पहले हुए शोध में पता चला था कि कम आय वर्ग के परिवारों से आने वाले बच्चे अकादमिक रूप से उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते जितना उनकी तुलना में धनी समूह के बच्चे। और अब, एक नये अध्ययन का दावा है कि इस फर्क का कारण उन्हें मस्तिष्क की संरचना में स्पष्ट रूप से दिख गया है।
मैसेचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटि के शोधकर्ताओं ने निम्न आयु और उच्च आयु वर्ग के बच्चें में इस फर्क का कारण खोजने के उद्देश्य से अध्ययन किया। एमआईटी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों समूहों के बच्चों के मस्तिष्क के अध्ययन के बाद पाया गया कि उच्च आय वर्ग के बच्चों के मस्तिष्क में कॉर्टेक्स की मोटाई अधिक थी जो विज़ुअल परसेप्शन और ज्ञान को संचित करने से संबद्ध है। यह फर्क मानक परीक्षाओं के आधार पर अकादमिक सफलता या प्रदर्शन से भी जुड़ा पाया गया। दिलचस्प यह है कि ब्रेन एनाटमी के दूसरे पैमानों में, शोधकर्ताओं को कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं दिखे।
ब्रेन एंड कॉग्निटिव साइसेज़ के प्रोफेसर और अध्ययन के एक लेखक एमआईटी के जॉन गैब्रिएली ने कहा कि “एक अनुकूल वातावरण में न रहने की कीमत वास्तव में चुकानी होती है। केवल परीक्षा परिणामों या शैक्षिक गतिविधियों में ही नहीं बल्कि इन बच्चों के मस्तिष्क में भी हम ये देख सकते हैं। मेरे लिए, अब यह कुछ पहल करने का इशारा है। जिन्हें अपने वातावरण में आसानी से सही चीज़ नहीं मिल रही है उनके लिए अब आपको पहल करना होगी।”
पहले के शोध में पता चला था कि निम्न आय वर्ग के छात्रों में तनाव और शैक्षिक स्रोतों का अभाव उच्च आय समूह के छात्रों से ज़्यादा है। इसे अकादमिक सफता कम होने का एक प्रमुख कारण माना गया था और इसी कारण से ब्रेन एनाटमी में यह फर्क हो सकता है। हालांकि ताज़ शोध में दिखे फर्क के कारण की जांच नहीं की गई है।
वास्तव में ज़रूरत इस बात की है कि अकादमिक अंतर की इस खाई को पाटा जाये ताकि सभी छात्र समान स्तर पर प्रगति कर सकें।
गैब्रिएली ने कहा कि “निम्न और उच्च आय समूह के छात्रों के बीच टेस्ट स्कोर के आधार पर दिखने वाला यह सफलता का अंतर असल में बहुत समय से उपेक्षित मसला है, खासतौर से अमेरिका की शिक्षा व्यवस्था में और दुनिसा भर की शिक्षा प्रणाली में।” उन्होंने कहा कि “शिक्षाविदों औश्र नीतिनिर्धारकों में सफलता के इस अंतर के कारणों को जानने के प्रति खासी दिलचस्पी है लेकिन इससे ज़्यादा दिलचस्पी उन्हें संभावित नीतियां बनाने में है।”
अच्छी खबर यह है कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि मस्तिष्कीय संरचना में पाये गये इस अंतर का निदान संभव नहीं है। गैब्रिएली का कहना है कि “हमारे अध्ययन का यह अर्थ नहीं है कि शैक्षिक सहयोग, घरेलू सहयोग औश्र अनुकूल वातावरण आदि मिल जाने के कारण फर्क नहीं आ सकता।” अब शोधकर्ता इस जिज्ञासा का नतीजा तलाशने में जुटे हैं कि क्या सफलता के इस अंतर को मिटा सकने वाले शैक्षिक विकल्पों से और अन्य हस्तक्षेपों से क्या मस्तिष्कीय संरचना पर कोई प्रभाव पड़ सकता है।
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