बच्चों के विकास के दौरान सामान्य लक्षण है चिंता और बढ़ती उम्र में वे कई मुश्किलों का सामना करते हैं। कुछ बच्चे दूसरों की अपेक्षा ज़्यादा चिंतित होते हैं। वे जल्दी चिंता या तनाव में आ जाते हैं।
बच्चे चूंकि तनाव को हैंडल करने में सक्षम नहीं होते इसलिए उन्हें अकेला छोड़ देना उपाय नहीं है और इसी कारण वयस्कों को इस चिंता से डील करने में समस्या होती है। बच्चे के लिए बढ़ती उम्र में कोई भी बुरा अनुभव उसके दिमाग में स्थायी हो सकता है और वह कई तरह के नकारात्मक विचारों या चिंताओं से ग्रस्त रह सकता है।
पूर्व के किसी बुरे अनुभव के बाद हो सकता है कि बच्चा चिंतित रहे और सामाजिक गतिविधियों के प्रति उदासीनता बरते। जैसे अगर पानी में वह पहले कोई मुश्किल महसूस कर चुका है तो हो सकता है कि वह बीच या पूल में जाने से कतराये। इस तरह के डर और चिंताओं से बच्चे को मुक्त करने के लिए आपको तरकीब लगाना होगी लेकिन ध्यान से कि बच्चे को कोई और तकलीफ न पहुंचे। अपने बच्चे की चिंता को हल करने के कुछ उपाय यहां बताये जा रहे हैं:
1. दबावरहित सहयोग
यह जबरन प्यार जातने का समय नहीं है। अगर आपका बच्चा कुछ करने में सुविधा महसूस नहीं कर रहा तो आप उस पर दबाव न बनाएं। ऐसा करने से उस पर दोहरा दबाव बनेगा क्योंकि वह महसूस कर सकता है कि वह आपकी बात या इच्छा भी पूरी नहीं कर पा रहा। जिस बात को लेकर वह खराब अनुभव कर चुका है, उस समस्या को सुलझाने के लिए जल्दबाज़ी न करें। धीरे-धीरे उस विषय पर आएं। आप उनकी सहायता करें लेकिन उनको उस अनुभव से उबरने के लिए पर्याप्त समय दें।
2. लक्ष्य के लिए छोटे कदम
जिन स्थितियों में आपका बच्चा भयभीत है, उन्हें संवेदनशीलता से समझें। उन स्थितियों से जूझने के लिए अपने बच्चे को धीमी प्रक्रिया के तहत तैयार करें। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा सामाजिक परिस्थतियों में असहज है तो वन ऑन वन खेल आयोजित करने से लाभ हो सकता है। बाद में, आप धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ाकर उसे अधिक सामाजिक बना सकते हैं।
3. खेलों का प्रयोग करें
पानी से डरे हुए बच्चों के लिए आप उनके सामने छोटे-छोटे टास्क रखें। जैसे, उनसे कहें कि पिछली बार वे जितनी देर पानी में थे, उससे ज़्यादा समय तक इस बार रहें। उनकी गतिविधियों में आप खुद शामिल हों। ऐसा करने से वे खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
4. उनके डर को अनदेखा न करें
बच्चे जब आपसे अपने डर के बारे में बात करें तो उनके डर को बेकार या बकवास करार न दें। यह उन पर खराब असर डालेगा। ऐसा करने से हो सकता है कि वे अपनी चिंताएं आपको बताना छोड़ दें। उनकी चिंताओं को बकवास बताने से आप उन्हें खुद से दूर धकेलते हैं और उनकी चिंताएं और बढ़ती हैं। इसके बजाय, उनकी मुश्किलों को समझें और उन्हें उचित सलाह दें ताकि वे उनसे उबर सकें।
5. बच्चे को डील करना सिखाएं
उन्हें समझाएं कि कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जिनमें खबरा अनुभव होते हैं और डर लगता है, इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन उनसे उबरने की कोशिश महत्वपूर्ण है। चिंता करते समय अपने बच्चे को शांत होने के उपाय समझाएं और यह भी कि लंबी सांस लेकर कैसे शांत हुआ जाता है।
6. छोटी कोशिशों को प्रोत्साहित करें
अपनी परेशानियों से जूझने के उनके छोटे प्रयासों की सराहना करें। बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने में यह तरीका बहुत कारगर होता है कि आप उनके छोटे प्रयासों पर उनकी तारीफ करें और उन्हें कुछ पुरस्कार दें।
यदि आप इस लेख में दी गई सूचना की सराहना करते हैं तो कृप्या फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक और शेयर करें, क्योंकि इससे औरों को भी सूचित करने में मदद मिलेगी ।