चिकनाई और शर्करा से भरपूर पदार्थ सेवन करने से न केवल आपका शारीरिक स्वास्थ्य ही खराब होता है अपितु आपका मानसिक सामर्थ्य भी प्रभावित होता है । ज्यादा मिठाईयां खाने या फिर ज्यादा तले हुए पदार्थ खाने से आपके उस गट (उदर) बैक्टेरिया की प्रवृति में बदलाव आने लगता है जो आपके मस्तिष्क की क्रिया प्रणाली का संचालन करता है ।
ओरिगोन स्टेट यूनिवर्सिटी में किए गए अध्ययन के अनुसार अत्याधिक चिकनाई तथा शर्करा युक्त आहार के सेवन से आपका गट बैकटेरिया प्रभावित होता है जिससे आपका “मानसिक लोच” (अर्थात कंगनिटिव फ्लैक्सिबिल्टी) क्षीण हो जाती है । बदलते हुए परिवेश के समरूप स्वयं को ढालने के लिए मानसिक लोच अनिवार्य होती है ।
इन समस्याओं का संबंध यद्यपि माइक्रोबॉयोम में होने वाले परिवर्तनों से है । माइक्रोबॉयम एक प्रकार से 100 ट्रिलियन अर्थात दस खरब सूक्ष्म जीवों का एक ऐसा समूह है जो हमारी पाचन प्रणाली में ही स्थित है । अनुसंधान से यह देखने में आया है कि ज्यादा शर्करा वाला आहार लिए जाने का हानिकारक परिणाम हमारे स्वास्थ्य पर अधिक होता है । पहले इस प्रकार के आहार के प्रयोग को दीर्घ व अल्प कालिक याददाशत के लिए रूकावट माना जाता था ।
“फेडरेशन ऑफ अमेरिकन सोसायटिज फॉर एक्सपेरिमेंटल बॉयोलॉजी” ने दिसम्बर, 2009 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चूहों पर प्रयोग किए गए थे तथा चूहों इत्यादि के विभिन्न समूहों को अलग अलग प्रकार के आहार दिए गए थे । जिन चूहों को अत्याधिक चिकनाई वाला आहार दिया गया था उनकी मानसिक क्षमता उन चूहों की तुलना में कम पाई गई जन्हें कम चिकनाई वाला आहार दिया गया था । एक जैसे आहार का सेवन करने अथवा आहार न करने के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं तथा ऐसा करने से आपकी याददाशत एवं आपकी मानसिक क्षमताएं कमजोर हो सकती हैं ।
ओएसयू कॉलेज ऑफ वेटरनिरी मेडिसिन्स के प्रोफेसर तथा लाइनस पॉलिंग इंस्टीट्यट के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर कैथी मैगनस्सन का यह कहना है कि “यह तो स्पष्ट हो ही चुका है कि गट बैकटेरिया अथवा माइक्रोबॉयोटा हमारे मस्तिष्क से सम्प्रेषण करता है” ।
उन्होंने आगे यह भी बताया है कि “बैकटेरिया से ऐसे पदार्थ निकलते हैं जो न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य करते हैं, हमारी रोगरोधक प्रणाली की संवेदनशील नाडि़यों को सुव्यवस्थित करते है, तथा अनेको प्रकार के अन्य जैविक क्रियाकलाप करते हैं । संदेश प्रेषित करने की पुष्टि पूरी तरह से नहीं हो सकी है परन्तु हम उसके क्रमों तथा उससे होने वाले प्रभावों पर अपनी नजर गडाए हुए हैं” ।
‘मानसिक लोच’ पर होने वाले स्पष्ट प्रभावों पर बोलते हुए मैग्नुस्सन ने यह बताया कि “मानसिक लोच पर होने वाले नुकसान का पता लगाने के लिए किए गए इस अध्ययन में काफी दम है । आप विचार करें जब आप अपने जाने पहचाने रास्ते से अपने घर जाते हैं तो आपको किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है परन्तु किसी एक दिन जब वह रास्ता बंद होता है तो घर जाने के लिए आपको नया रास्ता ढूंढना ही पड़ता है” ।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार जिस व्यक्ति की मानसिक लोच का स्तर अधिक होता है उसे कारणों का संज्ञान भी आसानी से हो जाता है तथा अपने घर पहुंचने के लिए दूसरा रास्ता ढूंढने में भी उसे कोई खास कठिनाई नहीं होती है । तथापि जब किसी व्यक्ति की मानसिक लोच बेहतर नही होती है तो उसे निश्चय ही दूसरा रास्ता ढूंढने में अधिक समय लगेगा और अपनी समस्याओं का समाधान खोजते हुए वह अनावश्यक ही तनावग्रस्त हो जाएगा ।
मैग्नुस्सन ने यह बताया कि “हम यह जानते हैं कि अत्याधिक चिकनाई तथा शर्करा हमारे लिए अच्छी नहीं है” । “इस प्रयोग से यह सुनिश्चित हुआ है कि चिकनाई और शर्करा आपकी स्वस्थ बैकटेरियल प्रणाली को प्रभावित करते हैं तथा यही कारण है कि ऐसे भोज्य पदार्थ आपके लिए सही नहीं होते । ये खाद्य पदार्थ न केवल आपके मस्तिष्क को प्रभावित करते अपितु इसके कारण आपके आहार तथा माइक्रोबॉयल के बीच पारस्परिक क्रियाएं भी पूरी नहीं हो पाती हैं ” ।
कम पोषक आहार की सीमित मात्रा भी कभी कभी समस्याएं उत्पन्न सकती हैं तथा अल्पकाल के लिए कम भोजन करने के प्रभाव भी हानिकर हो सकते हैं । स्वस्थ जीवनशैली के लिए उचित आराम, संतुलित आहार तथा शारीरिक व्यायाम अत्याधिक आवश्यक है । आप अपने आहार के संबंध में डायटिशियन से इस बारे में विचार विमर्श करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आप सही आहार ले रहे हैं ।
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