काम करने वाले अभिभावका अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय नहीं बिता पाते और इसे लेकर वे लगातार खुद को दोषी महसूस करते हैं। लेकिन अब ऐसे अभिभावक राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि एक नये अध्ययन में खुलासा हुआ है कि अभिभावकों का अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय बिताना हमेशा महत्व नहीं रखता बल्कि आप किस क्वालिटि का समय उनके साथ बिताते हैं यह महत्वपूर्ण है, ज़्यादा घंटे नहीं।
वॉशिंगटन पोस्ट पर प्रकाशित एक लेख में यह अध्ययन सामने आया है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर ध्यान दिलाया है कि अभिभावक 3 से 11 साल के जिन बच्चों के साथ क्वालिटि समय नहीं बिताते लेकिन काफी समय उनके साथ रहते हैं, उन बच्चों के अकादमिक, व्यावहारिक और भावनात्मक रूप से विकास पर उनके अभिभावकों का बहुत कम प्रभाव होता है।
अभिभावक, खासकर माताएं, अक्सर ऐसा सोचती हैं कि काम करने और लगातार अपने बच्चों के इर्द-गिर्द न रहने से वे बच्चों की उपेक्षा कर रही हैं। माना जा सकता है कि यह विचार पुराने ज़माने की महिलाओं से स्थानांतरित हुआ है जो घर पर ही रहा करती थीं और अपने बच्चों की हर ज़रूरत के लिए उनके पास समय होता था।
वास्तव में, अमेरिकी अध्ययन उजागर करता है कि 1965 में यूएस की माताएं अपने बच्चों के साथ सप्ताह में 10 घंटे बिताती थीं लेकिन अब वे सप्ताह में 14 घंटे बिता रही हैं। इसी तरह तब, पिता अपने बच्चों के लिए सप्ताह में ढाई घंटे का समय निकालते थे लेकिन अब उन्होंने बच्चों की अधिक ज़िम्मेदारियां लेते हुए सप्ताह में 7 घंटे तक बिताना शुरू किया है। ऐसे में, अभिभावकों में बच्चों के साथ कम समय बिताने को लेकर कोई चिंता नहीं देखी जा रही।
इस संबंध में, अध्ययन में यह भी रेखांकित किया गया है कि चिंता और तनाव के कारण निकाला गया समय कुछ स्थितियों में बच्चों पर नकारात्मक असर डाल सकता है। चूंकि बच्चे आपका तनाव भांप सकते हैं इसलिए आपका काम संबंधी तनाव, अधूरी नींद और खुद को दोषी समझने की भावनाएं बच्चों पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं। फिर वही तथ्य है कि माताएं ज़्यादा तनावग्रस्त रहती हैं और दोषभावना से ग्रस्त होती हैं इसलिए वे जो चाहती हैं उसका उल्टा प्रभाव पड़ सकता है। इस अध्ययन की सह लेखक और बोलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटि की समाजशास्त्री की नोमैगची लिखती हैं कि ‘‘हमने पाया है कि माताओं का तनावग्रस्त रहना उनके बच्चों के प्रदर्शन और परिणामों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, व्यवहार और भावनात्मक स्तरों के साथ ही गणित के स्कोर पर भी यह दिख रहा है।’’
दूसरी ओर, अभिभावकों का ज़्यादा समय बच्चों का तब चाहिए होता है जब वह किशोरावस्था में प्रवेश करते हैं। जो टीनेजर अपनी माताओं के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं उनमें गलत व्यवहार की प्रवृत्ति कम देखी जाती है। खाने के समय जैसे मौकों पर अभिभावकों औश्र परिवार के साथ समय बिताने से किशोरों के अल्कोहल, नशे और अन्य आपराधिक व्यवहारों में लिप्त होने की आशंकाएं कम हो जाती हैं।
सकारात्मक परिणाम पाने के लिए जो औसत समय दरकार है, वह सप्ताह में 6 घंटे है, जो सुनिश्चित किया जा सकता है।
इसलिए याद रखिए, कि आरामदायक और मस्ती भरा क्वालिटि समय अच्छी परवरिश का सूत्र है, हमेशा सिर्फ मौजूद रहना नहीं। पहले भी कई शोध क्वालिटि समय के लाभ बता चुके हैं जैसे बच्चों को पढ़ाना, उनके साथ मस्ती भरी गतिविधियां करना, साथ में व्यायाम या भोजन करना आदि। अपने बच्चों के साथ शांत और विकास में सहयोगी भावना से जुड़े रहें तो बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव ही पड़ेगा।
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