समाज को समझने और परिस्थितियों को काबू करने में एक बड़ी भूमिका होती है इस बात की कि हम भाव-भंगिमाओं को कैसे समझ पाते हैं। ऐसा शोध हुआ है कि जो बच्चे अपनी भावनाओं को चेहरे की भंगिमाओं से ज़ाहिर करने में मुश्किल महसूस करते हैं वे अपने साथियों और सीखने में परेशानी अनुभव करते हैं। इसके उलट बच्चे स्कूलों में काफी आगे या चर्चित होते हैं।
जो बच्चे छोटी उम्र में ही अपनी भावनाओं को समझना सीख जाते हैं, उन्हें कई फायदे होते हैं जैसे:
– वे दूसरे बच्चों से आसानी से जुड़ते हैं और अच्छे दोस्त बना पाते हैं।
– निराशा या उदासी के दौरान उनमें खुद को शांत करने की क्षमता होती है।
– स्कूल में अध्ययन में वे बेहतर होते हैं।
– वे कम बीमार पड़ते हैं।
अच्छी खबर यह है कि भंगिमाओं को पढ़ना या समझना कोई नैसर्गिक प्रतिभा नहीं है बल्कि इसे सीखा जा सकता है और अभिभावक इसमें मदद कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार एक अध्ययन में पाया गया कि एक नियंत्रित समूह की अपेक्षा एलिमेंट्री स्कूल के उन बच्चों में चेहरे के हाव-भाव समझने में तीव्रता देखी गई जिन्हें आधे घंटे के छह सत्रों में संकेतों और इस योग्यता के बारे में समझाया गया।
एक अच्छी तरकीब है फ्लैश कार्ड। इन कार्ड पर विभिन्न हाव-भाव या मुद्राएं चित्रित की जाती हैं। ऐसे चित्र आप पत्रिकाओं या इंटरनेट के ज़रिये भी हासिल कर सकते हैं। खुद भी ऐसे चित्र बना सकते हैं और बच्चों को चेहरे के हाव-भाव समझाने में मदद कर सकते हैं।
इन कार्ड पर खुशी, उदासी, डर, गुस्सा, आश्चर्य जैसे हाव-भाव बनाये जाने चाहिए। इसके साथ ही आप इन कार्डों पर बोरियत या गर्व जैसे हाव-भाव भी दर्शा सकते हैं। एक से अधिक व्यक्ति के चेहरों पर समान हाव-भाव दर्शाना अधिक मददगार साबित होता है।
इन कार्डों को पहले वयस्कों के साथ साझा करें और जांच लें कि हाव-भाव सही समझ आ रहे हैं ताकि बच्चा कन्फ्यूज़ न हो।
फ्लैश कार्ड के अलावा आप किसी और के साथ मिलकर बच्चे को लाइव प्रदर्शन के ज़रिये भी हाव-भाव समझने में मदद कर सकते हैं। जब आप अलग-अलग भावनाओं के बारे में बात करते हैं तो अलग-अलग मुद्राएं या हाव-भाव दर्शाएं। आप खेल-खेल में बच्चे को यह सिखा सकते हैं जैसे आप उससे हाव-भाव के पीछे की भावना पहचानने को कह सकते हैं। इसके उलट आप बच्चे से अलग-अलग हाव-भाव दर्शाने को कह सकते हैं और आप पहचानें।
मूल बात यह है कि सुनिश्चित करें कि बच्चा भावनाओं को स्पष्ट तौर से पहचान पा रहा है और हाव-भाव के साथ सही तालमेल बना पा रहा है। बच्चे दोहराव से सीखते हैं इसलिए बार-बार ऐसा करें। इस खेल में जब आप कोई नयी भावना प्रदर्शित करें तो पिछली किसी भावना के साथ उसकी तुलना समझाएं। बच्चे को बेहतर ढंग से समझाने के लिए, किसी पत्रिका से उदाहरण तलाशें और किसी कलात्मक गतिविधि या खेल में ढालें।
उम्मीद की जा सकती है, जब बच्चे हाव-भाव बेहतर समझेंगे तो उनकी सामाजिक समझ और कम्युनिकेशन क्षमता भी विकसित होगी।
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