व्यवहार विशेषज्ञ मानते हैं कि रूड व्यवहार, बहस करना आदि व्यवहार के सामान्य लक्षण हैं क्योंकि बच्चे का मस्तिष्क परिपक्वता की दिशा में बढ़ रहा है औश्र वह अपने अभिभावकों से अलग इकाई बन रहा है। अगर मस्तिष्क का भावनात्मक केंद्र बौद्धिक केंद्र की तुलना में अधिक तेज़ी से विकसित हो रहा हो तो जटिल व्यवहार का कारण बन सकता है। दिल्ली की बाल मनोवैज्ञानिक शैलजा सेन का कहना है कि ‘‘एक टीन का मस्तिष्क एक दमदार कार की तरह है जो नौसीखिये ड्राइवर के हाथ में है। भावनात्मक मस्तिष्क उसका टर्बो इंजन है जो तेज़ रफ्तार पकड़े हुए है और ड्राइवर के नियंत्रण में नहीं है।’’ इसलिए अगर आपका बच्चा जटिल भावनाओं से दो-चार होता है तो वह उसका ठीक अर्थ समझने में मुश्किल महसूस करता है। इसी वजह से उसके व्यवहार में रूड होने, नाटकीयता होने या इंपल्सिव होने जैसे लक्षण दिखते हैं।
बढ़ते बच्चे द्वारा आपको अनदेखा करने, बहस करने या आपकी बात न मानने के अन्य कारणों में एक यह भी है कि वह आपसे अलग होने के प्रयास में है यानी वह खुद को एक अलग और स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में स्थापित करना चाह रहा है। यह परिवर्तन अचानक भी दिख सकता है। बच्चा ऐसा कर रहा होता है लेकिन कई बार उसे खुद भी पता नहीं होता कि वह ऐसा क्रूों कर रहा है। इसलिए वह कई बार बातों को टालता है बजाय उन पर बात करने या उन्हें समझकर सुलझाने के
तो, टीनेज व्यवहार विशेषज्ञ अभिभावकों को सलाह देते हैं कि बढ़ती उम्र के इस प्राकृतिक परिवर्तन को वे स्वीकार करें। ऐसे में बच्चों को कठिन सज़ा देने के लिए कई बार अभिभावक तत्वर होते हैं लेकिन शांत रहें और तार्किक समझ से इस स्थिति का सामना करें। आखिर आप तो वयस्क हैं। टीनेजर्स के साथ 30 सालों काम कर रहे एक विशेषज्ञ द्वारा दिये गये कुछ सुझाव यहां दिये जा रहे हैं:
– व्यक्तिगत न लें। समझें कि ऐसा नहीं है कि आपका बच्चा आपको पसंद नहीं करता बल्कि उसके लिए उस व्यवहार का कारण आप नहीं है, उसे फर्क नहीं पड़ता कि उसका अभिभावक कौन है। इसलिए ऐसे में आप भावुकतावश प्रतिक्रिया न करें।
– हदें बनाएं। इसका मतलब है कि बच्चे को रूड व्यवहार की पूरी स्वतंत्रता न दें। कभीकभी उसके भावनात्मक द्वंद्व से परिपूर्ण व्यवहार को सहन ज़रूर करें और शांति से उसे समझाएं कि क्या उचित है और क्या नहीं। उदाहरण के लिए अपने बच्चे के गुस्से की अभिव्यक्ति को मौका दें लेकिन उसे समझाएं कि इस दौरान वह असभ्य भाषा का इस्तेमाल करेगा तो यह स्वीकार नहीं होगा। इससे आपका बच्चा सीखेगा कि कैसे भावनात्मक मुश्किलों का सामना किया जाता है और अपनी समस्याओं को किस तरह अभिव्यक्त किया जाता है।
– अधिक उलझन से बचें। बात बढ़ने के दौरान हो सकता है कि आप बच्चे के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ना बंद कर दें। ऐसे में आपका बच्चा यह समझ सकता है कि वह आपकी भावनाओं के साथ खेल सकता है। इससे बचने के लिए, पहला कायदा यह बनाएं कि आप उसकी बातों को व्यक्तिगत नहीं लेंगे और दूसरा कायदा यह बनाएं कि बच्चे को उसकी मर्यादा का एहसास रहे। अगर आपका बच्चा दिल दुखाने वाली बातें करे या रूड हो तो आप कह सकते हैं कि आप तब तक बातचीत नहीं करेंगे जब तक वह सामान्य न हो जाये और ठीक से बात न करें।
– आगे की योजना बनाएं। अगर आप पहले अप्रिय वार्तालाप झे चुके हैं तो यह न सोचें कि यह दोबारा नहीं होगा। टीनेज में बच्चे विद्रोह करते हैं, इसके लिए तैयार रहें। इसका मतलब है आप बच्चे को मर्यादाओं में बांधने के प्रति सजग रहें और उसे अपनी अपेक्षाओं व उनके कारणों से अवगत कराते रहें। अपने आप को याद दिलाते रहें कि बच्चे के अप्रिय बर्ताव को आपको व्यक्तिगत हमला नहीं समझना है और एक अभिभावक के नाते, आपको दृढ़ बने रहना है।
– अपने बच्चे के लिए साथ रहें। बच्चे के साथ अच्छा समय बिताकर आप उसके साथ जुड़ें तो इस तरह की तकलीफें कम होंगी। अक्सर हम बच्चों की गलतियां बताने, उन्हें सुधाने की कोशिश करने औश्र उनकी देखभाल करने में ही लगे रहते हैं और यह जानना भूल जाते हैं कि उनके मन में क्या चल रहा है।
मुश्किलों को आसान बनाएं और बच्चों के साथ कभी-कभी अनौपचारिक बातचीत करें। इससे संवाद बेहतर ढंग से स्थापित होता है और सज़ा देने या सुधाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है इस तरह का मधुर संबंध।
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