चिल्लाना, शायद ज़्यादातर अभिभावक इस क्रिया पर पछताते हैं। खास तौर से जब आपका बच्चा चिड़चिड़ाहट में या गुस्से में नखरे कर रहा हो, तब आपको लगता है कि चिल्लाना ही एकमात्र उपाय है। या उस समय जब आप पहले ही लेट हो रहे हों और बच्चा ज़स्री निर्देश मानने से इंकार कर रहा हो। चिल्लाना हमेशा आपको त्वरित उपाय लगता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में अभिभावक अपने इस बर्ताव पर बाद में पछताते हैं। यह आपके बच्चे को भी नुकसान पहुंचाता है।
एक शोध में बताया गया है कि चिल्लाने जैसे वाचिक अनुशासन को भंग करने से बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। तो, अगली बार जब तनाव की स्थिति आये तो चिल्लाने के विकल्प पर पहले साचें। चिल्लाए बिना मामले को सुलझाने के पांच कारगर तरीके यहां बताये जा रहे हैं।
शांत हों: इससे पहले कि आप अपना आपा खोएं, एक कदम पीछे लें। गुस्से में चिल्लाकर, आप अपने बच्चे को यही सिखाते हैं गुस्से में यही प्रतिक्रिया सबसे सही है। बजाय इसके, जब आप गुस्से की स्थिति में हों, वहीं छोड़ दें और बच्चे से कहें कि इस बारे में आप उससे बाद में बात करंगे।
सोचें: प्रतिक्रिया से पहले शांति से सोचने की कोशिश करें। यह समझने की कोशिश करें कि आपका बच्चा इस तरह क्यों बर्ताव कर रहा है, मूल वजह समझें। अपने बच्चे से बातचीत करें और उसी से उसके बर्ताव के बारे में जानें। इससे आप दोनों समस्या के हल तक पहुंचने में मदद पाएंगे।
बच्चे की भावना को महत्व दें: यह सोचें कि आप पर कोई चिल्लाए तो आप कैसा महसूस करेंगे। शायद आप दुखी होंगे और उस पूरे प्रकरण में कुछ भी अच्छा महसूस नहीं करेंगे। चिल्लाने से आपके बच्चे का आत्मविश्वास घटता है और वह डर महसूस करता है – जो कोई अच्छी भावना नहीं है। इसके बजाय इस बारे में तर्कपूर्ण ढंग से बात करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
खुद को इस्तेमाल न होने दें: इसके बाद यह भी याद रखें कि बच्चा आपके अनुशायन का फायदा न उठा पाये। अगर बच्चे ने गलत बर्ताव किया है तो शांति से समझाने की प्रक्रिया में आपको इस स्थिति से भी बचना है कि बच्चे को शह न मिले। मामले की गंभीरता को लेकर आप अपने शांतिपूर्ण व्यवहार में दृढ़ रहें अपनी आपत्ति की टोन को बरकरार रखें।
गलती से सीखें: अगर आपको गुस्से में तेज़ आवाज़ में बात करने या कुछ सामान पटकने-तोड़ने की आदत है तो जान लीजिए कि इससे स्थिति तनावपूर्ण ही रहेगी। बात तो आपके शांतिपूर्ण ढंग से बात करने से ही बनेगी। उम्मीद न छोड़ें, हर आदत को बनने में समय लगता है। सकारात्मकता को लेकर दृढ़ रहें। धीरे-धीरे आदत बदल जाएगी।
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