प्रारंभिक स्कूली गणित परीक्षा में छात्राओं के बेहतर के प्रदर्शन के बावजूद जब व्यवसाय की बात आती है, तो विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़े जॉब्स में पुरुषों की संख्या महिलाओं से बहुत ज़्यादा होती है। इसी कारण, दुनिया भर का समाज गणित और विज्ञान को महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों से जोड़कर देखता है। इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि इन क्षेत्रों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज़्यादा आत्म-विश्वास होता है। हालांकि यह कुछ और भी हो सकता है।
यूएस स्थित वॉशिंग्टन स्टेट यूनिवर्सिटि से शेन बेंच ने यह देखने का बीड़ा उठाया कि गणित संबंधी क्षेत्र में करियर बनाने में गणितीय क्षमताओं से जुड़े लोगों के पूर्वाग्रह क्या भूमिका अदा करते हैं।
अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने दो प्रयोग किये। पहले प्रयोग में, प्रतिभागियों को एक गणित परीक्षा देना थी और यह अनुमान लगाना था कि उन्होंने उसमें कैसा प्रदर्शन किया। फिर उन्हें उनके परीक्षा स्कोर बताये गये। तब उन्हें एक और परीक्षा देना थी और फिर अपने स्कोर का अनुमान लगाने को कहा गया।
दूसरे समूह के प्रतिभागियों को पहले एक टेस्ट दिया गया और उनसे भी स्कोर का अनुमान लगाने को कहा गया लेकिन इस दूसरे प्रयोग में उन्हें उनके परिणाम नहीं बताये गये। इसके बजाय उनसे गणित संबंधी स्किल्स से जुड़े करियर को लेकर उनका रुझान पूछा गया।
दोनों ही प्रयोगों में नतीजा यह सामने आया कि पुरुष प्रतिभागियों ने वास्तविकता से अधिक खुद को आंका। परीक्षा में अपने प्रदर्शन ज़्यादा सही अंदाज़ा महिला प्रतिभागी लगा सकीं। दूसरे अध्ययन में दिखा कि अपनी क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर आंकने के चलते पुरुषों में गणित संबंधी करियर अपनाने के प्रति रुझान था। हालांकि जिन महिलाओं को पहले गणित के क्षेत्र में सकारात्मक अनुभव हो चुके थे उन्होंने भी खुद को ज़्यादा आंका।
महिलाओं द्वारा खुद का अधिक मूल्यांकन किये जाने के कारण बेंच ने यह निष्कर्ष निकाला कि ‘‘हालांकि तथ्यात्मकता और वस्तुनिष्ठता के ज़रिये हम वास्तविक मूल्यांकन करने में सक्षम होते हैं लेकिन गणित संबंधी योग्यता के बारे में सकारात्मक भ्रम महिलाओं के गणित संबंधी करियर अपनाने में मददगार हो सकते हैं। अपेक्षा से कम प्रदर्शन के बावजूद यह सकारात्मक भ्रम महिलाओं के आत्मविश्वास को प्रोत्साहित कर सकते हैं जिससे महिलाएं विज्ञान, तनीक, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं और अपनी स्किल्स को बेहतर कर सकती हैं।’’
अध्ययन में यूएस के अंडरग्रेजुएट प्रतिभागियों को शामिल किया गया इसलिए नतीजों को हर देश के हिसाब से अनुकूल नहीं माना जा सकता। अध्ययन में यह भी नहीं देखा गया कि पुरुषों ने किस आधार पर स्वयं को अधिक आंका। यह समझना एक परिपाटी को तोड़कर महिलाओं के विज्ञान संबंधी जॉब्स के प्रति अग्रसर होने में मदद कर सकता है।
यह अध्ययन सेक्स रोल्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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