उच्च आय पिरवारों से जुड़े एक अध्ययन में पाया गया है कि जब युगल को शिशु सुख प्राप्त होता है, तब महिला ज़्यादा दायित्व उठाती है, पुरुष कम। शिशु के जन्म से पहले युगल घर के कामों का बराबर दायित्व निर्वहन करते हैं और गर्भधारण के समय 95 फीसदी पुरुषों व महिलाओं का कहना होता है कि बच्चे की देखभाल से जुड़े दायित्व भी दोनों के हिस्से में बराबर आने चाहिए।
मैरिज एंड फैमिलि जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 182 युगलों का अवलोकन किया गया जिनमें से सभी औसत से ज़्यादा शिक्षित थे। अध्ययन में प्रतिभागी बने सभी युगल वर्किंग थे और युगल में दोनों का ही कहना था कि बच्चे के जन्म के बाद भी वे काम जारी रखेंगे।
उन्होंने एक टाइम डायरी बनाई जिसमें उन्होंने अपने काम का बयौरा लिखा। महिलाओं व पुरुषों दोनों का मानना था कि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें चार घंटे ज़्यादा काम करना होगा लेकिन यह धारणा गलत साबित हुई: टाइम डायरी के मुताबिक महिलाओं को दो घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ा जबकि पुरुषों को 40 मिनट।
बच्चे के जन्म से पहले, महिलाओं व पुरुषों दोनों का कहना था कि वे हर हफ्ते लगभग 15 घंटे घर का काम करते हैं। साथ ही 42 से 45 घंटे अपना तनख्वाह वाला काम करते हैं। बच्चे के जन्म के बाद, पुरुशों ने केवल 10 घंटे ही बच्चे की देखभाल से जुड़ा शारीरिक काम किया। इसमें वे काम भी शामिल हैं जो कम मज़ेदार समझे जाते हैं जैसे बच्चे के डायपर बदलना या उसे नहलाना। महिलाओं ने हर हफ्ते 15 घंटे इस काम में दिये, जो एक बड़ा अंतर दिखता है।
इसके अलावा पेरेंटिंग का मज़ेदार हिस्सा जिसमें बच्चे के साथ मस्ती करना, पढ़ना, खेलना आदि शामिल हैं, इसमें समय देने में कम अंतर दिखा। वर्किंग मांओं ने बच्चे के साथ इस तरह से एक हफ्ते में 6 घंटे और पुरुषों ने 4 घंटे बिताये। अध्ययन में पाया गया कि पुरुषों ने हफ्ते में 10 घंटे का समय देने में कोताही की औश्र यह समय कम कर दिया जबकि महिलाओं ने ऐसा नहीं किया और पहले जितना ही समय दिया।
इन नतीजों के बारे में एक स्पष्टीकरण तो यह है कि महिलाओं ने घर में ज़्यादा समय दिया और पेड जॉब में कम। लेकिन अध्ययन में ऐसा होना नहीं माना गया। महिलाओं व पुरुषों दोनों ने ही बच्चे के जन्म के बाद कमोबेश बराबर घंटे दिये।
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