पिताओं से मिलने वाले 3 मुख्य फायदे


पिताओं से मिलने वाले 3 मुख्य फायदे

Photo: Rmarmion | Dreamstime.com

माता-पिता दोनों की परवरिश पाने वाले बच्चे सामान्यतया बेहतर विकसित होते हैं क्योंकि हर अभिभावक अलग किस्म की देखभाल देता है। एक साधारण नज़रिये से देखा जाये तो मांएं अक्सर बच्चों को लाड़, दुलार और आराम देती हैं जबकि पिता थोड़ा कसा हुआ या खुरदुरा माहौल देते हैं। कई अध्ययनों में इस तथ्य का उद्घाटन किया जा चुका है कि जो बच्चे अपने पिता के संरक्षण में होते हैं वे सामाजिक और अकादमिक दोनों स्तरों पर बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।

लाइवसाइंस में प्रकाशित एक लेख में ई-बुक ‘हे डैड्स…. यू मैटर’ के लेखक, परिवार थैरेपिस्ट जेरेमी श्नाइडर ने इस बात पर रोशनी डाली है कि दो अभिभावकों द्वारा परवरिश के कारण बच्चा विभिन्न दृष्टिकोणों से दुनिया को देखना सीखता है और उसका बौद्धिक विकास बेहतर होता है।

बच्चे की परवरिश में पिता के योगदान के तीन प्रमुख फायदे यहां बताये जा रहे हैं।

सीधी बात

अधिकांश पिता बच्चों के साथ तुतलाते हुए या बच्चों के ढंग से बात नहीं करते जैसा कि महिलाएं अक्सर करती हैं। वे बच्चों से वयस्क के ढंग से ही बातचीत करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार जहां बच्चों से बच्चों की तरह बात करने से बच्चों की भाषा का विकास होता है, वहीं बच्चे जब सामान्य ढंग की भाषा सुनते हैं तो वे दुनिया को वास्तविक स्वरूप में समझने की कोशिश करता है जो कुछ ही समय बाद उसके काम आता है।

खेल

हालांकि मांएं बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती हैं लेकिन पिता जितना भी समय बिताते हैं, वे खेलकूद या शारीरिक गतिविधियों को केंद्र में रखते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाएं कई काम एक साथ करती हैं लेकिन घर और बच्चों की देखभाल एक साथ करते हुए वे बच्चों की देखभाल को केंद्र में रखती हैं। बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने और घर के कामों में अक्सर वे पूरा समय या पूरा ध्यान एकाग्र रूप से बच्चे को नहीं दे पातीं। जबकि पिताओं के साथ ऐसा नहीं है। वे पूरी तरह बच्चों के साथ जुड़ते हैं। इसलिए पिता बच्चे के साथ बिताये समय में पूरी तरह से उसके साथ शारीरिक गतिविधियों या खेलकूद या बातचीत में संलग्न रहते हैं।

दुनियादारी के सबक

पिता अक्सर वास्तविक दुनिया के सबक सिखाते हैं जो गलत बर्ताव को सुधारने और अनुशासन के माध्यम से होता है। पिता अक्सर बच्चों की मामूली समस्याओं को सुलझाने के लिए कदम नहीं उठाते जिससे बच्चे अपनी समस्याओं के हल खुद निकालना सीखते हैं। 1995 में प्रकाशित एक अययन में पाया गया कि जो बच्चे अपने पिता की परवरिश में पलते-बढ़ते हैं, तीन साल की उम्र में उनका आईक्यू अपने हमउम्रों की तुलना में बेहतर होता है।

जिन बच्चों के पिता उनके जीवन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं उनकी संपूर्ण खुशी का स्तर भी ज़्यादा होता है, ऐस बच्चे तनाव को लेकर अधिक सहनशील और चिंताओं से बेहतर ढंग से जूझने वाले होते हैं।

अपने बच्चे को समय दें

तो अगर आप पिता हैं, तो आप अपने बच्चे को जो सबसे बेहतर चीज़ दे सकते हैं वह समय है। याद रखें, अध्ययनों में पता चला है कि अधिक समय की बजाय आप भले ही कम समय दें लेकिन क्वालिटि समय दें।

प्रोएक्टिव बनें

बच्चे का समय देते समय प्रोएक्टिव रहें। रात में बच्चे को बिस्तर पर ले जाने की बात हो या रात में डाइपर बदलने की, पिताओं को जब भी समय मिले उन्हें इस तरह का व्यवहार सक्रियता से करना चाहिए।

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