चेचक कोई सुंदर कल्पना नहीं है


चेचक पूरी तरह श्वसन प्रणाली का संक्रामक रोग है । यह एक प्रकार के वायरस के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप रोगी के पूरे शरीर पर लाल रंग के चक्त्ते होने के साथ साथ तेज बुखार,खांसी और नाक बहने लगती है । चेचक के लिए कोई भी ज्ञात चिकित्सा उपचार नही है क्योंकि यह एक वायरस के कारण होता है, इस रोग की लाक्षणिक उपचार विधि से रोग के प्रभाव को कम करने व रोगी को सबसे अलग रखने की सिफारिश की जाती है ।

चेचक संक्रमण के प्राथमिक लक्षण सूखी खांसी,नाक बहना आदि फलू जैसे ही होते हैं । रोगी को तेज बुखार हो जाता है और आंखों के श्वेतपटल में (आंखों के सफेद भाग में) लाली आ जाती है । ब्च्चों के गालों के अंदर बाहर छोटी छोटी लाल और सफेद फुंसियां हो जाती हैं जिन्हें Koplik’s spots भी कहा जाता है ।

चेचक एक भयंकर रोग है जिसकी पूरी रोकथाम टीकाकरण करके की जा सकती है । CDC/Dr. Heinz F. Eichenwald के सौजन्य से चित्र ।

चेचक एक भयंकर रोग है जिसकी पूरी रोकथाम टीकाकरण करके की जा सकती है । CDC/Dr. Heinz F. Eichenwald के सौजन्य से चित्र ।

प्राथमिक लक्षण दिखाई देने के तीन और पांच दिन बाद पूरे शरीर में लाल लाल धब्बे होने लगते हैं और अक्सर इतना तेज बुखार हो जाता है जो 104°F (40°C) डिग्री तक पहुंच जाता है । पूरे चेहरे,गर्दन के नीचे, पेट, बांहों और पैरों तक फैलने से पहले रोगी के माथे पर आरंभ में लाल धब्बे चपटे से नजर आते हैं । विशिष्ट प्रकार का बुखार और लाल धब्बे तीन या कुछ और दिनों के बाद मंद पड जाते हैं ।

चेचक पूरी तरह संक्रामक रोग है । लगभग 90 प्रतिशत लोग जिन्होंने चेचक आदि का टीका नही लगाया होता,वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते ही इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं । चेचक रोग तब फैलता है जब कोई असंक्रमित व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति की सांस या छींकों के कारण निकलाने वाले छींटों की सीधी चपेट में आ जाता है, यह छींटे आम्रतौर पर छींकने या खांसने से फैलते हैं । संक्रमित व्यक्ति में संक्रमित होने के आठ या दस दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं । पहली बार लाल धब्बे दिखाई देने के पांच दिन पहले संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण हो जाता है । वे सबसे अधिक तब संक्रमित होते हैं जब उन्हें खांसी, बुखार होने के साथ- साथ नाक बहने लगती है ।

रोकथाम

चेचक को फैलने से रोकने के लिए एकमात्र सही सुरक्षा साधन टीकाकरण है । भारत के सार्वभौमिक प्रतिरक्षा कार्यक्रम ( Universal Immunization Programme) अनुसार .चेचक,गल गण्ड रोग, हल्का खसरा (measles-mumps-rubella) (MMR) का विशिष्ट रूप से टीका लगाया जाता है । भारतीय बालचिकित्सा अकादमी ने सिफारिश की है कि MMR का पहला टीका 9 माह की आयु में और दूसरा बर्धन टीका 15 माह की आयु से ले कर 2 वर्ष की आयु में लगाया जाना चाहिए । 6 माह के शिशु विशिष्ट रूप से अपनी मां से वंशागत प्रतिरक्षा प्राप्त कर लेते हैं ।

इस विपत्ति से ग्रसित कुछ ग्रुपस को गम्भीर संभावित जटिलताओं के कारण चेचक का टीका नही लगाया जा सकता ऐसे ग्रुप में शामिल हैं:

  • गर्भवती महिलाएं
  • अनुपचारित टीबी या लयुकेमिया जैसे कैंसर से ग्रसित बच्चे
  • कमजोर प्रतिरक्षा सिस्टम वाले लोग
  • ऐसे स्वस्थ्य विवरण वाले बच्चे जिन पर नियोमाइसिन या जिलेटिन का गंभीर एलर्जिक प्रभाव होता है ।

चूंकि इस प्रकार के विपत्ति से ग्रसित ग्रुप वाले ब्च्चों को टीका नहीं लगाया जा सकता अत: यह बहुत ही महत्वपूर्ण कि स्वस्थ बच्चों को निर्धारित समय पर टीका लगाया जाए । यह सुनिश्चित करके कि सभी स्वस्थ बच्चों को टीका लगाया गया है, विपत्ति से ग्रसित व्यक्ति को सामुहिक प्रतिरक्षा नामक प्रभाव से बचाया जा सकता है । सामुहिक प्रतिरक्षा का अर्थ है कि जब आबादी के बहुत बडे भाग को किसी रोग से बचाव के लिए टीका लगाया गया हो तो आबादी के माध्यम से रोग को फैलने से रोका जा सकता है । इससे विपत्ति ग्रसित लोगों को महामारी से बचाया जा सकता है ।

चेचक के टीके का स्वस्थ बच्चों पर भी कभी-कभी दुष्प्रभाव हो जाता है, उनमें से सबसे आम प्रभाव है कि टीके के बाद लगभग सात से दस दिन तक बुखार के साथ- साथ लालरंग के चकत्ते हो जाते हैं जो चेचक के समान होते हैं परंतु संक्रामक नही होते । यह बुखार विशेषरूप से खतरे की घंटी नही होता और बालचिकित्सक अभिभावकों को इन लक्षणों से राहत पाने के लिए आवश्यक उपचार का सुझाव देते हैं ।

उपचार

चूंकि चेचक वायरस के कारण होता है, अत:इस रोग के उपचार के लिए कोई विशेष आहार नियम नही हैं । देख-भाल और पूरा आराम इसके लक्षणों को कम करने के उपाए हैं । रोगी को ज्यादा से ज्यादा पेय पिलाए जाएं । यदि रोगी को बुखार हो तो बुखार कम करने वाली नॉन-एसप्रीन दवा दी जानी चाहिए जैसे आइब्रुफेन या क्रोसीन । ब्च्चों को वायरल बुखार होने पर कभी भी एसप्रीन न दें । ऐसा करके रेये सिंड्रोम (Reye syndrome) नामक गंभीर बिमारी हो सकती है ।

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