बच्चों को आसानी से सम्भाला जा सकता है तथा कभी-कभी उनसे संबंधित ऐसी नकारात्मक एवं अनावश्यक चिन्ताओं से मुक्ति भी काफी आसान होती है जो आपको थोड़ी भयंकर सी लगने लगती है । फिर भी निश्चिंत रहें, स्वयं को शांत रखें तथा समस्या से निपटने के लिए बेहतर दिशा की ओर ध्यान दें । ऐसा हो सकता है कि नकारात्मकता के प्रति उनका रवैया पहले से अधिक बढ़ गया हो और आप अपने बच्चे के रवैये को प्रशंसात्मक अथवा सकारात्मक बनाने में स्वंय को असफल महसूस कर रहे हों । उनमें अच्छे व्यवहार की प्रवृति उत्पन्न करने के लिए तथा उनकी बुरी आदतों को समाप्त करने के लिए उनसे संवाद करना अत्यावश्यक है । नीचे हम कुछ ऐसे उपाय आपको बता रहे हैं जिन्हें आजमाकर आप अपने बच्चे के नकारात्मक रवैये को आसानी से दूर कर सकते हैं तथा अवज्ञापूर्ण व्यवहार जैसी उनकी खराब आदतों से मुक्ति पा सकते हैं :-:
अनर्थ की कल्पना कभी न करें : कभी-कभी माता पिता अपने बच्चों के प्रति अनर्थ की कल्पना कर बैठते हैं । चूंकि वे अपने बच्चों की भलाई चाहते हैं अत: ऐसी चिंता होना स्वाभाविक ही है । आपके स्कूल दौर के दौरान आपके मित्रों की संख्या संभवत: कम रही होगी अत: इसे ध्यान में रखते हुए आप अपने बच्चों को मिलनसार बनाने के लिहाज से उन्हें समाज में अधिक घुलने मिलने के लिए आगे करते है जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है । अपनी मर्जी के अनुसार किसी भी स्वरूप में ढालने के लिए अपने बच्चे को आगे मत धकेलें – अपितु इसके स्थान पर उनकी विशेषताओं की सराहना करें । यदि आपको लगता है कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या है तो उनसे खुलकर बातचीत करें और अपने विचार उन पर थोपे बिना उन्हें सही सलाह दें ।
चितिंत दिखाई तो दें परन्तु कोई प्रतिक्रिया न करें: कन्नास सिटी, मिसौरी में स्थित चिल्डर्न मर्सी होस्पिटल में क्लीनिक्ल बाल मनोचिकित्सक एंड क्रिस्टोफेरेसन, पीएचडी का यह कहना है कि “अधिकांश माता पिता दुर्व्यवहार के प्रति प्रतिक्रिया करके गलत करते हैं जबकि ऐसा किए जाने से कुछ न किया जाना ज्यादा बेहतर होगा” ।
यदि आपके बच्चे का रवैया हमेशा ही नकारात्मक रहता है तो आप उससे सहमत हुए बिना भी उसके साथ निर्वाह कर सकते हैं । नकारात्मक रवैये के उत्तर में कुछ नकारात्मक कहने का प्रयास करने के स्थान पर उसकी बात सुने और उसे अनदेखा करने का प्रयास करें । यदि आपका बच्चा किसी प्रकार की आलोचना करता है और आप उसकी आलोचना करते हैं तो इससे स्थिति तो अधिक खराब हो ही जाएगी, और इससे विषमता की खाई भी बढती चली जाएगी ।
सिक्के का दूसरा पहलू देखें: कदाचित बुरे व्यवहार वाले बच्चों में फंसकर निराश होना तो बहुत आसान है परन्तु कुछ नकारात्मक लक्षण ऐसे भी माने गए जिनकाउनके चरित्र पर युवावस्था में अच्छा प्रभाव पड़ता है । अपने बच्चे को आज्ञाकारी बनाने के स्थान पर उसके द्वारा दी गई भिन्न प्रकार की राय की भी सराहना करें । अल्टीमेटम देने के स्थान पर उनसे बात करें , उन्हें समझें और फिर यदि आवश्यकता हो तो समझौता कर लें । इसका अभिप्राय यह होगा कि आपने अपने बच्चे को अपनी मनमर्जी करने की अनुमति जो दी है वह रोज रोज की बहस से बचाव के लिए दी है । तथापि, उनकी बात मानकर आप उनमें आत्मसम्मान की भावना को तो जागृत करेगें ही और इससे उनमें नेतृत्व की शक्ति भी जागृत हो सकेगी ।
अपना स्नेह सदैव बनाए रखें : किसी भी प्रकार की बहस की स्थिति में अपना आपा न खोएं – भले ही ऐसी बहस आपके बच्चे के कमरे की स्थिति के बारे में अथवा उसके ग्रेड के बारे में ही क्यों न हो । जब कभी आप माता पिता के रूप में अपने बच्चे के आगे हार स्वीकार करें तो अपने बच्चों से संबंधित अच्छी बातों का स्मरण अवश्य करें । ऐसा करने से आपको कठिनाइयों से उबरने की शक्ति प्राप्त होगी तथा आप अपने बच्चे की आवश्यकताओं को पूरा कर सकने का सामर्थ्य भी प्राप्त कर पाने में सक्षम हो सकेगें ।
स्वयं को उनके स्थान पर रखें: अपना नजरिया अपने बच्चे के नजरिए के अनुसार बदलने का प्रयास करें । आयु बढ़ने के साथ साथ बच्चे अपने आपको अकेला और डरा हुआ महसूस करने लगते हैं । उनके सम्मुख किसी से डरने, शिक्षा, बॉडी इमेज बनाने तथा अन्य अनेकों प्रकार की परेशानियां उनके मस्तिष्क में होती हैं । जब आपका बच्चा नकारात्मक रवैया दिखाता है तो स्वयं को उसके स्थान पर रखने का प्रयास करें । ऐसा करके आपको उनके प्रति उन्हीं के समान अनुभूति होगी और आप उनकी समस्याओं का समाधान काफी आसानी से कर पाएंगें ।
जब कभी आप थकानग्रस्त हों तो आपको अपना कुछ समय अपने वयस्क बच्चों के साथ अवश्य बिताना चाहिए । अक्सर माता पिता को स्थिति से उबरने के लिए थोड़े अंतराल की आवश्यकता होती है । एक गहरी सांस लें और वापिस वहीं आ जाएं जहां आपको शांति प्राप् हो और आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित रख सकें । ऐसा करने पर ही आप प्रतिक्रिया देने में समर्थ हो सकेगें तथा स्थिति को प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित कर सकेगें ।
इस प्रकार की क्रियाविधि अपनाने पर आप अपने बच्चों को अनुशासित कर सकते हैं तथा ऐसा करके उनमें भविष्य का सामना करने की शक्ति एवं आत्मविश्वास जागृत कर पाएंगे । अपने बिगड़े हुए बच्चों को केवल आप ही अनुशासन सिखा सकते हैं क्योंकि आप को यह जानते हैं कि आपका बच्चा वास्तव में अन्य बच्चों से कहीं अधिक बेहतर है ।
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