतर सीखते हैं।
भारत में जो मांएं शिशु को स्तनपान कराने में असमर्थ हैं वे अब मिल्क बैंक की सहायता ले सकती हैं।
सेक्स शिक्षा का अर्थ केवल यह समझाना नहीं है कि यौन संबंध कैसे बनाये जाते हैं बल्कि इससे यौन शोषण, संक्रमण और अनचाहे गर्भ से सुरक्षा का रास्ता भी खुलता है।
जो बच्चे आत्म नियंत्रण रखते हैं वे उन बच्चों की तुलना में जो यह क्षमता नहीं रखते, वे बड़े होकर 40 फीसदी कम बेराज़गार रहते हैं।
मछली में पाये जाने वाले फैटी एसिड की कमी के कारण भ्रण के विकास के दौरान और शिशु के जन्म की शुरुआत में भी मस्तिष्क का विकास बाधित होता है।
अध्ययन के अनुसार जो बच्चे हमदर्दी जताना जानते हैं वे ज़्यादा लोकप्रिय होते हैं और आसानी से दोस्त बना सकते हैं।
कुपोषण से निपटने के लिए ज़िला स्तर पर डेटा की ज़रूरत है। राज्य स्तर पर बना डेटा यह नहीं दर्शाता कि राज्य में किस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
यह जानकर हैरान न हों कि डॉक्टरों का सुझाव है कि माताएं बीमार होने पर भी शिशु को स्तनपान करा सकती हैं।