थोड़े पहले ही, यूएस में बच्चे अपने बेडरूम में भी फोन रखते थे और उस पर खूब बातें करते थे। कम से कम टीवी और फिल्मों मे तो यही स्थिति दिखी। भारतीय अभिभावकों के सामने यह समस्या नहीं आयी क्योंकि एक फोन कनेक्शन लेना उलझन भरा काम रहा। लेकिन अब, हैंडसेट की कम कीमतों और प्री-पेड प्लान्स के कारण बच्चों के हाथ में फोन आसानी से आ पाना एक सरल विकल्प बन चुका है। लेकिन सवाल यह है कि क्या बच्चों को फोन दिया जाना चाहिए? हां, तो किस उम्र में?
किस उम्र में बच्चों को उनका निजी फोन मिले, इस बारे में फैसला लेना थोड़ी टेढी खीर है। इस बारे में कोई नियम नहीं बल्कि यह कई कारणों पर निर्भर करता है। कुछ अभिभावकों की सोच है कि बच्चों के पास सेलफोन होने से वे टेक्स्टिंग और नेट सर्फिंग के आदी तो होते हैं लेकिन उनसे लगातार संपर्क में रहना बड़ा फायदा है। दूसरे लोगों के लिए, चैटिंग, सोशल नेटवर्किंग और गेम्स के कारण बच्चों का बहुत समय नष्ट होता है या वे अध्ययन से विमुख होते हैं और साथ ही इन कारणों से वे साइबर बुलइंग या अजनबियों के संपर्क का जोखिम भी उठाते हैं।
क्या आप विश्वास करेंगे कि यूएस में 6 साल से कम उम्र के 53 फीसदी बच्चों के पास उनका अपना मोबाइल फोन है? याहून्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा वाउचरक्लाउड के सर्वे में सामने आया है जिसमें 2000 से ज़्यादा अभिभावकों से बात की गई। 2012 की एक और रिपोर्ट में अन्य देशों में भी फोन के इस्तेमाल की अधिकता पाय गई थी। यह संख्या भारत में बहुत ज़्यादा नहीं थी लेकिन फिर भी, मध्यम वर्ग के कई मध्यम आयु वर्ग के बच्चों के पास खुद के फोन होना पाया गया था।
मोबाइल फ़ोन के स्वामित्व
उद्गम: GSM Association
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बच्चों के पास खुद के फोन के पीछे क्या कारण बताये जाते हैं? ज़्यादातर अभिभावक अपने बच्चे के साथ हर परिस्थिति में संपर्क बनाये रखने के कारण को प्राथमिकता देते हुए सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हैं। यूएस सर्वे में 31 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि वे बच्चे को फोन इसलिए रखने देते हैं ताकि वे किसी भी समय उनसे संपर्क कर सकें। 25 फीसदी का कहना था कि इससे रिश्तेदार और दोस्त हमेशा संपर्क में रह सकते हैं जबकि 20 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चे को मोबाइल फोन इसलिए दिया क्योंकि उनके दूसरे दोस्तों के पास भी था।
जब आप ये तय करने की प्रक्रिया में हों कि आप कब बच्चे को फोन देंगे तो सिर्फ उसकी उम्र को ही दृष्टिगत न रखें – बच्चे की मानसिक परिपक्वता को भी ध्यान में रखें। बेवरली हिल्स के मनोचिकित्सक और सेल्फ अवेयर परेंट के लेखक फ्रैन वॉलफिश ने याहू पेरेंटिंग को बताया ‘‘बच्चों की उम्र से ज़्यादा यह निर्णय बच्चों की परिपक्वता पर निर्भर करता है। लेकिन सामान्य रूप से फोन रखने के लिए बच्चे की उम्र कम से कम 10 साल या आदर्श रूप से 12-13 सा होनी चाहिए।’’
अपने बच्चे को हैंडसेट देने से पहले कुछ बिंदुओं पर गौर करें। क्या आपके बच्चे को वाकई इसकी ज़रूरत है? अगर वह घर के आसपास ही रहता है, हमेशा उस पर नज़र रहती है तो आप कभी-कभी उसे फैमिलि फोन दे सकते हैं जब वह कहीं दूर जाये। इसके साथ ही, बच्चे को फोन देते समय कुछ नियमों का पालन करने को हमेशा कहें। जैसे कि, शाम को होमवर्क का समय है इसलिए फोन का इस्तेमाल ज़रूरत पड़ने पर कम से कम किया जाये, एक वाजिब उम्र से पहले किसी सोशल नेटवर्क से न जुड़े और बच्चे के मोबाइल फोन को समय-समय पर चेक करते रहें कि उसमें कुछ आपत्तिजनक तो नहीं है।
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