एक कहावत है कि अगर आप हंसेंगे तो दुनिया साथ में हंसेगी और रोएंगे तो अकेले रोना पड़ेगा। अब शोध ने भी इसे सत्य बताया है। देखा गया है कि लोग दूसरों के सकारात्मक पहलू को अपनाने में ज़्यादा दिलचस्पी लेते हैं और जो लोग सकारात्मक होते हैं उन्हें दोस्त बनाने के लिए अधिक लोग आतुर होते हैं। दूसरी ओर, जो लोग खुशी का दिखावा करते हैं या उदासी दर्शाते हैं, उन्हें ज़्यादा अनुराग नहीं मिलता।
यूएस में यूनिवर्सिटि ऑफ कैलिफोर्निया, इरविन की बेलिंडा कैम्पस की अगुवाई में हुए अध्ययन में देखा गया कि रिश्ते कैसे बनते और बरकरार रहते हैं। मोटिवेशन एंड इमोशन नाम जर्नल में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं की परिकल्पना थी कि जब एक अजनबी सकारात्मक अनुभाव दर्शाता है तो लोग नये रिश्ते के लिए खुलते हैं। इस प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने महिलाओं से भावनात्मक फिल्म क्लिप्स देखने को कहा जो खुशी और दुख उपजाने के उद्देश्य से चुनी गई थीं। उन्हें यह फिल्म अपने रूममेट या किसी अजनबी के साथ देखने को कहा गया। प्रतिभागियों के फिल्म देखने और उसके दौरान अपनी भावनाएं व्यक्त करने की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और इसकी व्याख्या प्रशिक्षित ऑब्ज़र्वरों ने की। प्रतियोगियों ने अपनी भावनाएं जताने के लिए एक प्रश्नावली भी भरी।अनुमान के अनुसार ही, अध्ययन में देखा गया कि अधिकतर लोगों ने उन अजनबियों के प्रति लगाव महसूस किया जो सकारात्मक थे। यह लगाव उस समय अधिक था जब किसी व्यक्ति ने स्वाभाविक या उत्साहवर्धक खुशी जताई जिसे डशेन स्माइल भी कहते हैं। इसमें होठ फैल जाते हैं, गाल फूल जाते हैं और आंखें सिकुड़ जाती हैं।
जब एक अजनबी ने उदासी के भाव दर्शाये तो दूसरे प्रतिभागी ने लगाव नहीं दर्शाया। यह कुछ हद तक आश्चर्यजनक इसलिए था क्योंकि कुछ लोग सोचते हंं कि उदासी अभिव्यक्त किये जाने से उनमें दूसरे के प्रति सहानुभूति की इच्छा जाग्रत होती है। इसके साथ ही, जब किसी व्यक्ति ने खुशी और सकारात्मकता महसूस की लेकिन उसे दर्शाया नहीं, तो भी दूसरे प्रतियोगी में लगाव की भावना नहीं देखी गई।
कैम्पस ने कहा कि “समाज व्यवस्था में सकारात्मक भावनाओं की महत्ता के बारे में अध्ययन में हमें नये सबूत मिले और सामाजिक समरसता के विकास में सकारात्मक भावनाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय दिखाई दी। लोग दूसरों की सकारात्मक भावनाओं से ज़्यादा सामंजस्य दर्शाते हैं और दूसरी की नकारात्मक भावनाओं की जगह सकारात्मक भावनाओं के प्रति वे ज़्यादा सामंजस्य बिठा पाते हैं।”
तो अगली बार जब आप सामाजिक संरचना में और दोस्त बनाना चाहते हों तो, मुस्कुराएं, खुश रहें!
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