यह एक सर्वविदित तथ्य है कि अच्छी नींद स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित अनेकों बुनियादी जरुरतों में से एक है । आज के दौर में नींद पूरा होने में गड़बड़ होना सामान्य सी बात है जबकि इसके परिणामस्वरूप कर्मचारी महत्वपूर्ण बैठकों में एकाग्र नहीं हो पाते और उनके कार्य निष्पादन की गुणवत्ता भी बुरी तरह से प्रभावित होती है ।
कैफिन, अल्कोहल, तथा व्यायाम रहित, तनाव एवं अन्य झंझटों से जुड़ी बेशुमार जिम्मेदारियां और तिस पर आज के दौर की चौबिसों घंटों की भागदौड भरी आधुनिक जीवनशैली ने कर्मचारियों के शरीर को इस प्रकार अनुकूलित बना दिया है कि उन्हें सदैव सजग रहना होता है । कर्मचारियों को अपने कार्य से संबंधित तनावों को सम्हालने और अपने कार्य के प्रति सकारात्मक रूख बनाए रखने तथा अनुसंधान की नई दिशाओं की खोज करने के लिए भरपूर नींद लेने के पर्याप्त अवसर दिए जाने अत्यंत आवश्यक है । अपनी कम्पनी की उत्पादकता में सुधार लाने के लिए नियोक्ताओं को चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों की निद्रा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में उनकी सहायता करें ।
एक लेख के अनुसार स्टाकहोम यूनिवर्सिटी तथा कारोलिन्सका इंस्टीट्यूट के मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान में लगभग 4827 कार्यरत वयस्कों से प्राप्त विश्लेषण आंकड़े शामिल किए गए हैं । ये आंकड़े उन 2655 महिलाओं एवं 2171 पुरूष प्रतिभागियों से एकत्र किए गए थे जो स्वीडिश लॉंन्गीट्यूड्नल आक्यूपेशनल सर्वे ऑफ हैल्थ (SLOSH) में लाभप्रद पदों पर कार्यरत थे ।
उनसे उनके निद्रा संबंधी व्यवहार की जानकारी प्राप्त की गई थी जिसमें नींद में खलल, बेआरामी वाली नींद, बार बार जागने और आधी नींद में उठकर जागने की बारम्बारता से संबंधित जानकारी भी शामिल थी । उनसे उनके कार्य पर नियंत्रण, सामाजिक समर्थन एवं कार्य की आवश्यकताओं का आकलन किए जाने से संबंधित प्रश्न भी पूछे गए थे । यह प्रश्नावली वर्ष 2008 तथा बाद में वर्ष 2010 में बनकर तैयार गई थी ।
अनुसंधान के अनुसार, रात्रि को अच्छी नींद लेने वाले अपने सहयोगी कर्मचारियों की तुलना में निद्रा से वंचित कामगारों में तनावग्रस्त होने का अनुभूति, कार्य के प्रति अत्याधिक दबाव, नियंत्रण की अत्याधिक कमी एवं कार्य में सामाजिक समर्थन का अभाव पाया गया । अपने कार्य के प्रति इन कामगारों का दृष्टिकोण भी निराशावादी पाया गया । इन परिणामों से यह भी प्रदर्शित हुआ कि निद्रा से वंचित होने की स्थिति में कार्यस्थल पर तनाव में भी वृद्धि होती है अर्थात इससे होने वाले नुकसान कहीं अधिक होते हैं ।
अनुसंधान दल ने अपनी निद्रा जरनल में यह लिखा गया है कि “तनाव में कमी लाने तथा कार्य एवं अपने जीवन के प्रति भी नकारात्मक रवैये कम करके निद्रा में सुधार लाना अत्यंत आवश्यक है ” ।
दो वर्ष पश्चात प्राप्त अनुवर्ती आंकड़ों से बेआरामी वाली नींद एवं कार्य तनाव के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित होने का संज्ञान प्राप्त हुआ है । इसी प्रकार वर्ष 2008 में किए गए सर्वेक्षण में जिन प्रतिभागियों में तनावपूर्ण कार्य परिस्थितियों के लक्षण पाए गए थे उनमें से अधिकांश में वर्ष 2010 के दौरान किए गए सर्वेक्षण के दौरान भरपूर निद्रा पाने वालों में यह लक्षण कम पाए गए ।
अनुसंधानकर्ताओं ने यह बताया कि “यह एक अवधारणा भी है कि निद्रा में कमी के कारण उनींदापन / थकावट एवं खराब कार्यनिष्पादन होता है जिसके परिणामस्वरूप कार्य अपेक्षाएं बढ़ जाती है तथा उनका संचलन कर पाना सामान्य स्थिति की तुलना में अधिक कठिन हो जाता है” ।
इस प्रकार, इन परिणामों से ये संकेत प्राप्त होते हैं कि भरपूर नींद लिए जाने से कार्य की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप कार्य सम्बंधी तनाव तथा कार्य के प्रति नकारात्मक रवैये में कमी लाई जा सकती है ।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन में किए गए एक अन्य अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि कार्यस्थल पर उत्पादकता में सुधार लाने के लिए छोटी सी नींद का एक झोंका काफी लाभप्रद हो सकता है तथा इससे कुंठाओं के प्रति सहष्णिुता भी बढ़ती है । अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी बताया है कि पूर्ववत निद्रा बनाए रखने के सामर्थ्य में वृद्धि लाने के लिए कार्य स्थल पर ली जाने वाली थोड़ी सी नींद काफी उपयोगी एवं लागत कुशल हो सकती है ।
डाक्टरेल स्टूडेंड जेनिफर गोल्डश्मिड का यह कहना है कि “थोड़ी सी नींद उन कर्मियों के सामर्थ्य के लिए काफी लाभप्रद हो सकती है जिन्हें कठिन एवं निराशाप्रद कार्यों के लिए काफी लम्बे समय तक जागते रहना पडता है ” ।
अच्छी नींद से कर्मचारियों की उत्पादकता पर होने वाले प्रभाव तत्काल उत्पन्न होने लगते हैं और सोने पर सुहागा यह है कि इससे वे अपने अन्य संकल्पों को भी पूरा करने में समर्थ हो जाते हैं । गहरी नींद लेने से अनेक लक्ष्यों एवं उत्कृष्टता की प्राप्ति ही सरल हो जाती है ।
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