दुर्घटनावश गर्भपात की शिकार बहुत सी महिलाएं अपने आप को दोषी समझती हैं। यूएस में हुए एक ताज़ा अध्ययन में पता चला है कि इस तरह के गर्भपात के कारणों के बारे में ठीक समझ का अभाव एवं गलतफहमियों के कारण महिलाएं खुद को शर्मिंदा और दोषी महसूस करती हैं।
अध्ययन के अनुसार करीब 50 फीसदी महिलाएं अपराध बोध से ग्रस्त होती हैं, जबकि 40 फीसदी खुद को दोषी मानती हैं। पांच में से दो महिलाएं इस स्थिति में खुद को अकेला महसूस करती हैं।
इस अध्ययन में यह भी देखा गया कि इस स्थिति में पड़ी महिलाओं में से उल्लेखनीय प्रतिशत ऐसी महिलाओं का है जिन्हें मिसकैरेज के कारणों के बारे में गलतफहमियां होती हैं और उन्हीं के कारण वे खुद को दोषी मानने लगती हैं। उदाहरण के लिए 64 फीसदी महिलाओं का विचार है कि भारी वस्तुएं उठाने के कारण मिसकैरेज होता है। तीन चौथाई का मानना है कि किसी दुखद घटना से उपजा तनाव गर्भ के समय होने वाले नुकसान का कारण होता है। 20 फीसदी मानती हैं कि मौखिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से मिसकैरेज की आशंका होती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि 57 फीसदी महिलाओं को मिसकैरेज होने के कारणों से अवगत नहीं कराया जाता जिससे और संदेह उपजते हैं। अध्ययन में जिन पर प्रयोग किये गये, उनमें से 55 फीसदी का मानना था कि सिर्फ 6 फभ्सदी गर्भवतियों के साथ ही मिसकैरेज होता है जबकि अध्ययन के मुताबिक यह आंकड़ा वास्तव में एक चौथाई है। प्रयोग में शामिल महिलाओं में से अनेक यह भी मानती थीं कि धूम्रपान, ड्रग्स और अल्कोहल भी मिसकैरेज के सबसे सामान्य कारण हैं जबकि 60 फीसदी मिसकैरेज का कारण वास्तव में आनुवांशिक समस्याएं हैं।
न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन और मॉंटेफायर मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं का मानना है कि इसी तरह की भ्रामक जानकारियों के कारण गर्भपात की शिकार महिलाएं अपने आप को शर्म और दोषी भाव से ग्रस्त पाती हैं।
अध्ययन के लेखकों का कहना है कि: “जो मरीज़ मिसकैरेज के शिकार हो चुके हैं उन्हें स्वास्थ्य विशेषज्ञों, की काउंसलिंग से मदद मिल सकती है और वे इसके कारण जान सकते हैं। हेल्थकेयर प्रोवाइडर गर्भवतियों को इस अवस्था के प्रति शिक्षित एवं जागरूक करने में अहम भूमिका रखते हैं और मरीज़ों की गलतफहमियों को दूर करने के साथ ही उन्हें समझा सकते हैं कि क्या जोखिम हैं जिनसे बचाव ज़रूरी है।”
जबकि मिसकैरेज बहुत होने वाली घटना है, तब भी यह एक अभिशप्त विषय है जिसके बारे में बात नहीं की जाती इसलिए ऐसा होने पर जानकारियों के अभाव में नकारात्मक भावनाएं जन्म लेती हैं। ज़्यादा समझ और मनोवैज्ञानिक कारणों के बारे में शिक्षा से महिलाओं और उनके साथियों की काफी मदद हो सकती है जिससे वे जीवन में हुई हानि के संताप से उबर सकते हैं।
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