क्या आपका बच्चा भी, कई दूसरों की तरह, रोज़ नहाने के समय कतराता फिरता है? आप समझदार अभिभावकों और भ्रमित बच्चे के इस पुराने संघर्ष को आसान कर सकते हैं, सिर्फ रोज़ नहाने को इतना महत्व न देकर। जबकि हम मानते रहे हैं कि हमारे बच्चों के लिए रोज़ नहाना ज़रूरी है लेकिन अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स का कहना उलट है। उसके अनुसार कभी कभी स्नान को टाल देना कोई बड़ी बात नहीं है। एकेडमी का सुझाव है कि एक साल से कम उम्र के शिशुओं के लिए हफ्ते में तीन बार स्नान काफी है। इससे ज़्यादा स्नान उनकी मुलायम त्वचा के लिए जोखिम है। इसी सिलसिले में अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी का कहना है कि 6 से 11 साल के बच्चों को हफ्ते में एक या दो बार नहाना चाहिए, अगर वे गंदे नहीं होते तो। हां, युवावस्था के बाद रोज़ नहाना ज़रूरी है।
जी हां, जब आप भारत के कई इलाकों में गर्म और धूल भरे वातावरण में रहते हैं तो इन सुझावों को थोड़े फेरबदल के साथ अपनाने की ज़रूरत होती है। फिर भी यह धन रखने की बात है कि रोज़ नहाने का सख्त शेड्यूल ज़रूरी नहीं है।
किसी भी उम्र के अपने बच्चे को जब आप नहाने के लिए मना लेते हैं तो याद रखिए कि यह उसके लिए आनंददायक होना चाहिए। अगर वह चाहता है तो उसे खिलौने दे दें। हालांकि पानी से आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता लेकिन कुछ सावधानियां ज़रूर रखें।
शिशुओं की त्वचा बेहद कोमल होती है इसलिए उन्हें हल्के से नहलाएं और बड़े बच्चों की तुलना में साल में कम बार।
साबुन का ज़्यादा इस्तेमाल आपके बच्चे की त्वचा के लिए खतरनाक हो सकता है। बच्चों को झाग से खेलना पसंद आता है नेकिन ध्यान रखें कि ज़रूरत पर ही साबुन का इस्तेामल करने दें अन्यथा सिर्फ कुनकुने पानी में उसे खेलने दें।
लोशन और मॉइश्च्राइज़र से त्वचा की कोमलता बरकरार रखी जा सकती है। लेकिन सही ब्रांड्स के ही उत्पाद लें और इन्हें लगाने का सबसे ठीक समय नहाने के ठीक बाद का है। अपने बच्चों को लोशन आदि लगाने की प्रक्रिया में शामिल करें ताकि वे इसका प्रतिरोध न करें।
अपने बच्चे के नहाने के समय उस पर नज़र रखें। अगर आपका बच्चा 7 साल से ज़्यादा उम्र का नहीं है तो उसे अकेले नहाने की इजाज़त न दें क्योंकि कम पानी में भी डूबने की दुर्घटनाएं होती हैं। और गलती से गलत नल खोल देने पर बच्चा गर्म पानी से जल भी सकता है।
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