डायबिटीज़ एक लाइफस्टाइल रोग बन चुका है और भारत में लगभग महामारी लिंक जैसा है। हममें से कई को यह रोग है या फिर हम अपने निकट के किसी रिश्तेदार या दोस्त को जानते हैं जिसे यह रोग है। इन सबके बावजूद कई लोग इससे जुड़े तथ्यों लिंक के बारे में या इसकी गंभीरता औश्र बचाव को लेकर सजग नहीं हैं। इससे जुड़े कई मिथक प्रचलित हो चुके हैं और बिना आधार जाने कई लोग इसके बारे में विचित्र धारणाएं रखते हैं। यहां डायबिटीज़ से जुड़े प्रचलित मिथक और उनके तथ्य बताये जा रहे हैं।
- ज़्यादा वज़न है तो टाइप 2 के आसार: ज़्यादा वज़न होने से डायबिटीज़ होने का खतरा ज़रूर होता है लेकिन यह रोग होगा ही, ज़रूरी नहीं है। वास्तव में, सामान्य वज़न वाले कई लोगों को टाइप 2 डायबिटीज़ है जबकि ज़्यादा वज़न वाले कई लोगों को नहीं भी है। कहा जाता है कि विसरल फैट और डायबिटीज़ होने के बीच मज़बूत संबंध है।
- डायबिटीज़ हो तो व्यायाम न करें: शारीरिक गतिविधियों का अभाव सबके लिए खराब है। व्यायाम शरीर को चुस्त और सक्रिय बनाये रखने के लिए ज़रूरी है इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ भी अपवाद नहीं हैं। डायबिटीज़ के मरीज़ जो इंसुलिन लेते हैं उनके लिए ज़रूरी है कि वे खून में शकर के स्तर की निगरानी करें लेकिन उन्हें भी हल्के व्यायाम जैसे वॉक और ऐसी गतिविधियों की सलाह दी जाती है जो वे आराम से कर सकें। इससे ब्लड शुगर स्तर के साथ ही ओवरऑल सेहत और मूड बेहतर होता है।
- डायबिटीज़ गंभीर रोग नहीं है: यह बेहद गंभीर रोग है इसलिए इसे ‘साइलेंट किलर’ नाम दिया गया है। डायबिटीज़ के मरीज़ के कम जीने की आशंका रहती है। खून में शकर का असंतुलन अंगों पर गंभीर तनाव पैदा करता है और ओवरऑल सेहत प्रभावित होती है।
- डायबिटीज़ का मतलब है कि मौत सामने है: हालांकि डायबिटीज़ गंभीर रोग है लेकिन साथ ही यह लाइफस्टाइल रोग है। इसका इलाज ठीक डाइट और व्यायाम से शुरू होता है और कुछ लोगों के लिए इतना ही काफी होता है। सही इलाज और सावधानियों के सज्ञथ आप अच्छा जीवन जी सकते हैं। यह इस पर भी निर्भर करता है कि आपने रोग को कितना जल्दी पहचान लिया है। डॉक्टर से सलाह लें कि इसके लिए जांच कब-कब की जाना चाहिए।
- ज़्यादा शकर खाने से होती है डायबिटीज़: असल में ज़रूरत से ज़्यादा कैलरी के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ता है। एक और बड़ा कारण है कि क्या आपके परिवार में किसी को यह रोग रहा है। दूसरी ओर, टाइप 1 डायबिटीज़ का कारण है प्रतिरोधी तंत्र द्वारा इंसुलिन बनाने वाले बीटा सेल्स की क्षति।
- कम उम्र में नहीं होती टाइप 2 डायबिटीज़: यह कुछ दशकों पहले तक सच्चाई हो सकती थी लेकिन आजकल बच्चों के मोटापे के शिकार होने, उदासीन लाइफस्टाइल पनपने के कारण बच्चों, टीनेजरों और युवाओं में भी टाइप 2 डायबिटीज़ के मामले दिख रहे हैं।
- अगर मैं इंसुलिन लेता हूं तो डायबिटीज़ गंभीर है: इंसुलिन लेने के कारण ही यह रोग गंभीर श्रेणी में नहीं आ जाता। इसका मतलब सिर्फ यही है कि आपकी डाइट और इलाज से आपके ब्लड शुगर को ठीक से संतुलित नहीं किया जा सकता। जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज़ होती है उनके शरीर में इंसुलिन बनना बिल्कुल बंद हो जाता है सिसे उन्हें नियमित रूप से इंसुलिन लेना होता है।
- स्टार्च और शकर नहीं खा सकते रोगी: डायबिटीज़ के रोगियों को अक्सर सलाह दी जाती है कि वे स्टार्चयुक्त भोजन जैसे चावल, ब्रेड या आलू और शकरयुक्त भोजन जैसे मिठाइयां आदि बिल्कुल न खाएं लेकिन यह भी संतुलन के आधार पर ही निर्भर है। अगर आप इसकी मात्रा को सीमित रखें तो आप एक संतुलित आहार के साथ इनका सेवन कर सकते हैं, व्यायाम के साथ।
- प्रतिरोध क्षमता खराब होती है: डायबिटीज़ के रोगी ने अगर शकर को नियंत्रण में कर लिया है तो वह सामान्य व्यक्ति की तरह ही किसी और रोग के प्रति ज़्यादा जोखिम नहीं है। फिर भी डायबिटीज़ के रोगी को अधिक सतर्क रहना चाहिए इसलिए नहीं कि उसे बीमारी जल्दी होगी बल्कि इसलिए कि किसी भी रोग के कारण उसके ब्लड शुगर का नियंत्रण और मुश्किल हो जाएगा।
महत्वपूर्ण यह है कि सुनी-सुनाई बातों और वास्तविक तथ्यों में अंतर जानें और रोग के बचाव और उसके सही इलाज के तरीके अपनाएं ताकि आप रोग के बावजूद जीवन का आनंद ले सकें।
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