टैक्सी सेवाएं प्रदान करने वाली उबेर ने 5 फरवरी को यह घोषणा की है कि वे अपनी एप्प में एक ऐसा पैनिक बटन जोड़ने जा रही है जिसके दबाने पर उसकी सवारियां आपात्त स्थिति में स्थानीय पुलिस तक सहायता के लिए गुहार लगा सकेगीं । क्या ऐसा होने से सुरक्षा में बेहतरी के लिए मनचाहे परिणाम हासिल होगें । यह तो साफ ही है कि जनता को सहायता के लिए गुहार लगाने की सुविधा प्रदान करवाने के लिए पूरे देश की पुलिस और सरकारें बुरी तरह से नाकाम हुई हैं जबकि एर्मेजेंसी सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी उन्ही की है । हैल्प सेवाओं के नाम पर काफी घटिया काम किए गए हैं और इन्हें बस लाद दिया गया है ।
मल्टीपल एक्शन रिसर्च ग्रुप (मार्ग) एवं यूएन द्वारा वर्ष 2012 में दिल्ली की हैल्पलाईनों की एक स्टडी करवाई गई थी और इसके जो परिणाम निकले वे कुछ इस प्रकार थे कि ‘’पुलिस सहायता के लिए सम्पर्क करने वाले लगभग व्यक्ति का यह कहना था कि उन्हें सम्पर्क साधने में समय लगा या फिर वे सम्पर्क ही नहीं साध पाए’’ । पूरे देश में यह एक बहुत बड़ी अड़चन है (इस लेख के अंत में सूची देखें) । यह जनता के साथ किया जा रहा एक बहुत बड़ा अपकार है और इससे सरकार द्वारा अपने नागरिकों के बचाव के लिए किए जा रहे कार्यों की तस्वीर साफ दिखाई देती है ।
मार्ग द्वारा की गई स्टडी से जो दो परिणाम सामने आए हैं उनमें से एक तो यह है कि लोग यह चाहते हैं कि हैल्पलाईन केवल एक ही होनी चाहिए तथा जिन महिलाओं से सम्पर्क साधा गया उनमें से आधी से अधिक महिलाओं को तो महिला हैल्पलाईन के बारे में जानकारी ही नहीं थी ।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और गुड़गांव में अपराध के शिकार हुए लोगों के लिए अनेकों हैल्पलाईन नम्बर उपलब्ध हैं । समस्या बस यही है । जैसा कि चित्र में दिखाया गया है – दिल्ली में एक व्यक्ति के सामने कम से कम छ: हैल्पलाईन नम्बर हैं तथा कुछ नम्बर ऐसे भी हैं जो सामने प्रस्तुत नहीं हैं । नम्बरों को साथ साथ दर्शाया जाता है और यह संकेत नहीं दिए जाते कि जनता को किस नम्बर का प्रयोग कब करना चाहिए । ऊपर 1 नम्बर अंकित उप चित्र में मैट्रो के दो स्टीकर दर्शाए गए हैं जिसमें अलग अलग नम्बर दिए गए हैं । इन्हें दर्शाया जाना भ्रामक और अर्थहीन है । क्या कारण है कि सुझाव / पूछताछ “24/7″ अर्थात चौबिस घंटें उपलब्ध नहीं होती और पुलिस / सुरक्षा के नम्बरों पर किसी भी समय क्यों सम्पर्क नहीं किया जा सकता है ? नई दिल्ली के एक ऑटो रिक्शा के लिए गए चित्र 2 में तीन नम्बर दर्शाए गए हैं जिनमें पीडि़त महिलाओं के लिए अलग से दिया गया एक नम्बर 181 शामिल है । चित्र 3 तथा 4 में दिल्ली के एक दूसरे स्थान की एक सवारी वैन पर भी तीन अलग अलग नम्बर दर्शाए गए हैं जिनमें से दो नम्बर ऑटो रिक्शा पर दिए गए नम्बरों से मिलते हैं परन्तु तीसरा महिलाओं की सहायता के लिए एक अलग नम्बर 1091 है । चित्र 5 में गुड़गांव पुलिस की एक गाड़ी दर्शाई गई है । इनमें से किसी पर भी 100 नम्बर नहीं दर्शाया गया है जो पूरे देश में स्थानीय पुलिस नियंत्रण कक्ष का नम्बर है ।
यह सत्य हो सकता है कि कम से कम नई दिल्ली में किराए की सभी गाडि़यों पर हैल्पलाईन नम्बर दर्शाए गए हों । परन्तु दर्शाए गए नम्बरों में किसी भी प्रकार से यह सादृश्यता नहीं है कि इन्हें कैसे अथवा किस प्रकार अथवा किस स्थान पर दर्शाया जाए । हो सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुराने समय से रहने वाले लोगों को डीएमआरसी, सीआईएसएफ, एचएल नम्बर अथवा डब्ल्यू/सी का पूरा अर्थ ज्ञात हो परन्तु अनेकों को इसका ज्ञान नहीं भी हो सकता अथवा संभवत: वे इसे अर्थहीन अथवा किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन कोड ही मानते हों । विजिटर्स अथवा अन्य लोग क्या इसका अर्थ समझ पाते होगें जिन्हें अंग्रेजी का कम ज्ञान है अथवा बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है ? दिल्ली मैट्रो में दरवाजों से हट कर खड़े होने के संकेत और नक्शे तो हिन्दी में दर्शाए गए हैं परन्तु कहीं भी हिन्दी अथवा अन्य किसी भारतीय भाषा में हैल्पलाईनों के बारे में कुछ नहीं दिया गया है । इसके अलावा , ऐसे नम्बर वाहनों के बाहर की तरफ दर्शाए गए हैं और इन्हें अन्दर की तरफ दर्शाने की आवश्यकता ही अनुभव नहीं की गई है । सुरक्षा की दृष्टि से उबेर से बेहतर मानी गई एक टैक्सी कम्पनी की गाड़ी के पीछे की तरफ यात्रियों के बैठने के स्थान पर कहीं भी कोई सुरक्षा सूचना प्रदर्शित नहीं पाई गई ।
मार्ग स्टडी द्वारा सिंगल हैल्पलाईन के रूप में एर्मेजेंसी की स्थिति के लिए 100 नम्बर की सिफारिश की गई है । इस सिफारिश का अनुसरण कर सरकारी संगठन नागरिकों की सुरक्षा और बेहतर ढंग से कर सकते हैं तथा एर्मेजेंसी कॉलों की कुशलतापूर्वक सुनवाई का सुनिश्चिय कर सकते हैं । ऐसा किए जाने से एर्मेजेंसी सम्पर्क सूचना के संबंध में जानकारी देना और जनता तक निदेश पहुंचाना भी सुगम हो सकेगा ।
इस लेख के लिए रिर्पोटिंग एवं तथ्यों का एकत्रीकरण दिल्ली तथा गुड़गांव तक ही सीमित रहा है । यदि आपके पास अन्य नगरों अथवा जिलों के बारे में कोई जानकारी, विशेषकर किसी स्थानीय सरकार द्वारा हैल्पलाईनों के कार्यान्वयन एवं जनता तक उसकी सुलभता से संबंधित कोई जानकारी, है तो कृपया अपने कम्मेंट्स देते हुए उसे (बेहतर होगा लिंक के साथ) शेयर करें ।
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