कई सर्वेक्षणों में पता चला है कि लोग भोजन को लेकर स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुनना चाहते हैं लेकिन आजकल स्टोर आदि में प्रोसेस्ड और पैकेज्ड भोजन के मामले में हमेशा यह आसान नहीं होता। फ्रोज़न या कैन्स में मिलने वाला या प्लास्टिक व कागज़ के डिब्बों में बंद भोजन अब हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुका है और तब तक बना रहेगा जब किसी कहर के कारण दुनिया भर की सभी फैक्टरियां नष्ट न हो जाएं। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक सही विकल्प चुनने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप जब भी ऐसे खाद्य पदार्थ खरीदें तो उस डिब्बे के लेबल पर पोषण के ब्यौरे को समझें। यह तब और ज़्यादा ज़रूरी है जब आप अपने परिवार या बच्चों के लिए खरीदी कर रहे हों क्योंकि बच्चों को सही पोषण न मिलने पर वे जीवन भर के लिए भी प्रभावित हो सकते हैं।
सबसे पहले यह समझें कि सिर्फ ब्रांड के दावों को सही न मानें, हो सकता है कि ये उनकी प्रचार तरकीब हो। उदाहरण के लिए किसी पैकेट पर लिखा हो सकता है ‘विटामिन से भरपूर (Fortified with vitamins)’ या ‘प्रोटीन से भरपूर (Packed with protein)’ लेकिन हो सकता है कि उनमें विटामिन या प्रोटीन नगण्य हों। कोई कंपनी यह दावा कर सकती है कि ‘संपूर्ण गेहूं से निर्मित (made from whole wheat)’, जो दर्शाता है कि इसमें सेहतमंद और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट हैं लेकिन हो सकता है कि इसमें बहुत कम कार्बोहाइड्रेट हों और ज़्यादा इस्तेमाल मैदा का किया गया हो। इसी तरह किसी ‘लो फैट (Low fat)’ उत्पाद में स्वाद बढ़ाने के लिए नमक और शकर हो सकता है।’
पोषण के बारे में जानने के लिए पैकेट पर लिखी जानकारी को समझना सीखें। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने सभी तरह के पैकेज्ड फूड पर किलो कैलोरीज़ में एनर्जी वैलयू दर्शाने के निर्देश दिये हैं जिसमें प्रति 100 ग्राम या प्रति 100 मिली पर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शकर और फैट आदि की मात्रा लिखी जाती है। इस प्रणाली को समझकर सैचुरेटेड फैट और अतिरिक्त शकर जैसी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों से युक्त खाद्य पदार्थों से बचें।शकर और फैट ही नहीं बल्कि नमक में पाया जाने वाला सोडियम भी आपके स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि इसके अधिक सेवन से दिल की बीमारियां और हाई बीपी आदि रोग हो सकते हैं। और, दुर्भाग्य से यह कई तरह के पैकेज्ड फूड जैसे चिप्स, पॉपकॉर्न आदि स्नैक्स में ज़्यादा मात्रा में होता है और कई ब्रांड पैकेट पर इसका उल्लेख तक नहीं करते क्योंकि प्राधिकरण ने सोडियम के उल्लेख को ज़रूरी नहीं माना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ज़ोरदार सिफारिश की है कि वयस्कों को दिन भर में 2 ग्राम सोडियम यानी 5 ग्राम नमक से ज़्यादा का सेवन नहीं करना चाहिए और बच्चों को इससे काफी कम। आदर्श तो यह होगा कि डेढ़ ग्राम प्रतिदिन से भी कम प्रयोग हो लेकिन यह कहना ही आसान लगता है।
विटामिन और खनिज जैसे ज़रूरी पोषक तत्वों के लिए कई बार यह जानना कठिन होता है कि इनकी कितनी मात्रा काफी है, खासकर तब जब इनकी इकाइयां मिली ग्राम या माइक्रोग्राम में दर्ज हों। लेबल पर गौर करें और देखें कि रोज़मर्रा का ज़रूरी पोषण उस पर दर्ज है या नहीं। खाद्य पदार्थ निर्माताओं के झूठे दावों और के शिकार न बनें। उदाहरण के लिए एक ग्रेनोला डिब्बे पर लिखा हो सकता है वह विटामिन और खनिज से भरपूर है लेकिन हो सकता है कि उसमें फैट और शकर ज़्यादा हो। इससे बेहतर है कि आप पोषण के लिए ताज़ा मेवा, फल, सब्ज़ियां आदि खरीदें।
अंततः प्रोटीन चेक करना न भूलें। अगर प्रोटीन ज़्यादा होगा तो वह खाद्य आपके स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा लाभदायक होगा। यह सुझाव दिया जाता है कि बच्चों के लिए स्नैक्स में कुल कैलीरीज़ का 15 फीसदी स्रोत प्रोटीन होना चाहिए। प्रोटीन की मात्रा जानने के लिए एक सूत्र अपनाएं: प्रति 100 ग्राम में किलो कैलोरीज़ की संख्या को 100 से विभाजित करें और फिर प्राप्त संख्या मो 4 से गुणा करें। उदाहरण के लिए प्रति 100 ग्राम में 600 किलो कैलोरीज़ हैं तो हर 100 ग्राम में कम से कम 24 ग्राम प्रोटीन होना चाहिए। इस सूत्र के ज़रिये आप बेहतर पोषण का विकल्प चुन सकते हैं।
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