बच्चों में मोटापे की समस्या पूरी दुनिया में बढ़ रही है और इसका हल इतना आसान नहीं है कि आप कम खाएं और ज़्यादा कसरत करें। हमारा जीवन लगभग निष्क्रिय होता जा रहा है और जंक फूड का सेवन आम, ऐसे में भोजन के साथ संबंधित मनोवैज्ञानिकता को सही दिशा में जोड़ने के लिए हमें अच्छी आदते तो डालना ही होंगी। यहां विशेषज्ञों के कुछ सुझाव दिये जा रहे हैं।
अब, एक नये अध्ययन में पता चला है कि बच्चे में मोटापे का खतरा सिर्फ इस बात से दूर नहीं हो जाता कि वह क्या खा रहा है बल्कि यह भी कि वह कैसे खा रहा है। इस अध्ययन में अवलोकन किया गया कि कैसे मां का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स), सामाजिकता और भोजन संबंधी आदतें उसके द्वारा बच्चे को भोजन कराने पर प्रभाव डालती हैं।
नेशनवाइड चिल्ड्रस अस्पताल में पोषण संबंधी विभाग की निदेशक इहोमा एनेली ने साइंसडेली को बताया कि “लालन-पालन करने वाले और बच्चे के बीच भोजन संबंधी व्यवहार को बचपन के मोटापे के घटक के रूप में गंभीरता से नहीं लिया जाता। हमने पाया कि अगर भोजन के समय तनावपूर्ण वातावरण हो तो बच्चे में बाद में भोजन संबंधी गलत आदतें पड़ने की आशंका रहती है।”
यहां दिये जा रहे 5 तरीकों को अपनाकर आप बच्चों में भोजन संबंधी अच्छी आदमें डाल सकते हैं और उन्हें मोटापे से बचा सकते हैं।
पीछे लें एक कदम: एनेली का सुझाव है कि बच्चों को भोजन कराते समय ज़्यादा मनाही या ज़बरदस्ती न करें। आप उनके क्या, कैसे, कब और कहां खाना है, जैसे नियम बना दें लेकिन उन्हें भी थोड़ी आज़ादी दें कि वे अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार और पसंद के विकल्पों के अनुसार भोजन कर सकें।
एनेली ने कहा कि “जब अभिभावक भोजन के मामले में बहुत प्रतिबंध लगाते हैं तो दो स्थितियां बन सकती हैं। पहली, बच्चे भूख न होने पर भी खाना सीखते हैं। और दूसरी, इस संघर्ष के कारण भोजन ज़रूरत से ज़्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा हो जाता है और इसका दूरगामी परिणाम यह होता है कि एक व्यक्ति के जीवन में भोजन की भूमिका को लेकर अव्यावहारिक सोच शुरू हो जाती है।”
मिठाई को पुरस्कार न बनाएं: आपके द्वारा भोजन को लेकर अच्छे उदाहरण बनाना आपके बच्चों को भोजन के साथ सेहतमंद तरीके से जोड़ता है। एनेली का सुझाव है कि अभिभावकों को बच्चों को थाली में परोसा गया पूरा भोजन खत्म करने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए खासतौर से उसके बदले में डेज़र्ट का लालच नहीं देना चाहिए। डेज़र्ट को भोजन के एक हिस्से के रूप में रखें न कि पुरस्कार के। उन्होंने कहा कि “बिल्कुल, आपका बच्चा डेज़र्ट पहले खाना चाहेगा लेकिन वह ऐसा एकाध हफ्ते ही करेगा। उसके बाद उसकी यह इच्छा स्वतः ही समाप्त हो जाएगी और वह डेज़र्ट को भोजन के बाद खाना सीख जाएगा।”
थोड़ा परोसने से होती है ज्त्रयादा मदद: अपने बच्चों को उनकी भूख के बारे में अंदाज़ा लगाना सीखने दें इसलिए थोड़ा ही परोसें और उनसे कहें कि और भूख होने पर वे और ले सकते हैं। एनेली कहती हैं “जब बच्चे की बात मानी जाती है तो वह अपनी भूख का अंदाज़ा लगाने में अधिक कामयाब होता है क्योंकि वह समझता है कि उस पर विश्वास किया जा रहा है। यह भोजन के संबंध में एक बेहद सकारात्मक भाव है।”
बेहतर बातचीत करें: हर समय भोजन के बारे में ही बात न करते रहें। अगर आप हमेशा भोजन, पोषण और भोजन के समय को लेकर ही बात करेंगे तो आपके बच्चे को तनाव हो सकता है। भोजन को एक नियमित कार्य के रूप में लें, इस रूप में नहीं कि उसके बदले पुरस्कार मिलेगा।
उसकी पसंद की चीज़ दें: अगर आपका बच्चा भोजन को लेकर बेहद चुनिंदा बर्ताव रखता है तो उसकी थाली में एक चीज़ ऐसी ज़रूर रखें जो वह चाव से खा सके। एक बार बच्चा आश्वस्त हो जाएगा कि भोजन बड़ों और बच्चों के बीच में कोई संघर्ष का मुद्दा नहीं है, तो वह अपने आप धीरे-धीरे वह सब खाएगा जो आप उसे देंगे। सकारात्मक रहें और धैर्य रखें। याद रखें बच्चे को थोड़ी सी स्वतंत्रता दें और वह सीखेगा कि सेहतमंद भोजन उसके लिए ही लाभदायक है। भोजन को लेकर सही विचार रखने और अच्छे उदाहरा प्रस्तुत करने से आपका बच्चा भोजन के साथ हेल्दी और सही रिश्ता बना पाता है।
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