बिना निंदा के बच्चों को कैसे करें ठीक


How to correct children without criticizing

Photo: Dragonimages | Dreamstime.com

बच्चे गलतियां करते हैं – कभी-कभी तो बहुत ज़्यादा। लेकिन उनके गलतियां करने पर सबसे बेहतर तरीका क्या है, उन्हें सुधारने का? विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे में आपको उनसे बातचीत के ज़रिये उनकी गलतियों को इंगित करना चाहिए लेकिन आप कैसे बात करते हैं, यह अंतर पैदा करता है।

उदाहरण के लिए, बच्चों से यह न कहें आप उनसे परेशान हैं। यह भी न कहें कि ‘तुमने सब खराब कर दिया’ या तुम ऐसा क्यों नहीं कर पाते हो?’ ऐसे वाक्य बच्चे को हतोत्साहित कर उसमें हीनभावना पैदा कर सकते हैं। शोध में पाया गया है कि जिन बच्चों को इस तरह की व्यक्तिगत आलोचना झेलना पड़ती है वे खुद को हीन महसूस करने लगते हैं और भविष्य में कोई भी काम बिना कोशिश किये छोड़ देते हैं और अपनी समस्याओं से उबर नहीं पाते।

तो, बेहतर और उत्पादक तरीका यह है कि बच्चों को गलती को लेकर आप समझदारी से समझाएं और उनकी व्यक्तिगत आलोचना न करें। उन्हें बताएं उन्होंने क्या गलती की है और यह गलती क्यों व कैसे हुई। साथ ही उन्हें इसे सुधारने के हल बताकर उनके व्यवहार को विकसित करने पर ज़ोर दें।

प्रयोगों में देखा गया कि जिन बच्चों की सकारात्मक आलोचना की गई जैसे ‘इस काम को बेहतर ढंग से कैसे किया जा सकता था’, उन्होंने दिये गये काम को ठीक से पूरा करने में रुचि दिखायी। ऐसे बच्चे ज़्यादा आशावादी भी दिखे।

एक और बर्ताव है जो अक्सर अभिभावक अपने बच्चों के साथ करते हैं, वह है उन्हें शर्मिंदा करना। यह भी ठीक नहीं है। अभिभावक सोचते हैं कि इससे बच्चे अपनी गलती समझते हैं। लेकिन मनोविज्ञानी मानते हैं कि बच्चों को अपनी गलती समझ में आने और शर्म महसूस होने में फर्क है। गलती समझने की भावना काम को अगली बार ठीक से करने से संबद्ध है जबकि शर्मिंदगी के कारण बच्चे में गुस्सा और ज़िद पनप सकती है।

तो इन सभी कारणों से, बच्चों के गलती करने पर आपको सकारात्मक, उत्पादक आलोचना का महत्व समझना चाहिए और बच्चों को बेहतर ढंग से विकसित करने के लिए सही हल तलाशने चाहिए।

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