बेताबी, मिज़ाज संबंधी विकारों का उपचार प्रोबॉयोटिक्स से किया जाना संभव है ।


बेताबी, मिज़ाज संबंधी विकारों का उपचार प्रोबॉयोटिक्स से किया जाना संभव है ।क्या आपके शरीर के बैक्टीरिया से आपके व्यक्तित्व को प्रभावित किया जा सकता है ?  प्रोबॉयोटिक्स कुछ ऐसा ही एक जीवित बैक्टीरिया है ऐसा माना गया है कि  यदि सेवन इसका  सेवन किया जाए तो  यह आपके उदर में पहुंच कर आपकी पाचन शक्ति को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है । काफी समय से मीडिया स्वास्थ्य रिपोर्टों में प्रोबॉयोटिक्स की पहचान ऐसे महत्वपूर्ण बैकटेरिया तथा यीस्ट (खमीर) के रूप में स्थापित की गई है जो आपकी पाचन प्रणाली के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है ।

अनुसंधानों के अनुसार प्रॉयोबेटिक्स के प्रयोग से मिज़ाज तथा स्वास्थ्य संबंधी कुछ ऐसी ही समस्याओं से निजा़त पाना संभव माना गया है । न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में यह विवरण दिया गया है कि किस प्रकार हमारी आंत्रियों के माइक्रोबैकटेरिया का प्रयोग करके हमारे मिज़ाज को प्रभावित कर पाना संभव हो सकता है ।  वैज्ञानिक मार्क लिटे द्वारा  बंदरों के मल पर किए गए अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि “हमारे शरीर में पाए जाने वाले जीवाणु हमारे मस्तिष्क को संदेश सम्प्रेषित करने वाले तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को ऐसे ही कुछ सूक्ष्म रसायनों का प्रयोग करके संदेश सम्प्रेषण का कार्य करते हैं ” ।

उन्होंने कहा कि “मैंने यह देखा कि मानव आंत्रियों में जो सूक्ष्म रसायन उत्पन्न होते हैं –  उनका हमें ज्ञान नहीं होता । अब, यदि यहां ऐसा होता है तो क्या इसका प्रभाव वहां नहीं होता होगा ? अनुमान लगाइए, कैसे ? हम भी तो कुछ ऐसे ही पदार्थ उत्पन्न करते हैं । संभवत: ऐसी ही सम्प्रेषण प्रणाली का प्रभाव हमारे व्यवहार पर  भी होता होगा”  । अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि हमारी आंत्रियों में विद्यमान सूक्ष्म जीव हमारे मिज़ाज को नियंत्रित करने वाले डोपामाईन एवं सेरोटोनिन जैसे रसायन तैयार करते हैं ।

इन रसायनों से हमारे आंत्र विकारों और साथ ही हमारी बेताबी और मिज़ाज को प्रभावित किया जा सकता है ।  ओनटेरियो मैकमास्टर यूनिवर्सिटी एंड ब्रेन बॉडी इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ हैमिलटन डा. जेन फोस्टर ने यह कहा है कि “प्रोबॉयोटिक्स प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले बैकटेरिया का एक स्रोत है तथा यह विविधता एवं स्वस्थ माइक्रोबॉयोटा अथवा गट (उदर)  फ्लोरा की आबादी के भरण पोषण में सहायक हो सकता है” । प्रोबॉयोटिक्स आपके उदर में अच्छे बैकटेरिया को उत्पन्न करने में सहायता प्रदान करता है जिससे आपकी पाचन प्रणाली तंदुरूस्त होती है ।

डा. फोस्टर का यह कहना है कि “मस्तिष्क विकास एवं बेताबी/निराशा, अन्वेषण, तथा तनाव संबंधी व्यवहार के लिए माइक्रोबॉयोटा (गट (उदर)  में (फ्लोरा के नाम से भी ज्ञात) की मौजूदगी महत्वपूर्ण है” । ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में 18 से 27 माह की आयु के शिशुओं के मल के नमूनों का विश्लेषण किया गया । इस विश्लेषण से “आनुवंशिक विविधता वाले गट (उदर) बैक्टीरिया की बहुलता से युक्त शिशुओं का व्यवहार अच्छा मिज़ाज, उत्सुकतापूर्ण, मैत्रीपूर्ण एवं मौजी” प्रकार का पाया गया ।

विशेषकर लड़कों को आहार अथवा स्‍तनपान कराने के पश्चात गट (उदर) बैक्टीरियापर होने वाले प्रभाव के तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह स्थिति पाई गई । उपलब्ध आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि गट (उदर)  तथा मस्तिष्क के बीच कोई गहरा संबंध है । निर्णायक जानकारी यद्यपि अभी तक एक पहेली ही है परन्तु इस प्रक्रिया के प्रयोग से ऑटिस्‍म तथा एडीएचडी (ADHD) के लक्षणों का उपचार तो फायदेमंद प्रतीत हुआ है । 75 शिशुओं पर किए गए एक और अध्‍ययन में एक समूह को प्रोबॉयोटिक युक्त लैटोबेसिल्लस रेह्म्नोसस दिए गए तथा दूसरे समूह को प्लेसबो (प्रायोगिक औषधि) दी गई थी ।

यह पाया गया कि 13 वर्ष की अवधि के पश्चात प्लेसबो समूह में से 17.1% बच्‍चों में एडीएचडी (ADHD) अथवा ऑटिस्म जैसे सूक्ष्म मनोविकार पाए गए । यह आश्चर्य है कि प्रोबॉयोटिक युक्त आहार वाले बच्चों में से किसी भी एक बच्चे में सूक्ष्म मनोविकार नहीं पाया गया । इस अध्ययन से अनुसंधानकर्ताओं को यह ज्ञात हुआ है  कि जीवन के प्रारम्भ काल में पूरक प्रॉबॉयोटिक (विशेषत: लैटोबेसिल्लस रेह्म्नोसस युक्त) के प्रयोग से अनेक विकारों के जोखिम कम किए जा सकते हैं ।

अब आप बताएं कि आप आखिर इससे क्या अर्थ निकालते हैं ?  अब यह तो उचित नहीं होगा कि आप दुग्ध पदार्थ तथा प्रोबॉयोटिक उत्पाद एकत्र करना प्रारम्भ कर दें परन्तु यह जरूर उचित होगा कि आप अपने फिजिशियन से इस बारे में परामर्श अवश्य प्राप्त करें कि क्या आपकी बेताबी और आपके मिज़ाज के अनुरूप ऐसी परिस्थिति है । आप अपने फार्मासिस्ट, आहार विशेषज्ञ अथवा प्राकृतिक चिकित्सक से विचार विमर्श कर अपने लिए बेहतर प्रोबॉ‍योटिक्स का चयन कर सकते हैं ।

यदि आप इस लेख में दी गई सूचना की सराहना करते हैं तो कृप्या फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक और शेयर करें, क्योंकि इससे औरों को भी सूचित करने में मदद मिलेगी ।
 

 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *