ठीक से बोलना सीखने से पहले ही मोबाइल फोन और टैबलेट का इस्तेमाल करने वाले बच्चों की संख्या में इज़ाफा हो रहा है। एक तरफ तो बच्चों में डिजिटल शिक्षा के लिए यह उपयोगी है लेकिन दूसरी ओर दूसरों से ठीक से बात करना सीखने के लिए उन्हें रूबरू होकर संवाद करना भी आना चाहिए।
थोड़े बड़े बच्चों के मामले में भी घंटों स्क्रीन के सामने चिपके रहने के और भी दुष्परिणाम हैं। हार्वर्ड और दुनिया भर की कई अन्य यूनिवर्सिटि में हुए शोधों के मुताबिक स्क्रीन टाइम और बच्चों में मोटापे को जोड़कर देखा जा चुका है। स्क्रीन टाइम ज़्यादा होने के कारण नींद में भी खलल पड़ता है और बच्चे काउच पटेटो यानी बाहर जाकर खेलने या दूसरे बच्चों/खिलौनों के साथ खेलने से कतराते हैं। बचपन हर किस्म का आनंद अनुभव करने का समय है जैसे खेलकूद, क्राफ्ट और अन्य गतिविधियां। लेकिन स्क्रीन के सामने बैठे रहकर वक्त बिताना एक आसान मनोरंजन बन गया है इसलिए बच्चे दूसरे ज़रूरी और लाभकारी विकल्पों के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय है कि बच्चों को दिन भर में दो घंटे से ज़्यादा स्क्रीन के सामने वक्त नहीं बिताना चाहिए। स्क्रीन टाइम को सीमित रखने के कुछ उपाय यहां बताये जा रहे है
1.खिलौनों से खेलने को प्रोत्साहन: अपने बच्चे की जिज्ञासा और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए उसे मज़ेदार, शैक्षणिक और प्रतिक्रियात्मक खिलौने व खेल सामग्री दें। बिल्डिंग ब्लॉक, आर्ट व क्राफ्ट या स्क्रैबल जैसे खिलौने अच्छे उदाहरण हैं जो बच्चों को पसंद आते ही हैं।
2. अपनी गतिविधियों में शामिल करें: जब आप कपड़े धोने का काम कर रहे हैं तब बच्चे को टीवी के सामने छोड़ने के बजाय उसे अपने काम में शामिल करें। छोटे-छोटे कामों में उनकी मदद लें या उनसे बातचीत करते रहें इससे उनका स्क्रीन टाइम तो कम होगा ही, उनमें ज़िम्मेदारी की भावना भी विकसित होगी।
3. बच्चे से बात करें: अगर आपका बच्चा घर में बोर हो रहा है तो उसका टीवी टाइम कम करना कोई उपाय नहीं है। उसके साथ बैठें और खेलें। उसे कहानियां सुनाएं और उसके विचार या दिन भर के अनुभव को जानें।
4. बाहर जाएं: अपने बच्चे को वीडियो गेम्स या टीवी का आदी न बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे वास्तविक दुनिया का आकर्ष्ज्ञण दिखाएं। हमेशा कोई आउटिंग प्लान नहीं की जा सकती लेकिन रोज़मर्रा में पार्क जाना, सुबह या शाम को वॉक पर जाना या फिर मामूली शॉपिंग के लिए जाना आपके बच्चे के लिए मनोरंजक बदलाव होगा।
5. उदाहरण बनें: बेवजह खुद भी स्क्रीन के सामने समय बिताने की आदत छोड़ें ताकि आपके बच्चे को भी यह आदत न लगे। अपने बच्चे के साथ एक व्यावहारिक संबंध बनाएं ताकि स्क्रीन के सामने उसका समय कम हो सके।
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