लंबी कक्षाओं में शिक्षक के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि वह बच्चों का ध्यान बनाये रखे लेकिन क्या इसका कोई आसान रास्ता हो सकता है? एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार, हमेशा बैठे रहने के बजाय अगर बच्चों को स्टैंडिंग डेस्क के सामने खड़ा किया जाये तो शायद यह संभव है।
एसोसिएट प्रोफेसर मार्क बेंडन और टेक्सस ए एंड एम यूनिवर्सिटि के अन्य शोधकर्ताओं द्वारा लिखित तथा इंटरनेशनल जॉर्नल ऑफ हेल्थ प्रमोशन एंड एजुकेशन में प्रकाशित एक पेपर में शोधकर्ताओं ने देखा कि कक्षा में उपस्थित बाकी छात्रों की अपेक्षा उन छात्रों का कक्षा में ध्यान 12 फीसदी तक ज़्यादा देखने में आया जो स्टैंडिंग डेस्क का इस्तेमाल करते थे। इसका बच्चों के प्रदर्शन पर सीधा प्रभाव देखा गया। बेंडन का कहना है कि ‘‘ध्यान देने योग्य शोध संकेत करता है कि छात्रो की उपब्धियों में सबसे बड़ा योगदान इस बात का होता है कि अकादमिक व्यवहार में वे कितने संलग्न रहते हैं।’’
स्टैडिंग डेस्क पर बच्चे बैठे या खड़े रह सकते हैं। ये डेस्क सामान्य डेस्क की तुलना में उंची होती है और इसमें हाई स्टूल होता है जिस पर बच्चे इच्छानुसार बैठ सकते हैं या खड़े रह सकते हैं। बेंडन का मानना है कि स्टैंडिंग डेस्क बच्चों को बेचैनी से उबरने का उपाय देती हैं इसलिए वे अपना उबाउपन दूर कर ध्यान बढ़ा सकते हैं। यह शोध दूसरे शोध के नतीजों से जुड़ता है जिसमें कहा गया था कि कुछ बच्चों को सीखने के लिए कुछ मूवमेंट या गतिशीलता चाहिए होती है।
कक्षा 2 से 4 तक के करीब 300 बच्चों को लेकर यह अध्ययन किया गया। पूरे स्कूल सत्र के दौरान कक्षा में उनकी संलग्नता का अवलोकन किया गया। यह अवलोकन करने के लिए सवाल का जवान देने संबंधी तत्परता, हाथ उठाना या परिचचा्र में भाग लेने जैसे ऑन टास्क और मौका मिलते ही बातचीत करने जैसे ऑफ टास्क पर ध्यान दिया गया।
एर्गनॉमिक इंजीनियरिंग के बैकग्राउंड से आने वाले बेंडन पहले भी कई अध्ययन कर चुके हैं जिनमें पता चला था कि स्टैंडिंग डेस्क के ज़रिये मोटापे की समस्या को भी कम किया जा सकता है। पहले के उनके एक अध्ययन में निष्कर्ष निकला था कि जो बच्चे स्टैंडिंग डेस्क का इस्तेामल करते हैं वे सामान्य डेस्क का इस्तेमाल करने वालों बच्चों की तुलना में 15 फीसदी कैलोरीज़ ज़्यादा जलाते हैं। मोटापे के शिकार बच्चे 25 फीसदी कैलोरीज़ ज़्यादा जला पाये।
ऐसे भी कुछ शोध हैं जो दर्शाते हैं कि थोड़ी सी शारीरिक गतिविध के कारण मानसिक क्षमताएं बढ़ती हैं। बेंडन ने कहा कि “यह समझना आसान है कि हम खड़े होकर बेहतर महसूस करते हैं बजाय बैठे रहने के।”
भारत के स्कूलों में भी इस पर विचार किया जा सकता है क्योंकि बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। और अगर, स्टैंडिंग डेस्क की मदद से बच्चों का स्वास्थ्य औश्र शैक्षणिक प्रदर्शन सुधर सकता है तो इसे अपनाने में क्या समस्या हो सकती है।
बेंडन् पॉज़िटिवमोशन, एलएलसी के संस्थापक भी हैं जो यूएस में स्टैंड टू लर्न डेस्क की मार्केटिंग करती है।
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