स्वास्थ्य विशेषज्ञ सदैव यह चेतावनी देते आए हैं कि मोटापे से दूर रहें । इसके कारण डायबिटिज (शर्करा) हृदय से संबधित समस्याएं, उच्च रक्तचाप, तथा अन्य अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं । यदि स्वयं को स्वस्थ रखने और चुस्त तंदुरूस्त बने रहने के यह कारण आपके लिए पर्याप्त नहीं हैं तो हम आपको यहां कुछ ऐसे कारणों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनसे आप हैरत में आ जाएगें ।
किंग्स कॉलेज, लन्दन के यूके हैल्थ रिकार्ड में किए गए नए अध्ययन में यह कहा गया है कि मोटे व्यक्तियों के लिए अपना वजन कम कर पाना और अपने वजन को संतुलित कर पाना अत्याधिक कठिन होता है । अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार 210 पुरूषों में से 1 पुरूष तथा 124 महिलाओं में से 1 महिला वापिस अपना संतुलन सामान्य वजन के अनुरूप कर पाने में सफल हो पाती हैं ।
इस अध्ययन में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया था जिनकी बॉरिएट्रिक सर्जरी (bariatric surgery) हुई थी । परन्तु मोटे व्यक्तियों के लिए अपना सामान्य वजन वापस ग्रहण पाने के अवसर चूंकि अत्याधिक कम होते हैं अत: हमने एक दूसरे कारणों की ओर भी दिया जो कि इस प्रकार था कि क्या वजन कम करने का प्रयास करने वाले मोटे व्यक्ति अपना वजन 5% तक कम कर पाने में सफल हुए हैं अथवा नहीं ।
इससे परिणाम यह निकले कि 12 में से 1 पुरूष तथा 10 में से 1 महिला एक वर्ष की अवधि में अपना वजन (5% तक वजन कम करना) कम कर सकने में सफल हुई । इसमें चिंताजनक बात यह है कि दो वर्ष की अवधि में इनमें से 53% व्यक्ति फिर से मोटे होकर उतने ही वजन पर वापिस लौट आए तथा तीन वर्ष के दौरान ऐसे व्यक्तियों का प्रतिशत 78% हो गया जो फिर से मोटे हो गए थे ।
इन परिणामों से यह पता चलता है कि डॉयटिंग एवं व्यायाम पर केन्द्रित आधुनिक वजन प्रबंधन कार्यक्रम लोगों का मोटापा कम करने में सहायक नहीं हैं विशेषकर जब जनसंख्या के स्तर पर मोटे लोगों के आंकडों पर नजर डालनी हो ।
किंग्स कॉलेज, लन्दन के सामाजिक एवं स्वास्थ्य देखभाल अनुसंधान प्रभाग के प्रमुख लेखक डा. एलिसन फिल्डैस का यह कहना है कि “अपने शरीर से 5 से 10% वजन करने के परिणाम स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है तथा इस लक्ष्य को सम्मुख रख कर वजन कम करना फायदेमंद हो सकता है । इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि मोटापे से मुक्ति प्राप्त कर पाना और यहां तक कि कम किए गए थोड़े से वजन की मात्रा को बरकरार रख पाना वास्तव में कितना कठिन है । कोई वयस्क यदि एक बार मोटा हो जाता है तो उसके लिए अपने शरीर का वजन फिर से संतुलित कर पाना अत्यंत दुष्कर कार्य हो जाता है ।”
डा. फिल्ड्स का यह विचार है कि अधिक वजन पाने वाले लोगों का पूरा ध्यान मोटापे से बचाव करने की ओर केन्द्रित होना चाहिए तथा उनकी और अधिक वजन न बढा पाने के संबंध में सहायता की जानी चाहिए । उनका यह भी कहना है कि “पहले तो हमें वजन को बढने से रोकने का प्रयास करना चाहिए ।”
किंग्स कॉलेज, लन्दन के सामाजिक एवं स्वास्थ्य देख देखभाल अनुसंधान प्रभाग के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर मार्टिन गुल्लीफोर्ड एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह बताया कि “मोटापे से निपटने के लिए वर्तमान में की जा रही सभी प्रकार की कार्रवाईयां कैलॉरीज कम करने और भौतिक क्रियाकलापों को बढ़ाने तक केन्द्रित होती हैं तथा इससे मोटापे से पीडि़त अधिकांश लोगों का वजन कम नहीं हो पा रहा है अथवा यूं कहें कि वे अपने कम हुए वजन को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं । उन्होंने आगे यह भी कहा है कि “मोटापे के विद्यमान बवाल से निपटने का एक यही उपाय है कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाए तभी हम मोटापे से मुक्ति पा सकेगें । ” ।
इस अनुसंधान में 278,982 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें से 129,194 पुरूष तथा 149,788 महिलाएं थी । इनमें से केवल 1,283 पुरूष तथा 2,245 महिलाएं सामान्य शरीरिक वजन ग्रहण कर पाने में सफल हुए जिनका बीएमआई स्तर 30 एवं 35 के बीच था । जिनका बीएमआई 40 से अधिक था उनमें 1,290 में से 1 पुरूष तथा 677 में से 1 महिला अपना सामान्य वजन ग्रहण कर पाने में सफल हुई ।
इस अनुसंधान को स्वास्थ्य सेवाएं एवं डिलीवरी अनुसंधान कार्यक्रम के अंतर्गत यूके नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ रिसर्च (NIHR) से अनुमोदन प्राप्त था तथा इस का प्रकाशन अमेरिकन जरनल ऑफ पब्लिक हैल्थ में भी किया गया था ।
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