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बच्चों को सफल बनाने की चाह में परवरिश करने में अभिभावकों की ओर से की गई अति उनकी शारीरिक फुर्ती अथवा कुशाग्रता में कमी ला सकती है ।
बच्चों को सफल बनाने की चाह में परवरिश करने में अभिभावकों की ओर से की गई अति उनकी शारीरिक फुर्ती अथवा कुशाग्रता में कमी ला सकती है ।
मोटे बच्चे ज़्यादातर ओवरवेट वयस्क बनते हैं जिन्हें दिल की बीमारियां, कैंसर और डायबिटीज़ जैसे रोग घेर सकते हैं।
सामान्य तौर से बेहतर स्वास्थ्य शैली के क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले दक्षिण भारत में डायबिटीज़ की शिकायतें बढ़ रही हैं।
बच्चों का प्रतिरोध तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता इसलिए वे संक्रामक बीमारियों के शिकार जल्दी हो जाते हैं। अभिभावकों को बच्चों की सांस संबंधी सेहत पर नज़र रखना चाहिए।
एक अध्ययन के अनुसार पत्नी के तनाव के कारण पतियों का ब्लड प्रैशर बढ़ता है। और पढ़ने के लिए क्लिक करें।
नये अध्ययन के अनुसार भारतीय परिवारों, खासकर हिंदू परिवारों में बेटे को प्राथमिकता देने की सोच, कुपोषित बच्चों की सतत समस्या का बड़ा कारण है।
योग भारत की ईजाद है लेकिन अब यह यूएस में बिलियन डॉलर व्यापार बन गया है और 100 साल पहले स्वामी विवेकानंद द्वारा पहली बार बताये गये आध्यात्मिक अभ्यास से कुछ ही हद तक यह मेल खाता है।
ज़्यादा कॉलेस्ट्रॉल के कारण अंडे को सेहतमंद भोजन नहीं माना जाता। फिर भी, अंडा आपके लिए बेहद सेहतमंद भोजन है।
चेचक से बचाव का सबसे असरदार तरीका तो टीकाकरण ही है। इसके दो डोज़ दिलवाने चाहिए और वैक्सीनेशन से ज़्यादातर मामलों में बीमारी से बचाव संभव है।
दूसरे क्षेत्रों की तुलना में भारतीय महिलाओं का वज़न कम है और गरीबी कम होने से कुपोषण कम होने का कोई संबंध नहीं दिख रहा है।
लोगों को गलतफहमी होती है कि कुत्तों के झड़े बालों के कारण एलर्जी होती है लेकिन ऐसा है नहीं।
डराये-धमकाये जाने से बच्चों के आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है जिससे उबरने में सालों लग जाते हैं।
हालांकि अब तक कोई प्रामाणिक शोध यह दावा नहीं करता कि मीज़ल्स वैक्सीन और ऑटिज़्म के बीच कोई संबंध है लेकिन फिर भी कुछ लोग अपने बच्चों को यह वैक्सीन नहीं दिलवाते।
अगर आपके में कोई पॅट है और किसी सदस्य का प्रतिरक्षा तंत्र सामान्य से कमज़ोर है तो आपको कुछ ज़रूरी बातों जानना चाहिए।
पोषण के बारे में जानकारी न होने के कारण ग्रामीणों को यह पता ही नहीं है कि स्वस्थ रहने के लिए उनके शरीर के लिए क्या आवश्यक है।
इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्शन (गर्भनिरोधक) पिल्स के ज़रिये अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। लेकिन दि हिंदू में छपे बिना शोध के लेख जैसे प्रकाशनों से गलत सूचनाएं प्रसारित हो रही हैं जो महिलाओं के लिए हानिकारक हैं।
सोशल मीडिया पर युवतियां खुद को वस्तु की तरह प्रदर्शित करती हैं और अपने एपियरेंस की तुलना अपने दोस्तों या साथियों से करती हैं। आत्म विश्वास के लिहाज़ से यह सेहतमंद नहीं है।
गर्मी का प्रकोप शुरू हो गया है, अभिभावकों के लिए ज़रूरी है कि वे अपने बच्चों को गर्मी संबंधी रेागों से बचाने के लिए सही कदम उठाएं।
दो घंटे के कड़े व्यायाम या 4 घंटे के सामान्य व्यायाम से पुरुषों की यौन शक्ति बेहतर होती है।
गर्भवती महिलाओं की प्रतिरक्षा क्षमता घट जाती है इसलिए मौसमी फ्लू का खतरा बढ़ जाता है। भारत के स्त्री रोग विशेषज्ञों के समूह ने गर्भवतियों को फ्लू वैक्सीन दिये जाने की सिफारिश की है।
मीडिया में आने वाली पेट के बल सोते हुए शिशुओं की तस्वीरों को देखकर वात्सल्य ज़रूर पैदा होता है, लेकिन यह शिशुओं के गलत ढंग से सोने की मुद्राओं का प्रचार ही है।