भारतीय उपभोगता तेजी से जैविक आहार की ओर रूख कर रहा है परंतु हाल की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ओरगैनिक नाम से बिकने वाले अधिकांश उत्पाद जाली होते हैं । यद्यपि अनैतिक आहार उत्पादकों के लिए “ओरगैनिक” नाम के झूठे लेबल लगा पाना सभव है, परंतु वास्तविक जैविक आहार सरकार द्वारा निर्धारित कुछ अपेक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ प्रमाणित भी होते हैं। प्रमाणीकरण प्रक्रिया की जांनकारी हासिल करके और यह पता लगा कर कि उन्हें वास्तव में क्या चाहिए उपभोगता स्वयं व अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं ।
जैविक प्रमाणीकरण के तहत खेतीहर भूमि के मामले में भारत विश्व में 10वें नम्बर पर है जबकि उसमें से केवल 15% भूमि ही कृषियोग्य है । जैविक खेती एवं जैविक आहार की खपत उपभोगता के पास पहुंचने वाले वास्तविक उत्पादों पर निर्भर करती है ।
जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPOP), भारत सरकार की ऐसी पहल है जो भारत में जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए मानक प्रदान करती है । NPOP पर कृषि एवं संसाधित आहार विकासात्मक प्राधिकरण (APEDA), नजर रखता है जो कृषि उत्पादों को नियंत्रित करता है और उनके निर्यात को बढ़ावा देता है । खाद्य उत्पादों के अतिरिक्त कपास तंतु जैसे अन्य उत्पाद भी NPOP के प्रमाणीकरण में शामिल हैं । NPOP एक दृढ़ कार्यक्रम है जिसे यूरोपियन व अमेरिकन जैविक प्रमाणीकरण प्राधिकारी मान्यता प्राप्त है क्योंकि यह उनके मानकों के समरूप है ।
जिस खेत अथवा उत्पाद के ब्रांड को ओरगैनिक रूप में प्रमाणित किया जाना हो उसके किसान या मालिक को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंती हैं ।
- सुनिश्चित किया जाए कि जैविक प्रमाणीकरण के लिए अपेक्षित सभी पूर्वापेक्षाओं को पूरा किया गया है । उदाहरण के लिए ओरगैनिक खेती के तहत भूमि का प्रयोग करने से 3 साल पहले उसे रसायनिक प्रयोगों से पूरी तरह मुक्त करने की आवश्यकता होती है ।
- किसी एक ऐसी एजेंसी के साथ रजिस्टर करें जो NPOP के तहत जैविक प्रमाणीकरण करने के लिए प्राधिकृत हो ।
- सभी प्रकार के अपेक्षित शुल्क का भुगतान करें और स्थल निरीक्षण के लिए व्यवस्था करें ।
- सभी अपेक्षित मानकों का अनुपालन करें और बार-बार निरीक्षण के लिए तैयार रहें ।
जिस आहार का निरीक्षण करके ओरगैनिक रूप में प्रमाणित किया जा चुका हो उसका स्तर दर्शाने के लिए उस पर NPOP लोगो लगाया जाता है । चूंकि NPOP प्रमाणीकरण का अर्थ है कि उत्पाद को यू एस या यूरोप में निर्यात किया जा सकता है अक्सर पैकेटों पर ऐसे क्षेत्रों के लिए भी लोगो लगाए जाते हैं । इसके अतिरिक्त प्रमाणित जैविक फसल के बारे में भी यह उल्लेख होना चाहिए कि किस एजेंसी ने प्रमाणीकरण किया है ।
अगली बार यदि आप किसी उत्पाद या फार्म विशेष के बारे में जैविक प्रमाणीकरण की जांच करना चाहें तो आप को ज्ञात होगा कि वास्तव में आपको किस प्रकार का विवरण देखना चाहिए । “जैविक जागरूकता “सीरीज पर यह हमारा 2 लेख है । कृप्या बताएं आप इसके बारे में क्या सोचते हैं । ह्मारे फेसबुक पर लाइक करें ताकि इस प्रकार के अन्य लेखों की तरह इसे भी सूचनीय बनाया जा सके ।
चित्र: भारत सरकार / वाणिज्य एवं उधोग मंत्रालय