फलू की पहचान कैसे कि जाए ?
यह निश्चित करने के लिए कि किसी व्यक्ति को फलू है या नही इसकी जांच गले या नाक के अंदर से लिए गए बलगम के नमूने का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाना चाहिए | डॉक्टर यदि आवश्यक समझे तो टेस्ट करा सकता है । इसके लिए रोगी पहले इतना बिमार हो कि उसे डॉक्टर के पास जाना पडे ।
प्रयोगशाला टेस्ट के अतिरिक्त डॉक्टर को सामान्य लक्षणों पर आधारित फलू की पहचान भी करनी होगी, फलू के लक्षणों में शामिल है:-
- बुखार
- ठंड लगना
- सिर दर्द
- जोडों और मांसपेशियों में दर्द
- खांसी
- गले में दर्द
फलू के लक्षण सामान्य जुकाम के लक्षण के समान ही होते हैं परंतु फलू के कारण व्यक्ति जल्दी बिमार हो जाता है और उसकी हालत ज्यादा खराब हो जाती है । फलू में बुखार, कम्पकपी और दर्द होना आम बात है जो कि सामान्य जुकाम में कभी-कभार ही होता है ।
रोगी को कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए ?
अधिकांश मामलों में फलू से छुटकारा पाने के लिए घर की देखभाल काफी होती है । यदि निम्न में से कोई एक भी बात सही हो तो फलू के रोगी को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए :
- सांस लेने में तकलीफ या सांस लेते समय घरघराहट कि आवाज
- छाती और पेट में दर्द
- चक्कर आना या सर घूमना
- बार-बार उल्टी होना और पेय पदार्थ पीने में परेशानी
- दस्त लगना
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित पहले से मौजूद लक्षणों वाले रोगियों को भी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए यदि उनमें फलू के संकेत दिखाई दें ।
- अस्थमा
- मधुमेय
- HIV, AIDS
- कैंसर या अन्य चिरकालिक रोग
- 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग
- गर्भवती औरतें
यदि आप इस लेख में दी गई सूचना की सराहना करते हैं तो कृप्या फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक और शेयर करें, क्योंकि इससे औरों को भी सूचित करने में मदद मिलेगी ।